सीएम अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल पर लगाए गंभीर आरोप
जनता की सरकार में बने हैं रोड़ा, जनहित के कार्यों की कर रहे हैं अनदेखी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी समेत कई मसलों पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्र में उपराज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह चुनी सरकार को दो करोड़ लोगों के सपनों को पूरा करने दें क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों में उपराज्यपाल ने गलत तरीके से एमसीडी में 10 सदस्यों को नामित कर दिया, जबकि अब तक दिल्ली सरकार सदस्य नामित करती थी। इसी तरह दिल्ली हज कमेटी का गठन करने में दिल्ली सरकार की अनदेखी की गई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल व मुख्य सचिव मिलकर समानांतर सरकार चला रहे हैं और चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर आदेश व अधिसूचना जारी कर रहे हैं। दुर्भाग्य से दिल्ली की चुनी हुई सरकार की जगह उपराज्यपाल के पास कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति है। इस कारण वह उपराज्यपाल के गलत निर्णयों का विरोध नहीं करते है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल सीधे मुख्य सचिव को निर्देश जारी करके निर्वाचित सरकार को दरकिनार और अनदेखा करते है।
इस कड़ी में उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव से एमसीडी में भाजपा पृष्भूठमि वाले 10 सदस्यों को नामित करा दिया, जबकि एमसीडी में उसके विशेषज्ञों को नामित करने का प्रावधान है। इसके अलावा पिछले कई दशकों से इन 10 सदस्यों को दिल्ली की चुनी हुई सरकार मनोनीत करती थी। इस प्रथा का पालन तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 243 आर साफ तौर से मनोनीत सदस्यों को सदन में मतदान करने से रोकता है। इस तरह उन्हें एमसीडी सदन में वोट दिलाने की कोशिश असंवैधानिक है। परंपरा यह रही है कि सदन के वरिष्ठतम सदस्य, पार्टी संबद्धता के बावजूद इस कार्य के लिए राज्य सरकार नामित करती है। वहीं इस बार उपराज्यपाल ने भाजपा पार्षद का नाम तय किया और मुख्य सचिव को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
पुरानी परंपरा को भी किया दरकिनार
केजरीवाल ने कहा एमसीडी अधिनियम के अनुसार पहले दिन सभी पार्षदों को शपथ दिलाने और महापौर का चुनाव कराने के लिए पार्षदों में से एक को पीठासीन अधिकारी के रूप में नामित किया जाता है, जिसके बाद मेयर पदभार ग्रहण करता है। परंपरा यह रही है कि सदन के वरिष्ठतम सदस्य, पार्टी संबद्धता के बावजूद इस कार्य के लिए राज्य सरकार नामित करती है। वहीं इस बार उपराज्यपाल ने भाजपा पार्षद का नाम तय किया और मुख्य सचिव को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। दिलचस्प बात यह है कि नामांकित व्यक्ति वरिष्ठतम सदस्य नहीं है। इसलिए पुरानी परंपरा को भी दरकिनार कर दिया गया। इसी तरह उपराज्यपाल ने दिल्ली हज कमेटी के नाम तय किए और मुख्य सचिव को अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया, जबकि निर्वाचित सरकार के पास हज कमेटी गठित करने की शक्ति है, लेकिन यहां भी निर्वाचित सरकार को दरकिनार कर दिया गया।
कैथोलिक चर्च की पत्रिका में विजयन सरकार पर कटाक्ष
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोच्चि। कैथोलिक चर्च त्रिसूर सूबा ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को जमकर फटकार लगाई है। त्रिसूर सूबा ने निष्कर्ष निकाला है कि पिनाराई विजयन ने केरल को एक ऐसे राज्य में बदल दिया है जहां भगवान की महिमा और लोगों में शांति गायब हो चुकी है।
हर नए साल के मौके पर चर्च की ओर से एक प्रकाशन निकाला जाता है जिसमें किसी भी समस्या के बारे में लिखा जाता है इस बार की संपादकीय में यही विषय रहा है। इस बार संपादकीय का शीर्षक शांति बनाए रखने के लिए सरकार की भूमिका है। इसमें विजयन सरकार के प्रति असंतोष को जाहिर किया गया है। इसमें कई अहम मुद्दों के बारे में बात की गई है। जैसे कि विजयन सरकार की जनता से दूरी, विझिंजम बंदरगाह को लेकर प्रदर्शन, बफर जोन और बैक डोर नियुक्तियां ने शासन पर गंभीर सेंध लगाई है। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि विजयन सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसले लोगों के मन में अशांति पैदा कर रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि फैसला लेने वाले यहां के लोगों की जरूरतों को नहीं समझ सके हैं।
लखनऊ नहीं स्थानांतरित होगा उच्च शिक्षा निदेशालय
30 दिसंबर को जारी किया गया था शासनादेश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित किए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र ने सफाई दी है। उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में लिखा है कि निदेशालय के कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है कि संपूर्ण निदेशालय को लखनऊ स्थानांतरित किए जाने का निर्णय लिया गया है। जबकि अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया।
