ट्रोलिंग से भड़के सत्यपाल मलिक, कहा- बागी हो सकता हूं गद्दार नहीं
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया पर खुद को ट्रोल किए जाने पर जवाब दिया है... और उन्होंने कहा कि मैं किसान का बेटा हूं बागी हो सकता हूं लेकिन गद्दार नहीं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया…… इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई….. और 17 लोग घायल हुए….. इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए…… बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी तीखी बहस को जन्म दिया….. इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस हमले को लेकर केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना की….. जिसके बाद वे सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो गए…… मलिक ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि वे एक किसान के बेटे हैं…… बागी हो सकते हैं, लेकिन गद्दार नहीं…..
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने एक सुनियोजित हमला किया…… इस हमले में आतंकियों ने चुन-चुनकर निहत्थे पर्यटकों…… और स्थानीय लोगों को निशाना बनाया…… जिसके चलते 26 लोगों की मौत हुई….. और कई अन्य घायल हो गए…… यह हमला भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया…… खासकर क्योंकि यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर हुआ…… जो आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है…… बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की….. और बिहार के मधुबनी में एक जनसभा में कहा कि आतंकियों….. और उनके समर्थकों को उनकी कल्पना से परे सजा दी जाएगी….. और उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह हमला भारत की आस्था और एकता पर हमला था…… और सरकार हर संभव प्रयास कर रही है….. ताकि घायलों को उचित इलाज मिले और पीड़ित परिवारों को सहायता प्रदान की जाए……
आपको बता दें कि सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल रहे…… और बाद में बिहार, गोवा, और मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं…… उन्होंने इस हमले के बाद केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला…… 6 मई 2025 को एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में मलिक ने कहा कि पहलगाम हमला सरकार की सुरक्षा में लापरवाही का परिणाम था…… उन्होंने दावा किया कि खुफिया इनपुट्स उपलब्ध होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई…… मलिक ने कहा कि ये तो बहुत बेशर्मी कर रहे हैं…… लोगों को बहका रहे हैं…… मुल्क से माफी मांगनी चाहिए…… इनको कहना चाहिए था कि हमारी गलती है….. इतनी बड़ी चूक है…… एक सिपाही नहीं था….. वह कश्मीर का सबसे फेमस स्पॉट है…… वहां 2 हजार आदमी हर वक्त रहता है……. मुझे जानकारी मिली है कि इनके पास इनपुट थे…… फिर भी कुछ नहीं किया…..
मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला करते हुए उन्हें “डरपोक” और “बेशर्म” जैसे शब्दों से संबोधित किया….. और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए…… क्योंकि उनमें जवाब देने की हिम्मत नहीं थी…… मलिक के ये बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए……. और विपक्षी दलों ने इसे सरकार के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया….. वहीं मलिक के बयानों के बाद सोशल मीडिया एक्स पर उनके खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं….. कई यूजर्स ने उन्हें “देशद्रोही” कहकर निशाना बनाया….. और उनकी आलोचना को पाकिस्तान के पक्ष में बोलने के रूप में बताया…… एक यूजर ने लिखा कि मोदी ने इन्हें कई साल अच्छी सैलरी, ऐशोआराम वाला पद दिया…… फिर ये पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं…… मोदी जी इनको जेल में क्यों नहीं डाल रहे…..
पाकिस्तान की एक सांसद शाजिया मर्री ने मलिक के बयानों का हवाला देते हुए भारत सरकार पर निशाना साधा……. जिससे मलिक की टिप्पणियों को और विवादास्पद बना दिया….. मर्री ने कहा कि भारत में ही लोग सरकार की लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं…… और पाकिस्तान पर बिना सबूत के आरोप लगाए जा रहे हैं…… इसने मलिक के बयानों को और अधिक विवाद का केंद्र बना दिया…… बता दें कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने मलिक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए……. यह कहते हुए कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसी बातें क्यों नहीं उठाईं…… कुछ ने उनके बयानों को राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश के रूप में देखा…… जबकि अन्य ने इसे उनकी व्यक्तिगत नाराजगी से जोड़ा…… क्योंकि उन्हें बाद में गोवा और मेघालय जैसे अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण राज्यों में स्थानांतरित किया गया था……
आपको बता दें कि 12 मई 2025 को सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया पर अपनी ट्रोलिंग का जवाब देते हुए एक बयान जारी किया….. और उन्होंने एक्स पर लिखा कि नमस्कार साथियों.. बहुत से लोग मुझे सोशल मीडिया पर टारगेट कर रहे हैं…… अनाप शनाप मेरे खिलाफ लिख रहे हैं…… मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं उस किसान क़ौम का बेटा हूं…… मैं बागी हो सकता हूं लेकिन, गद्दार होना मेरी फितरत में नहीं है….. मैंने मेरे जीवन में झुकना नहीं सीखा सत्ता पक्ष से मेरे आज भी वही सवाल है…… मलिक ने अपने बयान में यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि उनकी आलोचना देश के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल नहीं उठाती…… उन्होंने अपने किसान मूल पर जोर देते हुए कहा कि वे हमेशा सच बोलने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं….. भले ही इसका परिणाम उनकी छवि को नुकसान पहुंचे…… और उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे भारतीय सेना के “ऑपरेशन सिंदूर” का समर्थन करते हैं…… जिसमें सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था….. मलिक ने कहा कि भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर आतंक पर कड़ा प्रहार किया है….. मैं इस कार्यवाही का स्वागत करता हूं…… सभी देशवासी पूरी मजबूती से भारतीय सेना….. और भारत सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं….. जय हिन्द…..
सत्यपाल मलिक की टिप्पणियों ने भारत में एक तीखी राजनीतिक बहस को जन्म दिया…… विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस ने, मलिक के बयानों का समर्थन करते हुए सरकार पर हमला बोला…… कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि हमले से तीन दिन पहले खुफिया जानकारी उपलब्ध थी…… फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई….. और उन्होंने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की ताकि इस चूक की जांच हो सके….. वहीं, केंद्र सरकार ने मलिक के आरोपों का सीधा जवाब देने के बजाय अपनी कार्रवाइयों पर ध्यान केंद्रित किया…… सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने, पाकिस्तानी उड़ानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र को बंद करने….. और कई पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए……
बता दें कि सोशल मीडिया पर मलिक की ट्रोलिंग ने यह भी दिखाया कि भारत में राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर कितनी जल्दी ध्रुवीकरण हो जाता है…… कुछ लोग मलिक को एक साहसी आवाज के रूप में देखते हैं…… जो सत्ता के सामने सच बोलने से नहीं डरते…… जबकि अन्य उन्हें अवसरवादी मानते हैं…… जो अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए विवादास्पद बयान दे रहे हैं….. सत्यपाल मलिक का भारतीय जनता पार्टी के साथ लंबा इतिहास रहा है…… वे 2012 में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और 2017 में बिहार के राज्यपाल नियुक्त किए गए…… 2019 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई…… हालांकि, बाद में उन्हें गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में स्थानांतरित किया गया…… जिसे कुछ विश्लेषकों ने उनके “डिमोशन” के रूप में देखा……



