महाराष्ट्र में जारी महाभारत, BJP से नाराज शिंदे-अजित पवार

मुंबई। लोकसभा चुनावों को लेकर देश का सियासी तापमान आए दिन बढ़ता जा रहा है। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को ही होना है। जिसमें अब लगभग एक हफ्ते का ही समय बाकी रह गया है। इसलिए राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा चुनावी प्रचार-प्रसार भी काफी तेज हो गया है। हर राजनीतिक दल के बड़े-बड़े चेहरे देश के कोने-कोने में जाकर अपने दल व अपने प्रत्याशी के लिए चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं और अपने-अपने वादों से जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। तो वहीं नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर सियासी हमले और राजनीतिक बयानवाजी भी काफी तेज हो गई है।

इस बीच महाराष्ट्र में भी सियासी पारा हाई है। और प्रदेश की सियासत आए दिन एक नया रूप ले रही है। आए दिन हो रहे सियासी घटनाक्रम में बदलाव को देखते हुए प्रदेश में सभी राजनीतिक दल काफी सक्रिय हो गए हैं। लेकिन इस बीच प्रदेश के सत्ताधारी गठबंधन महायुति में अब तक सीट बंटवारे को लेकर आपसी सहमति नहीं बन पाई है। और अब तक गठबंधन में शामिल तीनों दल भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। जबकि दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सीटों की शेयरिंग हो चुकी है।

तीनों दलों के बीच हुए सीट बंटवारे के तहत प्रदेश की 48 लोकसभा सीटों में से सबसे अधिक 21 सीटें उद्धव ठाकरे की शिवसेना को दी गई हैं। जबकि दूसरे नंबर पर 17 सीटें कांग्रेस के पास हैं। और शरद पवार की एनसीपी को गठबंधन के तहत 10 सीटें दी गई हैं। ऐसे में महाविकास अघाड़ी ने तो अपना सीट बंटवारा कर लिया है। लेकिन सत्ता में होने के बावजूद महायुति में अब तक सीट बंटवारा न हो पाना भाजपा व पूरे सत्ता पक्ष के लिए काफी चिंताजनक स्थिति है। वो भी तब जब विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग का ऐलान हो चुका है और विपक्षी दल अपनी-अपनी तैयारियों में भी जुट गए हैं।

दरअसल, महायुति में सीट बंटवारे पर पेंच इसलिए भी फंसा हुआ है क्योंकि गठबंधन में भाजपा अपना वर्चस्व चाहती है। यही वजह है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों के लिए ज्यादा सीटें छोड़ने को तैयार ही नहीं हो रही है। तो वहीं सहयोगी दल शिवसेना शिंदे गुट व अजित पवार भी अपने-अपने लिए मनचाही सीटें चाह रहे हैं। दरअसल, शिवसेना और एनसीपी के बंटने के बाद अब इन दोनों की इच्छाएं पिछले चुनाव में जो सीटें संयुक्त शिवसेना व एनसीपी के पास थीं, उन्हें भी अपने पास लेने की है।

लेकिन भाजपा है कि वो इन सहयोगी दलों को वो सीटें देने को तैयार ही नहीं है। और न ही गठबंधन में ज्यादा सीटें देना चाह रही है। यही वजह है कि महायुति में अभी तक सीट बंटवारे को लेकर रैंच मची हुई है और तीनों दल किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में सिर्फ एक हफ्ते का ही समय बाकी रह गया है। तब तक महायुति में सीट बंटवारा फाइनल न हो पाना पूरे सत्ता पक्ष के लिए काफी चिंता की बात है।

दरअसल, भाजपा व महायुति के दलों की ओर से ये तो कई दिनों से कहा जा रहा है कि सीट बंटवारा तय हो गया है सब कुछ ठीक है बस औपचारिक ऐलान होना बाकी है। लेकिन सवाल ये ही है कि आखिर ये औपचारिक ऐलान होगा कब ? क्या चुनाव होने के बाद औपचारिक ऐलान करने का इरादा है महायुति का? दरअसल, जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक, महायुति में कुछ सीटों को लेकर सभी दलों में रैंच मची हुई है। इसीलिए गठबंधन में अब तक सीट बंटावारे पर अंतिम मोहर नहीं लग पा रही है। यही वजह है कि कभी शिवसेना शिंदे गुट नाराज बताया जाता है। तो कभी अजित पवार सीट बंटवारे से नाखुश दिखाई पड़ते हैं। अब राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि महायुति में नासिक लोकसभा सीट अजित पवार गुट की एनसीपी को मिलेगी।

जबकि ठाणे लोकसभा सीट को भाजपा अपने पास रखना चाहती है। बीजेपी ने ठाणे लोकसभा सीट की मांग भी की है। अब यही कारण है कि सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना इस बात से खासा नाराज चल रही है कि बीजेपी और एनसीपी ने लोकसभा में उसके दो अहम सांसदों की सीट की मांग की है। दरअसल, ठाणे और नासिक दोनों ही शिवसेना की काफी सॉलिड सीटें रही हैं। यही वजह है कि एकनाथ शिंदे इन दोनों ही सीटों को अपने पास रखना चाह रहे हैं। लेकिन अब जब दोनों में एक भी सीट उन्हें नहीं मिल रही है।

