विकसित भारत के लिए सबका सहयोग जरूरी – शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत विकसित तब बनेगा, जब हमारा हरेक गांव विकसित बनेगा. हर क्षेत्र में सड़क, खेती उन्नत होगा, हरेक परिवार रोजगार से जुड़ा हो, कोई भी भूखा ना सोए.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्रीय मंत्री एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को सीहोर विदिशा संसदीय क्षेत्र के सीहोर जिले के विकसित भारत संकल्प यात्रा की औपचारिक शुरूआत की।

इस अवसर पर श्री चौहान ने सीहोर जिले के लाड़कुई गांव में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना, वन विभाग की योजनाएं तथा आदिम जाति कल्याण विभाग की योजनाओं के हितग्राहियों से संवाद किया और उनके अनुभव जाने कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सरकार की योजनाओं की जानकारी दी और जनकल्याण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भादाकुई और छींदगांव में जैविक खेती, वाणिज्यिक खेती, उद्यानिकी व स्वरोजगार पर चर्चा की और लाड़ली बहना व लखपति दीदीयों से भी संवाद किया.

शिवराज सिंह ने कहा कि एक ताकतवर और विकसित भारत हमारा लक्ष्य है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘विकसित भारत’ संकल्प मेरे लिए बन गया है, लेकिन भारत विकसित कब बनेगा? भारत विकसित तब बनेगा, जब हमारा हरेक गांव विकसित बनेगा? मतलब ऐसा भारत जहां सड़क, बिजली, पानी का जाल बिछा हो, खेती उन्नत हो, हरेक परिवार रोजगार से जुड़ा हो, कोई भी इस धरती पर भूखा ना सोए. इलाज की बेहर सुविधाएं हों. देश का हर क्षेत्र विकसित हो.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं आज एक अलग उद्देश्य से इस पदयात्रा पर निकला हूं. उन्होंने कहा कि आज उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीज बनाने वाली संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक भी मेरे साथ इस पदयात्रा में आए हैं. ये वैज्ञानिक खेतों में जाकर किसानों से बात करेंगे, उन्हें अनुसंधान के बारे में जानकारी देंगे.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “कृषि एवं किसान कल्याण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता है. कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए अब 29 मई से विकसित कृषि संकल्प अभियान की शुरूआत की जा रही है. इस अभियान के तहत वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें बनाई जा रही हैं. एक टीम में 3 से 4 वैज्ञानिक होंगे जो गांव-गांव जाएंगे. उस गांव की और आसपास के क्षेत्र की जो एग्रोक्लाइमेट कंडिशंस हैं, वहां की मिट्टी में जो अलग-अलग पोषक तत्व हैं, वहां जलवायु परिवर्तन के असर, अलग-अलग फसलों में कीटों का प्रकोप है, इन सभी विषयों को समझकर, वैज्ञानिक, किसानों को सही सलाह देंगे. किसान भी अपने सवाल पूछेंगे. अपनी समस्याएं बताएंगे. ये संवाद एकतरफा नहीं बल्कि दोतरफा होगा.”

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