गुजरात को लेकर एक्टिव हुए राहुल गांधी, बीजेपी की उड़ी नींद

कांग्रेस पार्टी 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में अपना राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने वाली है... पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ पार्टी नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के अहमदाबाद में 8 और 9 अप्रैल 2025 को होने वाला कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है….. यह अधिवेशन न केवल कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का अवसर है….. बल्कि यह भी तय करेगा कि क्या यह ऐतिहासिक पार्टी….. जो कभी स्वतंत्रता संग्राम की धुरी थी….. अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल कर सकती है….. वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के लिए यह एक ऐसा मौका है…… जहां वह अपने सबसे पुराने प्रतिद्वंद्वी की कमजोरियों को और उजागर कर सकती है….. बता दें कि 64 साल बाद गुजरात में हो रहे इस अधिवेशन को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हैं…… कांग्रेस जहां इसे अपनी विरासत को पुनर्जनन का जरिया मान रही है…… वहीं बीजेपी इसे एक डूबते जहाज की आखिरी कोशिश करार दे रही है……

कांग्रेस जो कभी भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत थी……. आज एक संकटग्रस्त संगठन के रूप में नजर आती है…… 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमजोर पड़ता गया….. कई बड़े नेता जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया…… हिमंता बिस्वा सरमा और जितिन प्रसाद….. बीजेपी में शामिल हो गए….. गुजरात में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है…… जहां पिछले तीन दशकों से वह सत्ता से बाहर है….. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को महज 17 सीटें मिलीं…….. जो बीजेपी के 156 के मुकाबले न के बराबर थीं…… यह स्थिति कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है…..

वहीं अहमदाबाद अधिवेशन इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है……. क्योंकि यह पार्टी के लिए एक मौका है….. कि वह अपनी रणनीति को नए सिरे से परिभाषित करे……. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे “न्याय पथ: संकल्प, समर्पण व संघर्ष” की टैगलाइन दी है….. जो संकेत देती है कि पार्टी सामाजिक न्याय…… और बीजेपी विरोधी एजेंडे को केंद्र में रखना चाहती है……. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अधिवेशन केवल दिखावटी साबित होगा या वास्तव में पार्टी को नई दिशा देगा……

आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है….. जब कांग्रेस गुजरात में अपनी जड़ों को मजबूत करने की कोशिश कर रही है…… 1961 में भावनगर में हुए अधिवेशन के बाद यह दूसरा मौका है…… जब गुजरात इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है…… महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे दिग्गजों की धरती होने के नाते गुजरात कांग्रेस के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखता है……. इस बार अधिवेशन का आयोजन साबरमती रिवरफ्रंट….. और सरदार पटेल मेमोरियल में होगा….. जो गांधी और पटेल की विरासत को याद दिलाता है…… कांग्रेस इसे एक संदेश के रूप में पेश करना चाहती है कि…… वह मोदी-शाह के गुजरात को गांधी-पटेल के गुजरात में बदलना चाहती है……

लेकिन यह प्रतीकात्मकता कितनी प्रभावी होगी……. बीजेपी ने गुजरात को अपने अभेद्य किले में तब्दील कर दिया है…… नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं की मौजूदगी ने बीजेपी को यहां अजेय बना दिया है….. ऐसे में कांग्रेस के लिए यह अधिवेशन केवल भावनात्मक अपील तक सीमित रह सकता है…… वहीं अगर इसे ठोस रणनीति के साथ लागू नहीं किया गया…… अधिवेशन में कांग्रेस का मुख्य फोकस बीजेपी की जनविरोधी नीतियों पर हमला करना होगा…… पार्टी नेतृत्व का मानना है कि केंद्र की मोदी सरकार आर्थिक असमानता, बेरोजगारी…….. और किसानों की बदहाली जैसे मुद्दों पर विफल रही है…….. राहुल गांधी ने हाल ही में गुजरात में कहा था कि कांग्रेस के आधे नेता बीजेपी के हैं……. जो पार्टी के भीतर की अंदरूनी कलह को उजागर करता है……. यह बयान अधिवेशन से पहले एक विस्फोटक संकेत है कि कांग्रेस अपने संगठन को साफ करने की कोशिश कर रही है……

बीजेपी पर हमले के लिए कांग्रेस के पास कई मुद्दे हैं……. पहला, महंगाई और बेरोजगारी….. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में बेरोजगारी दर 2024 में भी 7% से ऊपर बनी हुई है….. दूसरा, किसान आंदोलन और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग, जिसे बीजेपी सरकार ने नजरअंदाज किया…… तीसरा, संविधान पर कथित हमले, जैसे नागरिकता संशोधन अधिनियम…… और वक्फ संशोधन बिल जैसे कदम……. कांग्रेस इन मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश करेगी….

लेकिन बीजेपी इन हमलों का जवाब देने में माहिर है…… वह कांग्रेस को वंशवादी….. और दिशाहीन करार देती आई है…… बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने हाल ही में कहा कि कांग्रेस का अधिवेशन उनकी हताशा का सबूत है…….. वे गुजरात में कुछ नहीं कर सकते…… जहां जनता ने हमें बार-बार चुना है…… बीजेपी यह भी दावा करती है कि उसने गुजरात को विकास का मॉडल बनाया है…… जबकि कांग्रेस केवल खोखले नारे देती है….. कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसका कमजोर संगठन है……. जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया है……. गुजरात में बीजेपी की मजबूत पकड़ के सामने कांग्रेस के पास न तो कोई बड़ा चेहरा है……. और न ही कोई ठोस वैकल्पिक विजन……. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं……. पार्टी के भीतर गुटबाजी भी एक बड़ी समस्या है…….. अधिवेशन में अगर इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया…… तो यह आयोजन केवल औपचारिकता बनकर रह जाएगा…..

वहीं दूसरी ओर बीजेपी की ताकत उसका संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थन है……. बीजेपी ने हर चुनाव में कांग्रेस को पटखनी दी है……. और गुजरात में उसकी जड़ें और गहरी हैं…… कांग्रेस के लिए बीजेपी को चुनौती देना आसान नहीं होगा…… खासकर तब जब उसके पास न तो संसाधन हैं….. और न ही बीजेपी जैसी आक्रामक रणनीति है….. अहमदाबाद अधिवेशन कांग्रेस के लिए एक “करो या मरो” का क्षण है…… अगर पार्टी इस मौके का इस्तेमाल अपनी नीतियों को स्पष्ट करने…… संगठन को मजबूत करने, और युवा नेतृत्व को आगे लाने में कर सके…… तो यह उसकी वापसी का पहला कदम हो सकता है…… लेकिन अगर यह केवल भाषणबाजी और प्रतीकात्मकता तक सीमित रहा….. तो कांग्रेस का पतन और तेज हो सकता है…..

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