आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ एकजुटता, जीसीसी शिखर सम्मेलन में किये गए बड़े ऐलान
खाड़ी सहयोग परिषद यानी जीसीसी के 46वें शिखर सम्मेलन ने खाड़ी देशों के बीच एकता और सुरक्षा को मजबूत करने का संकल्प लिया। यह सम्मेलन बहरीन के सखिर पैलेस में अभी हाल ही में संपन्न हुआ।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: खाड़ी सहयोग परिषद यानी जीसीसी के 46वें शिखर सम्मेलन ने खाड़ी देशों के बीच एकता और सुरक्षा को मजबूत करने का संकल्प लिया। यह सम्मेलन बहरीन के सखिर पैलेस में अभी हाल ही में संपन्न हुआ। बहरीन के राजा हमाद बिन इसा अल खलीफा की मेजबानी में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान और कतर के नेता एक साथ आए।
सम्मेलन का मुख्य फोकस खाड़ी देशों की सुरक्षा को मजबूत करना और आतंकवाद से लड़ना था। अंत में जारी ‘सखिर घोषणा’ ने इन मुद्दों पर पांच प्रमुख सिद्धांतों को अपनाया। यह घोषणा खाड़ी देशों के लिए एक नई शुरुआत की तरह है, जो क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने में उनकी एकजुटता दिखाती है। आपको बता दें कि जीसीसी की स्थापना 1981 में हुई थी, और यह सम्मेलन उसके 44 साल के सफर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ। नेताओं ने कहा कि खाड़ी देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है, और किसी एक देश पर हमला पूरे समूह के लिए खतरा है। यह घोषणा न सिर्फ सुरक्षा पर बल देती है, बल्कि आर्थिक और राजनीतिक एकीकरण को भी बढ़ावा देती है।
सम्मेलन की शुरुआत बहरीन के राजा के भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय अस्थिरता का जिक्र किया। king हमाद ने कहा कि खाड़ी देशों की समृद्धि और सुरक्षा एक-दूसरे पर निर्भर है। उन्होंने ईरान और इजरायल के बीच तनाव, गाजा संकट और आतंकवाद की बढ़ती धमकी का उल्लेख किया। जीसीसी के महासचिव जसिम मोहम्मद अल बुदीवी ने भी अपनी रिपोर्ट में इन चुनौतियों को रेखांकित किया। सम्मेलन के दौरान नेताओं ने द्विपक्षीय बातचीत की, जिसमें आर्थिक सहयोग और सुरक्षा रणनीतियों पर चर्चा हुई।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एकता पर जोर दिया, जबकि यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई की वकालत की। कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद ने मध्य पूर्व में शांति की जरूरत बताई। ओमान और कुवैत के नेताओं ने भी क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने पर बल दिया। सम्मेलन दो दिनों तक चला, जिसमें विभिन्न समितियों ने रिपोर्ट पेश कीं। अंत में सखिर घोषणा के जरिए सभी फैसले एकत्रित हुए। यह घोषणा अरबी और अंग्रेजी में जारी की गई, जो जीसीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
इस घोषणा के पांच सिद्धांत खाड़ी देशों के भविष्य की दिशा तय करते हैं। पहला सिद्धांत सदस्य देशों के बीच एकीकरण को मजबूत करना है। जीसीसी के संस्थापकों के सपनों को साकार करने के लिए राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का वादा किया गया। नेता मानते हैं कि एकजुट होकर ही वे स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि हासिल कर सकते हैं। दूसरा सिद्धांत क्षेत्रीय सुरक्षा पर केंद्रित है। घोषणा कहती है कि जीसीसी देशों की सुरक्षा अविभाज्य है। अगर किसी एक देश की संप्रभुता पर अतिक्रमण होता है, तो यह पूरे समूह के लिए खतरा माना जाएगा। विदेशी हस्तक्षेप और बल प्रयोग का विरोध किया गया।
तीसरा सिद्धांत आर्थिक एकीकरण पर है। सदस्य देश मुक्त व्यापार क्षेत्र को मजबूत करेंगे, सीमा शुल्क संघ को लागू करेंगे और साझा मुद्रा की दिशा में कदम उठाएंगे। ऊर्जा सुरक्षा और जल संसाधनों का संरक्षण भी इसमें शामिल है। चौथा सिद्धांत सामाजिक और सांस्कृतिक बंधनों को मजबूत करना है। शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा। पांचवां सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर देता है। दोस्त देशों, संगठनों और आर्थिक ब्लॉकों के साथ साझेदारी गहरी होगी। सतत विकास, चरमपंथ और आतंकवाद से लड़ाई, नफरत भरे भाषणों का मुकाबला, सीमा-पार संगठित अपराध से निपटना और बहरीन में स्थित संयुक्त नौसेना बलों का समर्थन इसमें प्रमुख हैं। ये सिद्धांत जीसीसी को एक मजबूत ब्लॉक बनाते हैं।
खाड़ी देशों की सुरक्षा हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। सखिर घोषणा ने इसे स्पष्ट किया कि जीसीसी देश एक-दूसरे के रक्षक हैं। क्षेत्र में ईरान का प्रभाव, हूती विद्रोहियों की गतिविधियां और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष ने सुरक्षा को खतरे में डाला है। घोषणा में कहा गया कि किसी भी सदस्य देश पर हमला पूरे जीसीसी पर हमला है। यह सिद्धांत 2019 के हमलों के बाद और मजबूत हुआ, जब सऊदी के तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले हुए थे। अब जीसीसी ने संयुक्त रक्षा समझौते को अपनाया है। बहरीन में स्थित पेनिनसुला शील्ड फोर्स को मजबूत किया जाएगा, जिसमें 40 हजार सैनिक शामिल हैं।