तो एकनाथ शिंदे और उनके नेता व कार्यकर्ता इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं बताए जा रहे हैं। इसलिए महायुति में सीट बंटवारा अभी तक पूरा नहीं हो पा रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से ये भी जानकारी सामने आ रही है कि महायुति गठबंधन में शामिल तीनों घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ दबाव की राजनीति कर रहे हैं। क्योंकि तीनों ही अपनी-अपनी मनचाही सीटों की मांग कर रहे हैं। इसलिए अब तीनों दलों द्वारा एक-दूसरे पर दबाव बनाया जा रहा है।

यही कारण है कि महायुति में सीट बंटवारे की गुत्थी सुलझने का नाम ही नहीं ले रही है। और समय निकलता जा रहा है। महायुति में तीनों दल अभी भी ठाणे, नासिक और सतारा सीटों पर एक-दूसरे पर दबाव बनाने की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। बीजेपी ने मांग की है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के अधिपत्य वाली ठाणे लोकसभा सीट भाजपा को दे दी जाए। जबकि अजित पवार की एनसीपी ने नासिक की सीट देने की मांग की है। ये दोनों महत्वपूर्ण सीटें फिलहाल शिवसेना के पास हैं। और शिवसेना इन दोनों ही सीटों को अपने पास से नहीं खोना चाहती। इसलिए शिवसेना ने इन दोनों सीटों पर अपना दावा छोड़ने से इनकार कर दिया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा के बाद इस बात पर सहमति बनी कि नासिक की सीट एनसीपी को दी जाएगी। ऐसी संभावना है कि छगन भुजबल नासिक में एनसीपी की ओर से उम्मीदवार होंगे। हालांकि, अमित शाह से मुलाकात के करीब पंद्रह दिन बाद भी इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है। दूसरी ओर, ठाणे से भी शिवसेना के पदाधिकारियों ने दबाव के आगे न झुकते हुए ठाणे सीट बीजेपी को देने से इनकार कर दिया है। एक तरफ एनसीपी सतारा सीट बीजेपी के लिए छोड़ने को तैयार दिख रही है। लेकिन इसके बदले में नासिक लोकसभा सीट की मांग की गई है।

हालांकि, नासिक सीट पर आश्वस्त होने के बाद भी उम्मीदवार घोषित करने की इजाजत नहीं मिलने पर एनसीपी ने नाराजगी जताई है। एनसीपी का कहना है कि यदि आश्वासन के बाद भी नासिक सीट उपलब्ध नहीं होती है, तो हमारे पास सतारा लोकसभा क्षेत्र के लिए इच्छुक उम्मीदवार हैं और हम इस सीट से सतारा जिला सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष नितिन पाटिल की उम्मीदवारी की घोषणा करेंगे।

यानी साफ है कि महायुति में महाभारत अभी भी जारी है। और तीनों दल एक-दूसरे पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं। हालांकि, गठबंधन का औपचारिक ऐलान होने से पहले ही महायुति में शामिल तीनों दल भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी कुछ-कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी है। प्रदेश में लोकसभा की कुल 48 सीटों में से अभी तक महायुति गठबंधन से बीजेपी ने 24 उम्मीदवार घोषित किए हैं।

शिवसेना शिंदे गुट ने 10 उम्मीदवार घोषित किए हैं। जबकि अजित पवार की एनसीपी ने अब तक 5 प्रत्याशियों की घोषणा की है। यानी कुल मिलाकर महायुति गठबंधन से अब तक 48 में से 39 उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। और अब सिर्फ 9 सीटों पर उम्मीदवार घोषित करना बाकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी का जिन सीटों पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है, उनमें सिंधुदुर्ग-रत्नागिरी, दक्षिण मुंबई, उत्तर मध्य मुंबई, पालघर, सातारा पर उम्मीदवार घोषित होने बाकी हैं।

वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना ठाणे, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद), मुंबई नार्थ वेस्ट पर उम्मीदवार घोषित कर सकती है। हालांकि, ठाणे लोकसभा सीट को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। जबकि अजित पवार एनसीपी गुट को महाराष्ट्र में 6 सीटें मिलने की संभावना है। उन्हें एक सीट लक्षद्वीप की भी मिल सकती है। बारामती, शीरूर, रायगढ़, धाराशिव, परभणी (एनसीपी अजित पवार पार्टी के कोटे से दो सीट सपोर्टेड राष्ट्रीय समाज पार्टी) लक्षद्वीप की सीट भी अजित पवार गूट को दी गई है।

फिलहाल महायुति में सीट बंटवारे पर महाभारत अभी भी जारी है। जबकि उम्मीदवारों की भी घोषणा दलों द्वारा की जा रही है। ऐसे में चुनाव बिल्कुल सिर पर होने के बाद भी सीट बंटवारा फाइनल न कर पाना भाजपा व पूरे सत्ता पक्ष के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन रहा है। क्योंकि वैसे भी महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की हालत काफी खराब है,. अब देखना है आगे क्या होता है।

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