प्रवर्तन निदेशालय का अनिल अंबानी को समन; कई ठिकानों पर छापेमारी के एक हफ्ते बाद किया गया तलब

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के मुखिया अनिल अंबानी को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है। अनिल अंबानी को उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में समन किया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को बताया कि 66 साल के अनिल अंबानी को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। मामला भी यहीं दर्ज किया गया है। एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करेगी।
यह समन पिछले हफ्ते संघीय एजेंसी की ओर से उनके व्यावसायिक समूह की कई कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी के बाद किया गया है। 24 जुलाई को शुरू की गई यह छापेमारी तीन दिनों तक चली थी। कार्रवाई अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों की ओर से कथित वित्तीय अनियमितताओं और 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण डायवर्जन से संबंधित है। ईडी की कार्रवाई के तहत मुंबई में 35 से अधिक परिसरों पर छापेमारी की गई। ये परिसर 50 कंपनियों और 25 लोगों के थे, जिनमें अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के कई अधिकारी भी शामिल थे।
ईडी सूत्रों ने बताया था कि जांच मुख्य रूप से 2017-2019 के बीच यस बैंक की ओर से अंबानी समूह की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन के आरोपों से संबंधित है। समूह की दो कंपनियों रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया था कि छापों का उनके व्यावसायिक संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर बिल्कुल कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
ईडी सूत्रों ने कहा कि वे 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण डायवर्जन के आरोपों की जांच कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, ईडी को पता चला है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को उनके व्यवसाय में धन प्राप्त हुआ था। इसे देखते हुए एजेंसी रिश्वत और ऋण के इस गठजोड़ की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि संघीय एजेंसी रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों को यस बैंक की ओर से ऋण स्वीकृतियों में घोर उल्लंघनों के आरोपों की पड़ताल कर रही है। ईडी की कार्रवाई राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए), बैंक ऑफ बड़ौदा और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज दो एफआईआर सहित कई नियामक और वित्तीय निकायों से प्राप्त इनपुट पर आधारित है।
ईडी की छापेमारी एसबीआई की ओर से हाल ही में अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को ‘फ्रॉड’ के रूप में वर्गीकृत करने के बाद हुई थी। 13 जून, 2025 को, धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी दिशानिर्देशों और अपनी आंतरिक नीति के अनुसार, एसबीआई ने कंपनी और उसके प्रमोटर को इस श्रेणी में चिह्नित किया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को बताया था कि एसबीआई ने 24 जून, 2025 को आरबीआई को मामले की सूचना दी गई थी। बैंक अब सीबीआई में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है। 1 जुलाई, 2025 को आरकॉम के समाधान पेशेवर ने अपनी कंप्लायंस जिम्मेदारियों के तहत एसबीआई के निर्णय के बारे में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया।
रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड पर कथित तौर पर 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की ऋण धोखाधड़ी का आरोप है। रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड पर केनरा बैंक के साथ भी कथित तौर पर 1,050 करोड़ रुपये से ज़्यादा की धोखाधड़ी करने का आरोप है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि कंपनी के अघोषित विदेशी बैंक खातों और विदेशी संपत्तियों की भी जांच की जा रही है। जांच में और भी खुलासे होने की संभावना है।

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