योगी वर्सेज मोदी में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दी बाजी, INDIA ने बड़ा खेल कर दिया!
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है.... सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई को रोके.... जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है.... ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः सावन का महीना शुरू हो गया है और इसी के साथ पवित्र कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है….. वहीं कावड़ियां गगरियों में गंगाजल लिए श्रद्धालुओं की लाइनें सड़कों पर आज से नजर आने लगेंगी…. शिव भक्ति में लीन इन श्रद्धालुओं को लोग ‘भोले’ कहते हैं…. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी हार को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की जमकर फजीहत हो रही है… विपक्ष के साथ-साथ अपने ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है… वहीं अपनी पोजीशन को और मजबूत बनाने के लिए योगी सरकार ने कावड़ यात्रा के रास्तों में पड़ने वाली दुकानों के मालिकों के नाम लिखने का फरमान जारी किया था… जिसके बाद से ही विपक्ष सरकार पर जमकर हमलावर हो गया था… और प्रदेश में विवाद ने तूल पकड़ लिया था… और इससे जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया… आपको बता दें कि योगी सरकार के फैसले की चारों तरफ जमकर आलोचना हो रही थी… वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नेम प्लेट मामले पर सुनवाई करते हुए… उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों को अनिवार्य रूप से नेमप्लेट लगाने के फैसले पर… सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी… वहीं सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के बाद दुकानदारों में खुशी की लहर है…. दुकानों से अब नेमप्लेट हटने लगी हैं…. सर्वोच्च अदालत ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है…. इस मामले में अब 26 जुलाई को अगली सुनवाई होगी…
वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है…. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि जिस समय मुझे जानकारी मिली थी तभी मैंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इसे संज्ञान में ले और ऐसी कार्रवाई को रोके…. जैसे दिया बुझने से पहले फड़फड़ाता है…. ये सांप्रदायिक राजनीति का दिया फड़फड़ा रहा है… इसलिए ऐसे फैसले ले रहे हैं…. सांप्रदायिक राजनीति खत्म होने जा रही है इसका दुख भाजपा को है…. एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है…. सभी को मानना पड़ेगा…. जो काम हिटलर ने किया था…. वहीं काम आप यहां कर रहे हैं…. ये देश धर्म से चलेगा या संविधान से… सरकार किसी एक समुदाय की नहीं, सभी समुदायों की है….
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के बाद संगठन… और सरकार के बीच सियासी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है….. विपक्षी दलों को छोड़िए, योगी सरकार अपने ही नेताओं के निशाने पर है…. बीजेपी नेताओं और विधायकों से लेकर सहयोगी दल भी सवाल खड़े करने लग गए हैं….. सीएम योगी के गोरखपुर क्षेत्र के दो बीजेपी विधायकों ने अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई है….. तो सहयोगी दलों के नेता ओबीसी और आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं…. इस तरह से योगी सरकार अपनों से ही घिर गई है…. आपको बता दें कि दो हजार चौबीस के चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में बासठ लोकसभा सीटों से घटकर तैंतीस सीट पर आ गई है…. इस तरह लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा जख्म उत्तर प्रदेश से मिला है…. इसके चलते लखनऊ से दिल्ली तक लगातार मंथन का दौर जारी है…. लेकिन एक्शन कुछ नहीं हो रहा है…. योगी को सीएम के पद से हटाने के लिए पूरा प्लान तैयार है… लेकिन उनको हटाने के लिए मोदी और शाह को कोई खास वजह नहीं मिल पा रहा है… जिससे योगी को कुर्सी से हटाकर केशव प्रसाद मौर्य को सीएम की कुर्सी पर सुशोभित कर सके… बता दे कि बीजेपी इसी तलाश में लगी हुई है कि योगी द्वारा कहीं से भी किसी भी तरह से कोई चूक हो… बस उनको सीएम पद से हटा दिया जाए… इस बीच योगी आदित्यनाथ खुद को और मजबूत करने के लिए कावड़ यात्रा के रास्तों की दुकानों पर नेमप्लेट का आदेश जारी कर दिया… जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी…
बता दें कि योगी सरकार के विधायकों ने ही सीएम योगी पर हमला बोलना शुरू कर दिया है… और यूपी में कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है… और बीजेपी के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सरकार से सुरक्षा की मांग की थी…. और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे…और उन्होंने योगी सरकार के गोरखपुर पुलिस-प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए उनकी हत्या के लिए एक करोड़ रुपए चंदा जुटाने वाले शख्स के साथ गोरखपुर पुलिस के मिले होने का आरोप लगाया…. बता दें कि उन्होंने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है….. वहीं, बीजेपी के एक और विधायक श्रवण निषाद ने अपनी जान की गुहार लगाई है…. वहीं इन सभी उठापटक के बीच बीजेपी के विधायकों द्वारा अपनी सुरक्षा की गुहार लगाना प्रदेष में लॉ औ एंड ऑर्डर पर सवाल उठा रहा है… आपको बता दें कि विधायक श्रवण निषाद, निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बेटे हैं… जिन्होंने भी यूपी पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं… और कहा कि मेरी जान को खतरा होने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को हटा दिया है….. उनकी सुरक्षा को हटाकर प्रशासन साजिश कर रहा है….. फतेह बहादुर सिंह और श्रवण निषाद दोनों ही विधायक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर जिले से ही हैं…. ऐसे में यूपी प्रशासन पर सवाल खड़े करके विपक्ष के हाथों में योगी सरकार को घेरने के लिए मौका दे दिया है…..
