बीजेपी की दलित विरोधी मानसिकता उजागर, शिवम सोनकर को BHU में नहीं मिला प्रवेश

समाजवादी पार्टी सांसद वीरेंद्र सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस विषय पर विचार करने की जरूरत है.... इसके बाद हमारा प्रयास रहा कि इस पर तत्काल निर्णय लिया जाए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के चंदौली से सांसद वीरेंद्र सिंह ने हाल ही में एक ऐसा दावा किया है…… जिसने राजनीतिक और शैक्षणिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है…… उनका कहना है कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर एक छात्र…… शिवम सोनकर पिछले 12 दिनों से परिसर में आंदोलन कर रहा है……. इस मुद्दे को लेकर सपा सांसद ने न केवल बीएचयू प्रशासन पर सवाल उठाए हैं…… बल्कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के व्यवहार को भी अनुचित करार दिया है…… यह मामला अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप लेता नजर आ रहा है…… जिसमें सपा ने भारतीय जनता पार्टी को घेरने की पूरी कोशिश शुरू कर दी है…..

शिवम सोनकर जो एक दलित छात्र हैं….. उसका दावा है कि उन्हें बीएचयू में पीएचडी प्रवेश से वंचित कर दिया गया……. जबकि वह सामान्य वर्ग में प्रवेश परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रहे थे…… उनके अनुसार नॉन-JRF के तहत रिसर्च एंट्रेंस टेस्ट में अनुसूचित जाति श्रेणी के लिए कोई सीट उपलब्ध नहीं थी…… जिसके चलते उनका प्रवेश खारिज कर दिया गया…… इस अन्याय के खिलाफ वह पिछले 12 दिनों से विश्वविद्यालय के कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठे हैं……. उनका कहना है कि यह निर्णय नियमों के खिलाफ है…… और इसमें जातिगत भेदभाव की बू आती है….. बता दें कि शिवम के इस आंदोलन ने न केवल बीएचयू प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है…… बल्कि छात्रों और सामाजिक संगठनों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है…… सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर कई पोस्ट्स सामने आए हैं……. जहां लोग इसे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी….. और जातिवाद का उदाहरण बता रहे हैं…..

वहीं वीरेंद्र सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्र शिवम से मुलाकात की….. और उनके साथ सपा सांसद प्रिया सरोज…. और छोटेलाल खरवार भी शामिल थे….. इस प्रतिनिधिमंडल ने पहले बीएचयू प्रशासन से बातचीत की…… और छात्र को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया…… सांसद ने कहा कि प्रशासन का रवैया संतोषजनक नहीं था…… और यह साफ दिख रहा था कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है….. इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सामने उठाने का फैसला किया….. आपको बता दें कि वीरेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जब वह…… और उनके साथी सांसद धर्मेंद्र प्रधान से मिलने पहुंचे……. तो मंत्री का व्यवहार बेहद अनुचित था….. और उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री ने न तो उनकी बात को गंभीरता से सुना……. और न ही इस मामले में कोई ठोस आश्वासन दिया…… सपा सांसद के मुताबिक यह व्यवहार न केवल छात्रों के प्रति उदासीनता को दर्शाता है……. बल्कि यह भी दिखाता है कि बीजेपी सरकार शिक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कितनी लापरवाह है……

इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला है…… वीरेंद्र सिंह ने कहा कि बीएचयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की अनियमितताएं बीजेपी की शिक्षा नीतियों की नाकामी का सबूत हैं…… उनका कहना है कि केंद्र सरकार और उसके मंत्री केवल बड़े-बड़े दावे करते हैं…… लेकिन जमीनी हकीकत में छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है…… सपा ने इसे दलित विरोधी नीति का हिस्सा बताते हुए बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाई है….. जिसको लेकर सपा नेताओं का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है….. जब बीजेपी शासित संस्थानों में इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं…… उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार शिक्षा को निजीकरण….. और व्यावसायीकरण की ओर ले जा रही है…… जिससे गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों के लिए अवसर कम हो रहे हैं…… वीरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि अगर जल्द ही शिवम को न्याय नहीं मिला……. तो सपा इस मुद्दे को संसद से सड़क तक ले जाएगी और बड़ा आंदोलन छेड़ेगी……

वहीं दूसरी ओर, बीएचयू प्रशासन का कहना है कि पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में सभी नियमों का पालन किया गया है……. प्रशासन के अनुसार नॉन-JRF श्रेणी में सीटों की संख्या सीमित थी…… और आरक्षण नियमों के तहत SC श्रेणी के लिए कोई सीट उपलब्ध नहीं थी…… उनका दावा है कि यह निर्णय पारदर्शी तरीके से लिया गया….. और इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं हुआ…… हालांकि, छात्र और उसके समर्थक इस दलील को खारिज करते हुए इसे महज बहाना बता रहे हैं…… आपको बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान के व्यवहार को लेकर सपा सांसद ने कई सवाल उठाए हैं….. उनका कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री का इस तरह का रवैया लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है……. वीरेंद्र सिंह ने पूछा कि अगर मंत्री छात्रों की समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं……. तो वह शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का नेतृत्व करने के लायक कैसे हैं….. और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार केवल अपनी छवि चमकाने में लगी है…… जबकि वास्तविक मुद्दों पर उसका कोई ध्यान नहीं है……

वहीं यह मामला अब सिर्फ एक छात्र के आंदोलन तक सीमित नहीं रह गया है….. सपा इसे बीजेपी के खिलाफ एक बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की तैयारी में है…… खास तौर पर उत्तर प्रदेश में…… जहां बीएचयू का बड़ा सांकेतिक महत्व है…… यह मुद्दा दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है…… सपा इसे जातिगत अन्याय और शिक्षा में भेदभाव के मुद्दे से जोड़कर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है….. वहीं, बीजेपी के लिए यह एक चुनौती बन सकता है…… अगर यह मामला और तूल पकड़ता है……. तो पार्टी को न केवल अपनी शिक्षा नीतियों का बचाव करना पड़ेगा…….. बल्कि धर्मेंद्र प्रधान के व्यवहार पर भी सफाई देनी पड़ सकती है……

 

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