स्मार्ट सिटी के दावों की जमीनी हकीकत कुछ और

  • बिजली-पानी की दिक्कत, अलाव का भी नहीं कोई इंतजाम, नहीं होती सुनवाई

हयात अब्बास@4पीएम
लखनऊ। सरकार ने लोगों को लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना तो दिखा दिया, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। लखनऊ के बहुत से इलाके तो ऐसे हैं, जहां बिजली और पानी की भी इतनी दिक्कत है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लोगों की कोई सुनवाई नहीं होती। ये लोग किसे अपनी परेशानी बताएं। ये लोग जब अपने पार्षद के पास जाते हैं, तो वो इनको आश्वासन देते हैं कि इनकी सुनवाई जल्द ही होगी। लेकिन आज पूरे एक साल हो जाने के बाद भी अब तक इनके पास कोई भी मदद नहीं पहुंची है। इस पूरे मामले को ढंग से जानने के लिए हमारी टीम शहर के इस्माइलगंज इलाके में पहुंची। यहां जाकर हमने जो मंजर देखा, वो काफी हैरान कर देने वाला था।
इस्माइलगंज के निवासी हमें देखकर हमसे अपनी परेशानियों के बारे में बताने लगे। बता दें कि इस्माइलगंज में काफी आबादी है। इस घनी आबादी के बावजूद भी इस क्षेत्र में पीने के पानी की सिर्फ एक ही टंकी है और इसका मोटर भी एक साल से भी ज्यादा वक्त से खराब पड़ा है। लोग अपने पार्षद के पास कई बार अपनी शिकायत लेकर गए, लेकिन अभी भी इन लोगों की कोई मदद नहीं हुई है। जिसके चलते इनको पानी भरने काफी दूर जाना पड़ता है। प्रदेश में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इन दिनों लखनऊ में भी सर्द बर्फीली हवाओं ने गलन को चरम पर ला दिया है। मौसम विभाग ने 7 जनवरी तक के लिए अलर्ट जारी किया ऐसे में सरकार ने प्रदेश भर में लोगों के लिए अलाव का इंतजाम का बंदोबस्त किया है, लेकिन इस्माइलगंज के लोगों का कहना है कि उनके लिए अलाव का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। जिसको लेकर उन्होंने नगर निगम से भी गुहार लगाई है, लेकिन कोई मदद नहीं आई है।

महज जुमला साबित हो रहा स्वच्छ भारत मिशन

इस्माइलजंग के घरों के बहर उबड़ खाबड़ सडक़ें और टूटी हुई नालियां ये बयान करती हैं कि सरकार इस इलाके को शायद भूल ही गई है। विकास से वंचित ये इलाका सरकार की नाकामी का सुबूत देता है। टूटी हुई नालियों में जलभराव के चलते मच्छर पैदा होते हैं। जिससे इलाके में मलेरिया और डेंगू जैसे घातक रोगों से लोग आए दिन ग्रसित होते हैं। इलाके की गंदगी देख कर पता चलता है कि सरकार का स्वच्छ भारत मिशन कितना सफल हुआ है।

सीवर का पानी पीने को मजबूर

इस्माइलजंग के लोगों का कहना है कि उनके क्षेत्र में एक साल से भी ज्यादा समय से उनके घरों में पानी नहीं आता है। जब पानी आता भी है, तो वो पीने के लायक नहीं होता है। पानी के आभाव के चलते इन लोगों को ऐसा गंदा पानी भी पीना पड़ता है। लोगों का कहना है कि घरों कि पाइप लाइन में सीवर का पानी आता है और न चाहते हुए भी इन लोगों को उस पानी को अपने कामकाज में इस्तेमाल करना पड़ता है। लोगों ने बताया की इस पानी के प्रयोग से इलाके के लोग आए दिन कई गंभीर बिमारियों का शिकार होते हैं।

झेलना पड़ रहा भेदभाव का दंश

इलाके के लोगों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव किया जाता है। प्रदेश भर में इस समय ठंड के कहर से लोग काफी परेशान है। ऐसे में सडक़ों पर अलाव के इंतजाम बहुत कम ही देखने को मिले। इस्माइलजंग के लोग भी अलाव के आभाव से परेशान हैं। इन लोगों का कहना है कि यहां नगर निगम द्वारा अलाव का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। वहीं एक तरफ लकड़ी के ढेर हैं, लेकिन वो कुछ खास लोगों को दी जा रहीं हैं। जिसके चलते चौराहे पर यहां के निवासी खुद ही अलाव का इंतजाम करते हैं। इस इलाके के लोगों का कहना है कि उनकी सुनवाई नहीं होती है। इलाके के लोगों का कहना है कि लोगों के साथ भेद भाव किया जाता है।

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