सदन में विपक्ष का जोरदार हंगामा, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बजट सत्र के तीसरे दिन संसद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के सांसदों ने जमकर हंगामा काटा। विपक्ष के हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और अडानी ग्रुप पर चर्चा को लेकर हंगामा शुरू किया। जिसके बाद पीठासीन ने सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। वहीं संसद की कार्यवाही स्थगित होने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला भी बोला। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने मिलकर आर्थिक नीति में घोटालों के खिलाफ सदन में आवाज उठाने का निर्णय लिया है। इसी को लेकर हमने बिजनेस ऑवर सस्पेंड करने का नोटिस दिया और सदन में चर्चा के लिए अनुमति मांगी। खडग़े का कहना है कि हमारी मांग यही थी कि बिजनेस ऑवर को सस्पेंड कर चर्चा की जाए। लेकिन हमारे नोटिस हमेशा रिजेक्ट किए जाते हैं। महत्वपूर्ण मुद््दों पर हमें चर्चा का मौका नहीं दिया जाता है। इसीलिए हम सभी ने मिलकर यह तय किया कि सदन के भीतर एक सुर में आवाज उठाएंगे और आज एलआईसी में जिन करोड़ों लोगों का रुपया लगा है, उसको लेकर बात करेंगे। बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को अपने दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया था। जिसमें नौकरीपेशा वालों से लेकर गरीब-किसान और महिलाओं तक के लिए कई ऐलान किए। जाहिर है कि इस बजट में दी गई रियायतें अगले लोकसभा चुनाव में मतदाता को लुभाने के उद््देश्य से हैं। लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों ने इसे आमजन का बजट बताया है, जबकि विपक्ष इसे चुनावी बजट बता रहा है। पूरा विपक्ष इस चुनावी बजट को लेकर सरकार पर हमलावर है। एक बात तो साफ है कि चुनावी राजनीति के हिसाब से देखें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की तरफ से लोगों को जो भी तोहफा दिया है, वो तो सीधे-सीधे मोदी के खाते में ही दर्ज हो रहा है। बजट प्रावधानों को देखते हुए स्पष्ट कहा जा सकता है कि यह बजट 9 राज्यों के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बनाया गया है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि केन्द्र सरकार आम जनता पर करों का बोझ तो नहीं डाल रही है, लेकिन बजट में चतुराई के साथ आगे की जेब में पैसा डालकर पीछे की जेब से निकालने की तकनीक प्रभावी रहेगी। जानकार कहते हैं कि मोदी सरकार ने 26 मई 2014 से केन्द्र की सत्ता संभाली है। साढ़े आठ साल में सरकार से जनता की नाराजगी अब खड़ी हो रही है और लग रहा है कि इसकी गंभीरता को केन्द्र सरकार भी समझ रही है।
संसद में बैठे थे विदेशी सांसद और शुरू हो गया हंगामा
आज 11 बजे जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, शोरशराबा गूंजने लगा। यह सब ऐसे समय में हुआ जब अफ्रीकी देश जांबिया से विदेशी मेहमान संसद में बैठे थे। वे लोकसभा की कार्यवाही देखने आए थे और हमसे सीखने-समझने आए थे लेकिन उन्होंने जो देखा उसकी उम्मीद शायद उन्होंने नहीं की होगी। 3-4 मिनट में ही बवाल इतना बढ़ा कि स्पीकर को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
मोदी सरकार जेबकटवा सरकार है। सरकार लोगों की जेब से हजार रुपये लेकर उन्हें 200 रुपये देती है।
अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस सांसदजिस व्यक्ति पर इतना बड़ा आरोप लगा वो हिंदुस्तान का झंडा लेकर कहता है कि ये भारत पर हमला है। जिस मुल्क में आर्थिक प्रणालियां ऐसी हो जाएं कि व्यक्ति डूब जाए, तो फिर बचेगा क्या।
मनोज झा, आरजेडी सांसदहमारी मांग यही थी कि बिजनेस ऑवर को सस्पेंड कर चर्चा की जाए। लेकिन हमारे नोटिस हमेशा रिजेक्ट किए जाते हैं। महत्वपूर्ण मुद््दों पर हमें चर्चा का मौका नहीं दिया जाता है। मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस अध्यक्ष
बजट में किसानों के खिलाफ साजिश: टिकैत
- कहा-आने वाले पांच से सात साल में किसानों की जमीन नीलाम होगी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। किसानों की मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में चल रहे भारतीय किसान यूनियन के अनिश्चितकालीन धरने का गुरुवार को छठा दिन है। बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने संसद में बजट पेश किया, जिसे अमृतकाल का पहला बजट बताया जा रहा है। इस बजट पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने नाराजगी दिखाई है। उन्होंने कहा कि किसान, मजदूर और आदिवासियों के लिए इस बजट में कुछ नहीं है। बजट में किसानों का कर्ज बढ़ाने की बात कही गई है। राकेश टिकैत ने कहा कि इस बजट से कंपनियों को फायदा होगा और किसानों का कर्ज बढ़ेगा।
राकेश टिकैत की मानें तो इनकम टैक्स में छूट की सीमा सात लाख तक बढ़ाने से कुछ लोगों को फायदा तो हुआ है। लेकिन, गांवों में रहने वाले मजदूरों और किसानों को कुछ नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों का कर्ज बढ़ाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां होंगी, इस बजट में उनको फायदा होगा। एग्री बेस्ट बनी नयी कंपनियों को इस बजट से जरूर फायदा होगा। लेकिन किसानों पर कर्जा बढ़ाया गया है। इस बजट में किसानों को तो कर्ज देने की बात कही गयी है। अब वह कर्ज किसान कैसे उतारेंगे। धीरे-धीरे उनकी जमीन जाएगी। इस साजिश का मुझे पहले से ही पता था। कृषि उत्पादों का भाव बढ़ाना चाहिए था, एमएसपी गारंटी कानून बनना चाहिए था। पानी के ऊपर चर्चा होनी चाहिए। लेकिन इन मुद्दों पर बजट नहीं है। पानी मोल मिलेगा। बिजली के रेट हाई होंगे और फसलों की कीमतें कम रहेंगी। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच से सात साल में किसानों की जमीन नीलाम होगी। बैंकों के पास में बड़ा लैंड बैंक बनेगा। यही इस सरकार की साजिश है।आज तो किसान सरकार से अपनी जान बचाने की अपेक्षा कर रहा है। किसान की तो जान ही बच जाए, वही बहुत बड़ी बात है।
मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलने चाहिए
बीजेपी वाले तो धर्म का झगड़ा करवाएंगे ही। इनका तो काम ही यही है। हां, सारे हिंदू उधर चले गए। उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदू संगठन वाले क्या कर रहे हैं। सारे हिंदू बौद्ध धर्म में जा रहे हैं। मंदिरों के कपाट सबके लिए खुलने चाहिए। मंदिर पूजा स्थल है। पहले सबके मंदिर एक होते थे। आज मंदिर अलग-अलग हो रहे हैं। इस तरह से इनकी योजनाएं पूरी नहीं होने की आपस में झगड़े ही होंगे। हां, इन विवादों से हम तो दूरी बनाए हुए हैं। हमें तो अपनी जान बचानी ही भारी हो रही है।