अमर होने का फॉर्मूला ढूंढ रहे इस देश के वैज्ञानिक
स्पेन के शोधकर्ताओं ने जैलीफिश के डीएनए को डिकोड करने में कामयाबी हासिल की है. शोधकर्ताओं ने डीएनए से कुछ अहम प्वाइंट हासिल किए हैं, जिनमें लंबी उम्र का राज छिपा हुआ है. यूनिवर्सिटी ऑफ ओविएडो के डॉक्टर कार्लोस लोपेज ओटिन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने बेहद खास जैलीफिश के डीएनए को मैप किया है. इसके जरिए उन्होंने लंबी उम्र के फॉर्मूले को समझने की कोशिश की है. इस संकेत से इंसानों की उम्र बढ़ाने में मदद मिल सकती है. यह स्टडी प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में छपी है.
शोधकर्ताओं ने टूरितोपसिस डोहरनी के साथ उसकी सहयोगी टोरितोपसिस रूबरा के सिक्वेंस के जरिए यह पता लगाया कि ये आपस में मिल जाते हैं या फिर अलग हो जाते हैं. रूबरा डोहरनी के काफी करीबी है, लेकिन उसमें सेक्सुअल रिप्रॉडक्शन के बाद खुद की कायाकल्प करने की क्षमता नहीं है. शोध में पता चला कि टूरितोपसिस के जीनोम में वैरिएशन है, जिससे वह कॉपी करने और ष्ठहृ्र को रिपेयर करने की क्षमता है. टेलोमेरेस नाम के क्रोमोसोम्स के अंत में यह ज्यादा बेहतर दिखने लगता है. इंसानों में देखा गया है कि टेलोमेर उम्र के साथ इंसानी शरीर में घटता जाता है. बयान में कहा गया है कि कायाकल्प और अमरत्व के लिए कोई एक चीज नहीं बल्कि कई चीजें मिलकर काम करती हैं.
जैलीफिश की तरह ही टी. डोहरनी की लाइफ साइकिल दो पार्ट की होती है. पहले पार्ट में वह समुद्र की तलहटी में जीती है, जहां पर इसका प्रमुख काम खाने की कमी को झेलते हुए बस जिंदा बने रहना होता है. जब परिस्थितियां ठीक होने लगती हैं तो जैलीफिश सैक्सुअली एक्टिव हो जाती है. हालांकि कई प्रकार की जैलीफिश में फिर से जवान होने की क्षमता भी होता है और वे खुद को लार्वा स्टेज तक ले आते हैं. मगर टी. डोहरनी के साथ ऐसा नहीं है. ऐसा नहीं है कि इस रिसर्च के बाद अमर होने का फॉर्मूला ढूंढ निकाल लिया जाएगा बल्कि इससे भविष्य में शोध को समझने में मदद मिलेगी.