गीता में संदेश: क्रोध से भ्रम और भ्रम से बुद्घि होती है व्यग्र: डॉ. समीर त्रिपाठी

मेधज ग्रुप में संगीतमय श्रीमद्भगवद्गीता का हुआ विमोचन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मेधज ग्रुप के संस्थापक डॉ. समीर त्रिपाठी द्वारा संगीतमय श्रीमद्भगवद्गीता का विमोचन शक्रवार को परम पूज्य अनंतश्रीविभूषित जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिषिपिथाधिस्वर बद्रिकाश्रम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के द्वारा मेधज ऑस्ट्रो यूट्यूब चैनल पर किया गया। विमोचन कार्यक्रम विभूति खंड गोमतीनगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया।
इस संदीतमय श्रीमद्भगवद्गीता को डॉ. समीर त्रिपाठी ने अपनी आवाज से सजाया है और सुधेश खरे एवं ओमप्रकाश प्रसाद ने इसमें संगीत दिया है। कार्यक्रम में अनंतश्रीविभूषित जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिषिपिथाधिस्वर बद्रिकाश्रम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने जीवन मूल्यों, आत्म-प्रबंधन, आंतरिक शक्तियों, रिश्तों में सामंजस्य, आत्म-सशक्तिकरण, आत्म-अनुशासन, आध्यात्मिकता और जीवन जीने की कला पर एवं अध्यातम के प्रति जागरूपता व आशीषवचन दिए। सरस्वती महाराज ने कहा कि डॉ. समीर त्रिपाठी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो समाज में धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी कुशल और सराहनीय तरीके से निर्वाह कर रहें है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि गीता में लिखा है क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क मरता है, तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है और उसका पतन शुरू हो जाता है। कार्यक्रम में मेधज ग्रुप केेंपनी के संस्थापक डॉ. समीर त्रिपाठी, माता रेखा त्रिपाठी, अनुज गुंजन त्रिपाठी एवं पवन पाण्डेय उपस्थित रहे।

 

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