पीडीए की रणनीति को और मजबूत करने में जुटी सपा

  • बसपा के वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी गड़ाए है नजर
  • बूथ स्तर पर दलित वोटों को लुभाने का काम कर रही पार्टी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूले की बड़ी सफलता के बाद समाजवादी पार्टी लगातार इसे और मजबूत करने में जुटी है। समाजवादी पार्टी की नजर बहुजन समाज पार्टी के वोटबैंक पर हैं। इसके लिए सपा ने बड़े स्तर पर रणनीति तैयार की है। यही नहीं सपा ने अपने नेताओं को खास जिम्मेदारी दी है ताकि वो दलितों के बीच जाकर उन्हें सपा की रीति और नीति की जानकारी दें।
पीडीए को मजबूत करने के लिए पार्टी के नेता दलित वोटरों के साथ संपर्क कर रहे हैं। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उन सीटों पर इस रणनीति के तहत और तेजी से काम किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सपा नेता बूथ स्तर पर दलित मतदाताओं के साथ मेल जोश बढ़ा रहा है। अखिलेश ने सपा नेताओं को इस बात के खास निर्देश दिए हैं कि वो मायावती के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने से परहेज करें और कोई ऐसा बयान न दे जिससे उनके समर्थकों में नाराजगी आए। सपा अध्यक्ष खुद भी अक्सर मायावती को लेकर संभलकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। यही नहीं कई मुद्दों पर वो उनके साथ भी खड़े दिखाई देते हैं।

लद्दाख के मुद्दे को गंभीरता से ले सरकार: अखिलेश

सपा प्रमुख ने सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक का समर्थन करते हुए कहा है कि लद्दाख को बचाने की कोशिश अपनी सीमावर्ती जमीन को बचाना भी है। अगर चारागाह पर धीरे-धीरे दूसरों का कब्जा होता जाएगा तो लद्दाख के पश्मीना चरवाहों की भेड़-बकरियों व उनसे जुड़े उत्पादों के लिए घोर संकट पैदा हो जाएगा। इसका सीधा संबंध लद्दाख के समाज के जीवनयापन से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के मुद्दे को बड़े चश्मे से देखने की जरूरत है। लद्दाख के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता मानना चाहिए। सरकार को बार-बार लद्दाख की परेशानियों और चुनौतियों की याद दिलानी पड़ती है। उन्होंने कटाक्ष किया कि पानी और नमक के सहारे अनशन करने वालों का महत्व भाजपा क्या समझेगी, जो नमक का कर्ज तक चुकाना नहीं जानती। अखिलेश ने कहा कि देश की जनता सोनम वांगचुक के लद्दाख, देश की सीमाओं व पर्यावरण की रक्षा के लिए किये जा रहे संघर्ष में हर तरह से उनके साथ है।

जातीय समीकरण को देखकर तैयार कर रही रणनीति

सपा की रणनीति के तहत जिस सीट पर जिस जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है वहां पर उसी जाति के पदाधिकारी और प्रतिनिधियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। ये लोग ऐसे इलाकों में जाकर लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं, उन्हें सपा की नीतियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। सपा इस रणनीति पर चुपचाप काम कर रही है। सपा नेतृत्व ने स्थानीय इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि जिन बूथों पर पिछले दो चुनाव में कम वोट पड़े हैं, वहां के जातीय समीकरण को देखते हुए रणनीति बनाई जाए। इन जगहों पर उन सीटों के जातीय समीकरण को देखते हुए ही पदाधिकारियों को तैनात किया जाए।

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