विपक्ष ने कहा, गरीबों के घर पर बुलडोजर चलाने वाले को क्यों नहीं दिखता शालीमार का अवैध अतिक्रमण, तोड़े इसे भी सरकार

  • होता रहा अवैध निर्माण अधिकारी रहे मौन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भाजपा के पूर्व सांसद संजय सेठ की कंपनी शालीमार ग्रुप द्वारा लखनऊ में अवैध निर्माण और जमीनों पर कब्जे को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि गरीबों पर बुलडोजर चलाने वालों के हाथ भाजपा नेताओं को देखकर कांपने लगे हैं। अगर संजय सेठ की कंपनियों के खिलाफ जांच नहीं की गई और शालीमार का अवैध अतिक्रमण नहीं तोड़ा गया तो इसके गंभीर परिणाम सरकार को झेलने होंगे कल 4क्करू ने शालीमार एमराल्ड के बने हुए अवैध निर्माण और करोड़ों के अवैध पेंटहाउस के संबंध में विस्तार से एक खबर छापी थी। उसमें यह खुलासा किया था कि किस तरह से शालीमार ग्रुप ने अवैध अतिक्रमण किया था इस समूह द्वारा लखनऊ कि कई बेशकीमती सरकारी जमीनों पर भी अवैध कब्जा किये जाने की बात सामने आयी थी। इस बाबत जांच भी की गई थी मगर शासन में जांच फाइलें गुम हो गयीं।

शालीमार एमराल्ड में बने हैं अवैध रूप से करोड़ों के पेंट हाउस

भाजपा के पूर्व सांसद संजय सेठ को जैसे पूरी छूट है कि आप अपनी बिल्डिंग में जितना चाहें उतना अवैध निर्माण करवा लें। एलडीए के अफसरों की हिम्मत नहीं है कि वे ऐसी किसी बिल्डिंग में अवैध निर्माण तोडना तो अलग बात है ऐसे अवैध निर्माण की तरफ वे झांक भी लें। लखनऊ के बेहद पॉश इलाके जॉपलिंग रोड पर शालीमार ग्रुप ने एक अलीशन बिल्डिंग बनायी है शालीमार एमराल्ड। इस बिल्डिंग के फ्लैटों की कीमत करोड़ों में है। इस भूखंड का क्षेत्रफल 4634. 38 वर्ग मीटर है। इसका मानचित्र परमिट संख्या-2565 के अनुसार स्वीकृति किया गया, और इसमें 9245.58 वर्ग मी. एफएआर स्वीकृत किया गया।

2009 में दी गई थी स्वीकृति

यह मानचित्र दिनांक 16 फरवरी 2009 को स्वीकृति किया गया, तथा इसमें 72 फ्लैट बनाने की अनुमति दी गयी थी। जिस समय यह अनुमति दी गयी उस समय प्रदेश में मायावती की सरकार थी और शालीमार ग्रुप के पार्टनर खालिद मसूद मायावती के दाहिने हाथ नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेहद करीबी हुआ करते थे। लिहाजा उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर इस भवन में चार पेंट हाउस बना डाले जबकि नक्शे के अनुसार इस भवन मेें कोई भी पेट हाउस न तो स्वीकृत था और न ही पेंटहाउस बन सकता था। मगर, सभी लोग आंखें बंद किये रहे और शालीमार इमराल्ड में यह अवैध बिल्डिंग बनती चली गई। यह विवाद कुछ दिनों पहले शुरू हुआ जब एलडीए के एक अवर अभियंता ने संजय सेठ को इस बिल्डिंग में अवैध निर्माण को लेकर नोटिस भेज दिया और कहा कि वे तत्काल अपना स्पष्टïीकरण जारी करें वरना उनका अवैध निर्माण तोड़ दिया जायेगा। चंूकि सांसद बनने के बाद संजय सेठ ने खुद को इस कंपनी से कानूनी रूप से अलग कर लिया था लिहाजा उन्होंने अशोक की लाट लगाये अपने लेटर पैड पर एलडीए को लगभग धमकाने की स्टाइल में लिख दिया कि मुझे ये नोटिस क्यों दिया गया जबकि मैं इस भवन का मालिक ही नहीं हूं।

मामले को रफा-दफा करने की कोशिश

मामले को रफा-दफा करने के लिए शालीमार समूह ने एलडीए में विहित प्राधिकारी के यहां वाद दायर कर दिया और 11 जनवरी 2023 को शमन के लिए आवेदन भी कर दिया जिससे यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाय, और हुआ भी यही कि मामला ठंडे बस्ते में चला गया और किसी को यह अवैध निर्माण तोडऩे का साहस नहीं हुआ।

भाजपा सरकार दोहरे मानदंड अपना रही है। विपक्ष से जुड़ा कोई मामला होगा तो सरकार बिना देरी किए कार्रवाई कर देती है जबकि बीजेपी से जुड़े लोगों की तरफ अधिकारी देखते तक नहीं है। भाजपा के आका जो अंग्रेजों से माफी मांगने में वीर थे वे अपराधी, बलात्कारी सबमें भेदभाव करती है। बिल्डर जगह-जगह अवैध निर्माण कर रहे पर भाजपा से नाता है तो वह छूट जाता है जबकि कोई गरीब अगर उनसे नहीं जुड़ा है तो सरकारी बुलडोजर उसका घर गिराने पहुंच जाती है।
सुनील सिंह साजन, सपा नेता

पूरा लखनऊ भू माफियाओं और बिल्डरों के हवाले है। इनकी सेटिंग हर सरकार में रहती है, खासकर भाजपा सरकार में ये विशेष रूप से फलते फूलते हैं क्योंकि भाजपा धर्म और नफरत की राजनीति की आड़ में मूल सवाल गायब कर देने में पारंगत है। शालीमार पर कोई भी प्रभावी कार्रवाई होना बेहद मुश्किल है, इस सरकार के पास इतना दम नहीं है।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी

भाजपा सरकार में न्याय के दो प्रकार हैं एक जिसमें सत्ता पक्ष के लोगों के अन्याय पर पर्दा डाल कर बचाना होता है, दूसरा विपक्ष के वालों की गलतियां खोज कर उन्हें फसाना होता है। वर्तमान समय में कोई माफिया हो, भू माफिया हो या अन्य प्रकार का अपराधी यदि भाजपा की वासिंग मशीन खुद को धुलवा ले, तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं। शालीमार का अवैध अतिक्रमण भी इसका उदाहरण है।
दीपक सिंह, पूर्व एमएलसी कांग्रेस

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