वहीं लोकसभा चुनाव के बाद से योगी सरकार और बीजेपी के सहयोगी दल आमने-सामने हैं…. अपना दल (एस) की प्रमुख और केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने सत्ताइस जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था…. इसमें उन्होंने प्रदेश सरकार की भर्तियों में आरक्षण का पालन न करने का आरोप लगाया…. इसको उन्होंने चुनाव में एनडीए के प्रदर्शन से जोड़ दिया…. जानकारी के अनुसार अनुप्रिया पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में आरक्षित पदों को अनारक्षित घोषित किए जाने की व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की थी…. और उन्होंने साक्षात्कार के आधार पर होने वाली भर्तियों में ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग की भर्ती नहीं करने का आरोप लगाया था…. इसके बाद अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि…. ओबीसी के मुद्दों को मोदी सरकार हल करने में कामयाब रही…. लेकिन योगी सरकार ओबीसी के मुद्दों को हल नहीं कर सकी….
आपको बता दें कि अनुप्रिया पटेल ही नहीं निषाद पार्टी के नेता और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने भी योगी सरकार को निशाने पर लिया…. और उन्होंने कहा था कि कुछ अधिकारी अंदर से साइकिल, हाथी और पंजे वाले हैं और ऊपर कमल है…. वो मौका पाते ही, डस लेते हैं…. सीएम योगी के बुलडोजर नीति पर भी सवाल खड़े करते हुए संजय निषाद ने कहा था कि इस वक्त पर आप बुलडोजर चलवाएंगे…. लोगों के घर गिराएंगे… तो वे वोट देंगे क्या…. इसके अलावा वे ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए नजर आए थे…. और उन्होने जातिगत जनगणना करान की मांग की थी… ऐसा पहली बार नहीं है… जब अपने सहयोगी ही एक सुर में आवाज उठा रहें है… आपको बता दें कि बीजेपी की सभी रणनीति पर पानी फिर गया… दो हजार चौदह से सत्ता में काबिज मोदी को अपने ऊपर अहंकार हो गया था जिसका जनता ने करार जवाब दे दिया… और बीजेपी बहुमत से बहुत दूर रह गई… और तीन सौ तीन सीट से दो सौ चालीस सीट पर आ गई… जिसके बाद सहयोगियों के सहारे तीसरी बार सत्ता में काबिज हुई… लेकिन जनता के बीच में खत्म हुआ बीजेपी के क्रेज का फायदा अब सहयोगी दल उठा रहें है… लगातार दो बार पूर्ण बहुमत हांसिल करने के बाद मोदी ने किसी भी सहयोगी दल की नहीं सुना… सिर्फ अपने ही मन का किया… जिसके चलते अपनी उपेक्षा हुई… और अब सभी सहयोगियों को अपना हिसाब किताब करने का मौका मिला है… और अब सभी सहयोगी दल जमकर अपनी आवाज उठा रहें है…
वहीं केशव प्रसाद मौर्य के सुर में सुर मिलाते हुए सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि कोई भी संगठन कार्यकर्ता से होता है…. निश्चित तौर पर संगठन से ही सरकार बनती है…. इसलिए जब संगठन नहीं होगा तो सरकार भी नहीं खड़ी रहेगी…. और उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जो कहा था संगठन सरकार से बड़ा होता है…. तो यह बात बिलकुल सही है, वे इसका समर्थन करते है…. वहीं कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाले ढाबे, दुकान और खाने-पीने के ठेलों पर दुकानदार के नाम लिखने का फरमान योगी सरकार ने जारी किया था…. जिसे लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं…. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि कांवड़ यात्री जाति और धर्म की पहचान कर किसी दुकान पर सेवा नहीं लेता है…. इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए… ज्यादा समझ कर फैसला नहीं लिया. अब फैसला ले लिया तो उसके ऊपर सरकार टिकी हुई है…. कभी-कभी सरकार में ऐसा हो जाता है…. अभी भी समय है सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए…. वहीं जयंत चौधरी ने कहा कि कहां-कहां लगाओगे नाम, क्या अब कुर्ते पर भी लिखवाना शुरू कर दें कि किससे हाथ मिलाना है और किसे गले लगाना है…. इस तरह से जयंत चौधरी ने योगी सरकार पर निशाना साधा… और इस फैसले को वापस लेने के लिए कहा….
आपको बता दें कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों को लेकर पंद्रह जुलाई को नियुक्ति और कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा…. और उन्होंने कहा कि विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग… और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी…. वहीं केशव ने पूछा था कि संविदा भर्ती में आरक्षण के नियम का कितना पालन किया गया…. इसके अलावा उन्होंने उनहत्तर हजार सहायक अध्यापक भर्ती में आरक्षण की विसंगति के बाद चयनित छः हजार आठ सौ आरक्षण वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने के मुद्दे का जिक्र किया है…. वहीं केशव प्रसाद मौर्य ने जिस नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से भर्तियों में आरक्षण के पालन करने की सूचना मांगी है…. उस विभाग की जिम्मेदारी सीएम योगी आदित्यनाथ के पास है….