सीरियल किलर्स भाइयों को कोर्ट ने दी इतने सालों की सजा
लखनऊ की गैंगस्टर कोर्ट ने सीरियल किलर्स भाईयों के खिलाफ दर्ज एक मामले में सात सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इन तीनों बदमाशों शोहराब, सलीम और रुस्तम को दस दस हजार रुपये के जुर्माने से भी दंडित किया है. जुर्माने की राशि नहीं चुकाने पर इन बदमाशों को अतिरिक्त सजा काटनी होगी. यह आरोपी फिलहाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं. 16 साल पहले इनके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट में गुरुवार को लखनऊ की कोर्ट में सुनवाई हुई. इनके खिलाफ संगठित गिरोह बनाकर जनता में दहशत फैलाने, आर्थिक लाभ के लिए वारदात करने और लोगों से उगाही करने के आरोप हैं.
मामले की सुनवाई गैंगस्टर एक्ट के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद गजाली की अदालत में हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा का ऐलान किया है. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी जुर्माना राशि नहीं जमा करतेहैं तो उन्हें 2 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. अदालत में प्रमाणित हुआ कि यह तीनों बदमाश संगठित रूप से लखनऊ और आसपास के जिलों में आपराधिक वारदातों को अंजाम देते थे. इनकी वजह से इन जिलों में रहने वाले लोगों में आज भी दहशत का माहौल है.
मीडिया रिपोर्ट के मुुताबिक पुलिस ने बताया कि इन बदमाशों के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें आई, लेकिन लोग इनके खिलाफ गवाही देने से भी डरते थे. इसकी वजह से पुलिस चाह कर भी ज्यादा समय तक जेल में नहीं रख पाती थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने माना कि आरोपियों के डर से कोई इनका विरोध या सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था.
मामले की सुनवाई के दौरान जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अवधेश सिंह ने पुलिस का पक्ष रखा. दोनों अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी जावेद अहमद ने इन बदमाशों के खिलाफ 15 दिसम्बर 2006 को गैंग चार्ट बनाया था. जिलाधिकारी के अनुमोदन के बाद गैंगस्टर की कार्यवाही करते हुए इनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया. इसमें इन बदमाशों द्वारा अंजाम दिए गए वारदातों की सूची भी लगाई गई थी.
अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 18 गवाह पेश किए. हालांकि इनमें से फरीद, इकबाल, डॉ आसिफ अली, मोहम्मद रफी और असरफ आदि गवाह अपने से मुकर गए. इनके रिश्तेदारों की हत्या हुई थी, बावजूद इसके इन्होंने कोर्ट में आरोपी को पहचानने से इंकार कर दिया था. हालांकि पुलिस की ओर से पेश अन्य गवाहों ने वारदात की पूरी पटकथा बताई. इसके अधार पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.