‘सामना’ में BJP पर तीखा हमला, मोदी को बताया औरंगजेब !

मुंबई। देश के अंदर लोकसभा चुनावों का बिगुल पूरी तरह से बज चुका है। अब  पहले चरण के मतदान में भी ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। इसलिए सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। क्योंकि अब चुनावी रणभूमि पूरी तरह से तैयार है। राजनीतिक दलों द्वारा उम्मीदवारों का चयन और उनकी घोषणा करना लगातार जारी है। सीट बंटवारे पर भी लगातार चर्चाएं चल रही हैं और उसे फाइनल किया जा रहा है। इस बीच देश में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र में भी सियासी हलचल लगातार तेज है। और सभी दल अब प्रदेश में अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।

सभी राजनीतिक दलों का मकसद है कि मजबूत प्रत्याशियों को उतारकर लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की जा सके,. हालांकि, इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की हुई गिरफ्तारी ने पूरे देश की सियासत में एक नया उबाल ला दिया है। जिसके चलते पूरे देश में सियासी हलचल तेज हो गई है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है और केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है निशाना साध रहा है। विपक्ष एक सुर में केजरीवाल की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला और तानाशाही सरकार के तानाशाह का डर बता रहा है।

इसी क्रम में शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। संजय राउत ने सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है, यहां कभी भी किसी की भी गिरफ्तारी हो सकती है। मीडिया से बात करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा के लिए यह चुनाव कठिन होने वाला है। इसलिए उन्होंने लोगों को चोट पहुंचाना जारी रखा है। आज इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। यहां किसी की भी गिरफ्तारी हो सकती है। भारत में जो पैटर्न चल रहा है, वही रूस और चीन में भी है। लोगों ने अरविंद केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री चुना है, इसलिए उनकी किस्मत का फैसला भी जनता ही करेगी।

वहीं अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना यूबीटी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में भी कई सवाल उठाए हैं। ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया कि भारतीय लोकतंत्र के और कितने चीथड़े उड़ने बाकी हैं? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके सरकारी घर में घुसकर ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल के पास पूर्ण बहुमत है। पंजाब में उनकी ‘आप’ पार्टी की सरकार है, लेकिन लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने ‘इंडिया एलायंस’ के साथ गठबंधन कर लिया।

इससे दिल्ली और हरियाणा में बीजेपी को बड़ा झटका लगेगा. केजरीवाल को कांग्रेस के साथ जाने से रोकने के लिए ईडी के जरिए दहशत फैलाई गई। ‘सामना’ ने आगे लिखा कि जब केजरीवाल ने बीजेपी के सामने झुकने से इनकार कर दिया तो ईडी ने उनके सरकारी आवास में घुसकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शराब घोटाला वगैरह सब बहाना है। अगर केजरीवाल ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी की ‘वॉशिंग मशीन’ से हाथ मिला लिया होता तो अजीत पवार की तरह उन्हें भी बीजेपी के नए शंकराचार्य के तौर पर नियुक्त कर दिया गया होता।

सामने ने केजरीवाल के बहाने केंद्र की मोदी सरकार पर विपक्षी नेताओं को परेशान करने और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। इस दौरान ‘सामना’ ने अपने संपादकीय में आगे लिखा कि इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इसी तरह ईडी ने गिरफ्तार किया था। जब जनता की पूर्ण बहुमत से चुनी गई सरकारों को उखाड़ा नहीं जा सकता, तब ईडी जैसे तंत्र का उपयोग करके केवल विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने की नीति मोदी-शाह सरकार ने अपनाई है। इसे ही तानाशाही कहते हैं। रशिया या चीन जैसे देशों में, विरोधियों को आसानी से गायब कर दिया जाता है या मार दिया जाता है।

हमारे देश में लोकतंत्र की बदहजमी के चलते विरोधियों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर उन्हें महीनों जेल में डाल दिया जाता है। ‘सामना’ ने लिखा कि देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव भयमुक्त वातावरण में पारदर्शी तरीके से होंगे, ऐसी घोषणा इलेक्शन कमीशन ने की है, लेकिन जब आचार संहिता लागू हो गई है तो चुनाव में हिस्सा लेनेवाली सरकार विरोधियों का इस तरह से गला घोंटने को इसे किस तरह का संकेत समझा जाए? विपक्ष को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए यह चल रहा आतंकवाद है। औरंगजेब या तो अपने विरोधियों को दंडित करता था या उन्हें यमसदन भेजता था। मौजूदा केंद्र सरकार में भी वही औरंगजेबी प्रवृत्ति देखने को मिल रही है।

