शशि थरूर ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने हेतु संसद में बिल पेश किया

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए एक बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि हर महिला को शादी के अंदर शारीरिक आजादी और सम्मान का बुनियादी अधिकार मिलना चाहिए.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए एक बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि हर महिला को शादी के अंदर शारीरिक आजादी और सम्मान का बुनियादी अधिकार
मिलना चाहिए. ऐसी सुरक्षा जो हमारा कानूनी सिस्टम देने में नाकाम रहता है. मैरिटल रेप शादी के बारे में नहीं बल्कि हिंसा के बारे में है.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को लोकसभा में मैरिटल रेप को क्रिमिनल बनाने के लिए एक प्राइवेट मेंबर
बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि भारत को अपने कॉन्स्टिट्यूशनल वैल्यूज़ को बनाए रखना चाहिए. इन वैल्यूज
में ‘नहीं का मतलब नहीं’ और ‘सिर्फ़ हां का मतलब हां’ की ओर होना चाहिए. सांसद शशि थरूर ने संसद के निम्न
सदन में दो और प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किए. उन्होंने ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशंस कोड,
2020 में बदलाव करने और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रीऑर्गेनाइज़ेशन की सिफारिश केंद्र को करने के
लिए एक स्टेट और यूनियन टेरिटरीज़ रीऑर्गेनाइज़ेशन कमीशन बनाने के लिए.

सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि मैरिटल रेप को
क्रिमिनल बनाना भारत के लीगल फ्रेमवर्क में एक अहम जरूरत है. उन्होंने भारतीय न्याय संहिता (BNS) में
बदलाव करने और मैरिटल रेप एक्सेप्शन को हटाने के लिए अपना प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. इसमें इस
बात की पुष्टि की गई कि शादी किसी महिला के सहमति देने या न देने के अधिकार को खत्म नहीं कर
सकती.

मैरिटल रेप को अपराध बनाना है जरूरी
शशि थरूर ने कहा कि हर महिला को शादी के अंदर शारीरिक आजादी और सम्मान का बुनियादी अधिकार मिलना चाहिए. ऐसी सुरक्षा जो हमारा कानूनी सिस्टम देने में नाकाम रहता है. मैरिटल रेप शादी के बारे में नहीं बल्कि हिंसा के बारे में है. उन्होंने कहा कि कार्रवाई का समय आ गया है. बिल के मकसद और कारणों के बयान में कहा गया है कि भारत के कानूनी ढांचे में मैरिटल रेप को अपराध बनाना बहुत ज़रूरी है.

उन्होंने कहा कि अभी, भारतीय न्याय संहिता, 2023 का सेक्शन 63, मैरिटल रेप को सज़ा देने लायक अपराध से बाहर रखता है, जिससे पुरुष अपनी पत्नियों के साथ बिना सहमति के सेक्स कर सकते हैं, बशर्ते पत्नी 18 साल से कम उम्र की न हो.

उन्होंने कहा कि यह पुराना कानूनी अपवाद उन पुरुष-प्रधान सोच पर आधारित है जो पत्नियों को संपत्ति के रूप में देखती हैं, जो औपनिवेशिक युग की सोच का बचा हुआ हिस्सा है. उन्होंने कहा कि मैरिटल रेप को क्रिमिनल बनाने में नाकामी ने शादीशुदा महिलाओं को कानूनी तौर पर बेबस कर दिया है, उन्हें बिना शादी की महिलाओं से अलग कर दिया है और यह गलतफहमी बनी हुई है कि शादी से सहमति की जरूरत खत्म हो जाती है. यह महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा और शारीरिक आज़ादी के बुनियादी अधिकारों को कमजोर करता है.

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