उत्तराखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदलने के संकेत

देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अचानक दिल्ली पहुंचे और यहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ उनकी मुलाकात को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। इससे पहले चूंकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड के पार्टी अध्यक्ष समेत कई नेताओं को दिल्ली तलब कर चुका है इसलिए इन बैठकों के सियासी संकेत मिल रहे हैं। पिछले दिनों से उत्तराखंड बीजेपी में जिस तरह भितरघात के आरोप लगे और इन आरोपों में सीधे तौर पर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का नाम आया, तो साफ माना जा रहा है कि पार्टी संगठन में बड़ा बदलाव हो सकता है ओर वह भी 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने से पहले ही।

बीजेपी में मतदान के बाद भितरघात के आरोपों को लेकर बवाल खड़ा हो चुका है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर पार्टी के विधायक ही जिस तरह से आरोपों की बौछार कर चुके हैं, उससे साफ तौर पर तय है कि पार्टी के भीतर खेमेबाजी चल रही है और सब कुछ तो दुरुस्त नहीं है। राज्य के नेताओं के एक एक कर दिल्ली जाकर बैठें करने को बीजेपी भले ही मतदान के बाद की समीक्षा बताए लेकिन असल जड़ में सत्ता में वापसी या सत्ता से बाहर होने की सूरत में पार्टी के भीतर होने वाला बदलाव है। धामी के दिल्ली दौरे को सीधे तौर पर उत्तराखंड में पार्टी में फेरबदल के समीकरणों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।

कौन होगा नया प्रदेश अध्यक्ष?

चर्चा है कि सरकार बनने और न बनने, दोनों ही सूरतों में बीजेपी प्रदेश संगठन में बदलाव कर सकती है। सरकार बनी तो मदन कौशिक का मंत्री बनना तय है और नहीं बनी तो भी पार्टी संविधान के मुताबिक 2023 में संगठन के चुनाव होने ही हैं। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? पार्टी में इसको लेकर हो रही लॉबिंग चर्चाओं में है।

पांच साल विकास नहीं, सिर्फ विनाश किया : अंसारी

लखनऊ। बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे हैं लेकिन इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनकी जगह उनके बड़े बेटे अब्बास अंसारी चुनावी मैदान में हैं। ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने मऊ सदर विधानसभा सीट से अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा है। अब्बास अंसारी का कहना है कि विरासत की बात करने वाले लोग खुद अपने गिरेबान में झांक कर नहीं देखते हैं। राजनाथ सिंह के सुपुत्र आज विधायक बनकर बैठे हैं। कल्याण सिंह के परिवार के लोग आज भी मंत्री बन कर बैठे हैं। डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन सकता है, पत्रकार के बेटा पत्रकार बन सकता है, तो नेता का बेटा नेता क्यों नही बन सकता। यह तो जनता के हाथ में है, वो जिसको जिताकर भेजेगी वह जाएगा।

पिता मुख्तार अंसारी के बारे में उन्होंने कहा मेरे पिता, मऊ आवाम की मोहब्बत हैं। साजिश के तहत वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इसलिए हमारे परिवार के बड़े बुजुर्गों ने हमें चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए विधायक को किसी पद पर बैठने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पांच साल विकास नहीं, सिर्फ विनाश किया है। इनको बौखलाहट है.बौखलाहट की हालत यह है कि अब जनता को बुलडोजर से डराने की कोशिश की जा रही है।

 

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