नौसेना के लिए संयुक्त अभियान बढ़ेंगे, खासकर होर्मुज जलडमरूमध्य में। ऊर्जा सुरक्षा के लिए पाइपलाइनों और बंदरगाहों की निगरानी सख्त होगी। घोषणा ने साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान दिया, क्योंकि हैकिंग और डिजिटल हमले बढ़ रहे हैं। जीसीसी देशों ने इंटेलिजेंस शेयरिंग को बढ़ावा देने का फैसला लिया। इससे वे समय पर खतरे का पता लगा सकेंगे। कुल मिलाकर, सखिर घोषणा ने सुरक्षा को एक सामूहिक जिम्मेदारी बना दिया, जो खाड़ी को सुरक्षित रखेगा।
इतना ही नहीं दोस्तों इस सम्मेलन में क्षेत्रीय मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई। गाजा संकट को लेकर नेताओं ने शर्म एल शेख शांति सम्मेलन के परिणामों का स्वागत किया। उन्होंने युद्धविराम का समर्थन किया, मानवीय सहायता पहुंचाने और पुनर्निर्माण की मांग की। दो-राज्य समाधान को समर्थन देते हुए फिलिस्तीन की संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही। ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम पर चिंता जताई गई। घोषणा में मध्य पूर्व को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया। हथियारों के सामूहिक विनाश को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया। यमन संकट में शांति वार्ता को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
अफगानिस्तान और सीरिया जैसे देशों में स्थिरता के लिए सहायता देने का वादा किया। जीसीसी ने तुर्की और पाकिस्तान जैसे दोस्त देशों के साथ सुरक्षा साझेदारी मजबूत करने का फैसला लिया। इटली के साथ रणनीतिक संबंधों पर बात हुई। बहरीन को यूएन सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए समर्थन मिला। इन चर्चाओं से साफ है कि जीसीसी अब वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका निभाएगा।
आर्थिक एकीकरण सखिर घोषणा का एक मजबूत आधार है। जीसीसी देश दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक हैं, लेकिन अब वे विविधीकरण पर जोर दे रहे हैं। घोषणा में मुक्त व्यापार क्षेत्र को पूरी तरह लागू करने का संकल्प लिया गया। सीमा शुल्क पर 5% की दर तय की गई, जो व्यापार को आसान बनाएगी। साझा मुद्रा ‘खलीजी’ की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। ऊर्जा बाजार को एकीकृत करने के लिए सऊदी और यूएई के बीच पाइपलाइन परियोजनाएं बढ़ेंगी। जल संसाधनों के संरक्षण के लिए संयुक्त प्रोजेक्ट शुरू होंगे।
सतत विकास के लिए हरित ऊर्जा पर निवेश बढ़ेगा। सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष सत्र हुआ, जहां जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति बनी। जीसीसी देशों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य रखा। आर्थिक सहयोग से रोजगार सृजन होगा, खासकर युवाओं के लिए। कतर का वर्ल्ड कप और दुबई का एक्सपो जैसे इवेंट्स ने पर्यटन को बढ़ावा दिया। अब जीसीसी एक साझा पर्यटन वीजा लॉन्च करेगा। इन कदमों से खाड़ी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वैश्विक बाजार में उनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से जीसीसी की एकता मजबूत होगी। घोषणा में शिक्षा के मानकीकरण पर जोर दिया गया। सदस्य देशों के विश्वविद्यालयों के बीच छात्र विनिमय कार्यक्रम शुरू होंगे। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संयुक्त अस्पताल और वैक्सीन शेयरिंग होगी। कोविड महामारी के बाद यह और जरूरी हो गया।
सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए संग्रहालयों का नेटवर्क बनेगा। महिलाओं और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे। ओमान की सांस्कृतिक विरासत और कुवैत की साहित्य परंपरा को साझा किया जाएगा। पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन प्रयासों से जीसीसी के लोग एक परिवार की तरह महसूस करेंगे।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग सखिर घोषणा का पांचवां सिद्धांत है। जीसीसी यूएन, यूरोपीय संघ और एशियाई देशों के साथ साझेदारी बढ़ाएगा। आतंकवाद के खिलाफ यूएस और यूरोप के साथ इंटेलिजेंस शेयरिंग होगी। भारत और चीन जैसे उभरते बाजारों के साथ व्यापार समझौते होंगे। बहरीन की यूएनएससी सदस्यता के लिए समर्थन मिला, जो जीसीसी की वैश्विक आवाज मजबूत करेगा। संयुक्त नौसेना बलों को नाटो जैसे संगठनों से सहायता मिलेगी। मध्य पूर्व को न्यूक्लियर फ्री बनाने के लिए आईएईए के साथ काम होगा। इन साझेदारियों से जीसीसी अकेला नहीं लड़ेगा, बल्कि वैश्विक समुदाय का हिस्सा बनेगा।सखिर घोषणा के प्रभाव लंबे समय तक रहेंगे।
यह जीसीसी को एक सुपर पावर की तरह स्थापित करेगी। सुरक्षा में एकता से क्षेत्रीय युद्ध टल सकते हैं। आतंकवाद से लड़ाई से लाखों जिंदगियां बचेंगी। आर्थिक एकीकरण से जीडीपी दोगुनी हो सकती है। सामाजिक सहयोग से युवा पीढ़ी मजबूत बनेगी। लेकिन चुनौतियां भी हैं। ईरान का विरोध और आंतरिक मतभेद दूर करने होंगे। फिर भी, नेताओं का संकल्प दृढ़ है। यह घोषणा न सिर्फ खाड़ी के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति का संदेश है।