वहीं कर्मचारियों ने शुक्रवार को भी आंदोलन किया और कहा कि 30 दिसंबर को जारी शासनादेश को निरस्त किया जाए। विशेष सचिव डॉ. अखिलेश मिश्र ने उच्च शिक्षा निदेशक को भेजे पत्र में लिखा है कि उच्च शिक्षा विभाग के निदेशालय, शासन व अन्य प्रशासनिक शाखाओं के बीच समुचित समन्वय करने के लिए शासन स्तर पर विचार किया जा रहा है एवं निदेशालय, उच्च शिक्षा को पूर्ण रूप से लखनऊ में स्थापित करने का कोई भी निर्णय किसी भी स्तर पर अभी तक नहीं लिया गया है। प्रयागराज से उच्च शिक्षा निदेशालय लखनऊ स्थानांतरित नहीं होगा,कोई नया कार्यालय आये जो है वह नहीं जाये,यही प्रयास था है और रहेगा,ग़लत आदेश जारी करने की होगी।अब प्रशासनिक व विधिक दृष्टिकोण से सक्षम स्तर पर जो भी निर्णय होगा, उसी के आधार आगे की कार्रवाई की जाएगी। 30 दिसंबर को विशेष सचिव ने उच्च शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर शासकीय कार्य हित में उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज को स्थानांतरित कर लखनऊ में प्रतिस्थापित किए जाने का प्रस्ताव मांगा था।
पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी दिल्ली से गिरफ्तार
बेटे इमरान को भी पुलिस ने पकड़ा
50-50 हजार का इनाम था दोनों पर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी और बेटे इमरान कुरैशी को देर रात दिल्ली से मेरठ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया गया कि पिता-पुत्र दिल्ली के चांदनी चौक में अपने रिश्तेदार के यहां पर छिपे थे। दोनों को पुलिस दिल्ली से मेरठ लेकर आ रही है।
गौरतलब है कि 31 मार्च 2022 को हापुड़ रोड पर याकूब कुरैशी की फैक्टरी में पुलिस ने छापा मारा था। जहां पर अवैध तरीके से मीट पैकिंग का काम चल रहा था। पुलिस ने याकूब कुरैशी, उनकी पत्नी संजीदा बेगम और बेटे इमरान व फिरोज के खिलाफ सहित 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद मेरठ पुलिस ने याकूब कुरैशी और उनके परिवार सहित 7 लोगों पर गैंगस्टर की धारा में मुकदमा पंजीकृत कर लिया था। आरोपी याकूब का बेटा फिरोज कोर्ट में सरेंडर करके एक माह पहले जेेेेेल चला गया, जबकि पत्नी संजीदा बेगम अग्रिम जमानत पर बाहर हैं।
याकूब कुरैशी और बेटे इमरान पर आईजी मेरठ रेंज ने 50-50 हजार का इनाम कर दिया था, दोनों की तलाश में मेरठ पुलिस के साथ एसटीएफ भी लग गई थी।
सटीक लोकेशन मिलने पर मेरठ की एसओजी टीम ने आरोपी पिता-पुत्र को देर रात दिल्ली के चांदनी चौक थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पिता-पुत्र अपने एक रिश्तेदार के घर पर ही ठहरे हुए थे। याकूब कुरैशी और उनकी बेटे की गिरफ्तारी होने की जानकारी लगते ही याकूब के समर्थकों में खलबली मच गई।
सीजेआई ने बेटियों को दिखाया सुप्रीम कोर्ट का कामकाज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज और वकील उस समय हैरान रह गए जब चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ अपनी 2 बेटियों को साथ लेकर कोर्ट पहुंचे। चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ ने अपनी दो बेटियों (16 साल की माही और 20 साल की प्रियंका) को सुप्रीम कोर्ट में अपना चैंबर और फिर पूरे कोर्ट के रूम दिखाए। इस दौरान चीफ जस्टिस ने अपनी बेटियों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उनका काम क्या है और वह कहां बैठते हैं। बता दें कि, चीफ जस्टिस शुक्रवार, 6 जनवरी की सुबह 10 बजे कोर्ट पहुंचे थे, वह अपनी दोनों बेटियों को साथ लेकर सार्वजनिक दीर्घा से कोर्ट रूम में दाखिल हुए, उसके बाद वह अपनी बेटियों को रूम नंबर-1 के कोर्ट में ले गए, वहां उन्होंने बेटियों को दिखाया कि किस तरह काम होता है।
नफरत की जमीन पर बन रहा राम मंदिर: जगदानंद सिंह
बोले-भगवान आलीशान इमारत में बंद नहीं रह सकते
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। राष्ट्रीय जनता दल राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि भारत की भूमि राम और कृष्णमय मानी जाती थी। अब सब खत्म हो गया है। अब राम रामायण से भाग जाएंगे। कण-कण से हट जाएंगे। यह भारत राम का नहीं रहेगा। केवल एक मंदिर राम का रहेगा। नफरत की जमीन पर राम के मंदिर का निर्माण हो रहा है।
राम उसी एक मंदिर में बैठ जाएंगे। पत्थरों के बीच रहेंगे, हृदय के बीच में नहीं रहेंगे। आरएसएस वाले यही कर रहे हैं। हम तो हे राम वाले हैं, जय श्री राम वाले नहीं। हमारे राम तो भारत के राम भारत के कण-कण में रहेंगे, आरएसएस वालों के राम जहां-जहां बैठें!
कण-कण के राम को मंदिर में कैद कर रहा आरएसएस
अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर निर्माण में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उन्होंने कहा- भारत के कण-कण से सिमट कर पत्थरों की चारदीवारी में राम को कैद किया जा रहा है। क्योंकि इंसानियत से बड़ा इस भारत में उन्मादियों के राम बचे हैं। बाकी सब जगह से राम खत्म हो गए। वह अपने राम को कैद कर लेंगे, यहां तो राम का असली वास शबरी की झोपड़ी में है। वह जब खुद थे, तब न अयोध्या में कैद हुए, न रावण को हराने के बाद लंका में उनका वास हुआ। जगदानंद सिंह ने कहा- भारत की जनता तो सदियों से रामायण को लेकर बैठी है, सुबह से शाम तक जपती है, क्योंकि उसे वहां राम मिलते हैं।