ओपी राजभर की सुभासपा में भगदड़, इस्तीफे बने मुसीबत
- अब किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को समाजवादी पार्टी गठबंधन से अलग होने के बाद उनकी अपनी पार्टी के पदाधिकारी एक के बाद एक झटके दे रहे हैं। सोमवार को एक बार फिर कई पदाधिकारियों ने एक साथ सामूहिक इस्तीफा दे दिया। ऐसा करते वक्त उन्होंने राजभर पर पार्टी की मूल नीतियों से भटक जाने का आरोप भी लगाया। इस्तीफा देने वालों में सुभासपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर राधेश्याम सिंह, कुशीनगर के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, जिला प्रभारी बृजेश सिंह, जिला सचिव संजय राजभर सहित कई वरिष्ठ पार्टी नेता शामिल रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी अपने मूल कर्तव्यों को भूल कर दोहरी नीतियों पर कार्य कर रही है। मास्टर राधेश्याम सिंह की अगुवाई में सभी पदाधिकारियों ने सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से अपना इस्तीफा भेजा। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी का गठन गरीबों, दबे कुचले और समाज के उत्थान के लिये किया गया था लेकिन पार्टी की दोहरी नीतियों से कार्यकर्ता आहत हो गये हैं। उन्होंने कहा कि मिशन से भटक चुके नेताओं के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं का विश्वास डगमगाने लगा है। कार्यकर्ताओं के डगमगा रहे विश्वास को संभालने की बजाय नेता अपने हिसाब से निर्णय लेते रहते हैं। नतीजा यह हुआ की पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं का विश्वास पूरी तरह से डिग गया है। वे खुद को ठगा महसूस करने लगे हैं।
इन्होंने भी दिया इस्तीफा
जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, जिला प्रभारी बृजेश सिंह, जिला सचिव संजय राजभर, सुरेंद्र राजभर, बालेश्वर राजभर, राजकुमार सिंह, प्रिंस राजभर, सुजीत राजभर, विनोद सिंह, मुदिं्रका राजभर, गुड्डू राजभर, वीरेंद्र गौंड़, रामायण राजभर, फारुख आलम, अरविंद राजभर आदि पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल रहे।
योगी की राह पर धामी सरकार, अब उत्तराखंड में भी मदरसों का होगा सर्वे
लखनऊ। उत्तराखंड में मदरसों की गतिविधियों का सर्वे किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि सभी मदरसों पर कड़ी नजर रखते हुए सर्वे की कार्रवाई की जाएगी। चिंता जताते हुए कहा कि इन्हें लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं। ऐसे में इनकी जांच कराई जानी बहुत जरूरी हो गई है। सीएम धामी ने सचिवालय में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में ये बातें कहीं। कहा कि उत्तराखंड में मदरसों के कामकाज, गतिविधियों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके लिए सभी मदरसों की जांच होगी। यूपी की तर्ज पर सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा। ऐसे में उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे जरूरी हो गया है। इसके लिए जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बता दें कि मदरसों पर सीएम के बयान से ठीक एक दिन पहले सोमवार को भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता एवं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि कलियर इलाके के कुछ होटलों और ढाबों में ड्रग्स, सेक्स रैकेट और मानव तस्करी हो रही है। लोगों के सहयोग से इनका सफाया किया जाएगा। शम्स ने कहा, सरकार और पुलिस के संज्ञान में ये मामले हैं। पुलिस लगातार वहां पर काम कर रही है और कई गिरफ्तारियां कर चुकी है। उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं। कलियर के रहने वाले भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष ने भी उन्हें जानकारी दी। शादाब ने दावा किया कि अवैध कामों से क्षेत्र के लोग आजिज आ चुके हैं। कई लोग तो इन अवैध गतिविधियों के चलते घर छोड़ने को विवश हैं। शादाब ने कहा कि कलियर क्षेत्र में बहुत अच्छे लोग भी रहते हैं, उनको साथ लेकर इस गंदगी को साफ करने का काम किया जाएगा।
ममता सरकार को राहत, दुर्गा पूजा समितियों को अनुदान देने की मंजूरी
कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत देते हुए दुर्गा पूजा समितियों पूजा अनुदान के वितरण की अनुमति दे दी है। बंगाल में दुर्गा पूजा समितियों को वित्तीय अनुदान देने संबंधी ममता सरकार के फैसले के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिकाओं पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 8 सितंबर को ही सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ अनुदान राशि का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इसको लेकर छह सूत्रीय सख्त दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। ममता बनर्जी ने इस साल राज्य की 43,000 दुर्गा पूजा समितियों को 60,000 रुपये का अनुदान देने की घोषणा की थी। बता दें कि कोलकाता की प्रतिष्ठित दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया है। कलकत्ता हाई कोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल कर पूछा गया था कि राज्य की 43000 दुर्गा पूजा समितियों को 60,000 रुपये का सरकारी अनुदान क्यों दिया जा रहा है?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं दे पा रही है, लेकिन 43000 पूजा समितियों को 60,000 रुपये का वित्तीय अनुदान देने के लिए उसके पास पैसा है। कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने इन याचिकाओं पर 29 अगस्त को सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्य सरकार 5 सितंबर तक एक हलफनामा पेश करे और पूजा समितियों को अनुदान देने का कारण बताए। पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने 8 सितंबर को मामले में सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट को बताया कि पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर के विकास और जनता व पुलिस के बीच बेहतर तालमेल संबंधी व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए दुर्गा पूजा समितियों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली अनुदान राशि का इस्तेमाल होगा. इस पर हाई कोर्ट ने पूछा कि आप जो दावा कर रहे हैं, उसी काम के लिए दुर्गा पूजा समिति इन पैसा का इस्तेमाल करेंगी, यह सुनिश्चित करने का क्या रास्ता है? इसके जवाब में सोमेंद्र नाथ मुखर्जी ने बताया कि खर्च का पूरा हिसाब और बिल वाउचर लिया जाएगा, जिन समितियों को अनुदान प्राप्त करना है, उन सभी ने बिल वाउचर देने पर सहमति जताई है। जो पूजा समितियां खर्च का ब्योरा नहीं देंगी, उन्हें अनुदान भी नहीं मिलेगा।