बता दें कि इससे पहले संजय राउत ने भी पीएम मोदी की तुलना औरंगजेब से की थी। जिस पर भाजपा व प्रदेश के सीएम एकनाथ शिंदे ने आपत्ति जताते हुए इसे राष्ट्र का अपमान बताया था। अब सामना ने एक बार फिर मोदी सरकार को लेकर औरंगजेब का जिक्र किया है और उसके शासन से मोदी सरकार की तुलना की है।

वहीं उद्धव ठाकरे की पार्टी ने ‘सामना’ के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर भी भाजपा पर जमकर निशाना साधा। सामना में आगे लिखा गया कि ईडी का आरोप है कि केजरीवाल एक राजनीतिक पार्टी चलाते हैं और उन्होंने शराब ठेकों के बदले चंदा लिया। लेकिन इस तरह हजारों करोड़ रुपए का चंदा बीजेपी के खाते में भी जमा हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड घोटालों से बीजेपी के चेहरे पर खरोंच आ गई। जिन कंपनियों पर ईडी और सीबीआई ने छापे मारे उन कंपनियों से बीजेपी ने जबरदस्ती वसूली कर पार्टी के लिए फंड लिया। आपराधिक धन को घुमा देना ही ‘पीएमएलए’ एक्ट में मनी लॉन्ड्रिंग कहलाता है। इस तरह की मनी लॉन्ड्रिंग बीजेपी ने की, लेकिन बीजेपी और उसके वसूली एजेंट आजाद हैं और केजरीवाल, सिसोदिया, संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है।

2014 से अब तक ईडी की ओर से की गई कार्रवाइयों पर नजर डालें तो 95 फीसदी कार्रवाइयां विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ की गई हैं। ‘सामना’ ने आगे ये भी लिखा कि दिल्ली सरकार ने शराब नीति को लेकर जो फैसले लिए हैं, उससे सरकार को 2,873 करोड़ का नुकसान हुआ है। ईडी ने दावा किया है कि दक्षिण भारत में शराब उद्यमियों को फायदा पहुंचाने के लिए 136 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई और उसके एवज में 100 करोड़ रुपए का फंड स्वीकार किया गया। फिलहाल, ईडी एक अविश्वसनीय भैंसा बन गया है जो मोदी-शाह के चाबुक मारते ही उनको अपना शिकार बनाता है, जिन्हें वे अपना निशाना बनाते हैं। इससे देश का लोकतंत्र, स्वतंत्रता, संविधान नष्ट हो गया है। वर्तमान शासकों की यह नीति खतरनाक है कि कोई विरोधी स्वर रहना ही नहीं चाहिए। यह लोकतंत्र को पूरी तरह खत्म करने की साजिश है।

जाहिर है कि शिवसेना यूबीटी की ओर से अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए देश की मोदी सरकार को काफी लताड़ लगाई है। फिलहाल इतना तो साफ है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है और एकसुर में केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहा है। ऐसे में अब चुनाव से ठीक पहले एक मुख्यमंत्री और विपक्ष के बड़े चेहरे को गिरफ्तार करवा कर भाजपा ने एक बड़ी रिस्क ली है। अब देखना ये है कि क्या केजरीवाल की गिरफ्तारी को सिम्पैथी में बदलकर आम आदमी पार्टी समेत पूरा विपक्ष इसका लाभ उठा पाता है या नहीं। या भाजपा केजरीवाल की गिरफ्तारी को भ्रष्टाचार पर सरकार का बड़ा आघात बताकर चुनावों में खुद इसका लाभ उठा पाएगी। फिलहाल ये तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तो तय है कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर लगातार सवालों में घिरी भाजपा ने चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी कराकर एक बड़ा दांव खेला है और आप समेत पूरे विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे सकता है। जो निश्चित ही चुनाव में बीजेपी की ही मुश्किलें बढ़ा सकता है। आगे क्या होता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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