एलजी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

  • दिल्ली में पेड़ों की कटाई पर उपराज्यपाल की भूमिका की निंदा
  • अदालत ने पूछा- क्या उपराज्यपाल खुद को अदालत समझते हैं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना खुद को अदालत समझते हैं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में एलजी की भूमिका की निंदा की। साथ ही दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले ही दिन बता देना चाहिए था कि एलजी ने पेड़ काटने के आदेश दिए थे।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि याचिका यहां लंबित होने के बावजूद पेड़ों की कटाई की अनुमति देने में एलजी ने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। पीठ ने एलजी की भूमिका को छिपाने के प्रयास की भी निंदा की। जस्टिस ओका ने कहा, पहली तारीख को हमें बताया जाना चाहिए था कि एलजी ने निर्देश दिए थे। एलजी की भूमिका हमें तब ही समझ में आ गई थी जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी खुद हमारे सामने आए थे। पीठ ने कहा, हलफनामे से पता चलता है कि डीडीए ने एलजी से अनुमति मांगी थी। एलजी ने भी पूरी तरह से दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने मान लिया कि दिल्ली सरकार के पास ‘ट्री ऑफिसर’ की शक्ति है। पीठ ने सवाल किया कि क्या डीडीए के अधिकारियों ने एलजी को बताया था कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेना जरूरी है।

केजरीवाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकारा

शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी की गिरफ्तारी से जमानत देने का फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत मिली गिरफ्तारी की शक्ति जांच के उद्देश्य के लिए नहीं है। इस शक्ति का प्रयोग केवल तभी किया जा सकता है, जब संबंधित अधिकारी उपलब्ध तथ्यों के आधार पर लिखित में कारण दर्ज करने के बाद यह राय बनाने में सक्षम हो कि गिरफ्तार व्यक्ति दोषी है। यह कानूनी रूप से अनिवार्य है। गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के विश्वास योग्य कारण बताना भी कानूनी रूप से अनिवार्य है। पीठ ने कहा, गिरफ्तारी के लिए इंतजार किया जा सकता है और किया जाना चाहिए।

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