मंदिर के ट्रस्टी, अफसर और नेता किसी ने नहीं छोड़ा अयोध्या को लूटने में

राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट

  • फैसले के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने की मची होड़, मंदिर के पास खरीदीं जमीनें
  • इंडियन एक्सप्रेस ने किया सनसनीखेज खुलासा, विपक्ष ने साधा भाजपा पर निशाना
  • कहा, भाजपा ने आस्था को बना दिया कारोबार, हो रहे जमीन घोटाले
  • राम मंदिर के लिए ट्रस्ट ने 70 एकड़ जमीन का किया है अधिग्रहण

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

अयोध्या। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ यहां जमीन की लूट शुरु हो गयी। इस लूट में मंदिर के ट्रस्टी से लेकर अफसर और नेता सभी शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे 14 केसों का खुलासा किया है। इस खुलासे के बाद हडक़ंप मच गया है। वहीं विपक्ष ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि इस खुलासे से साफ हो गया है कि भाजपा के लिए आस्था व्यापार हो चुकी है फिर वह नोट का हो या वोट का।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फरवरी 2020 में मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीदनी शुरू की। इसके लिए 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण शुरू हुआ। इस दौरान एक ओर कई प्रॉपर्टी डीलर्स सक्रिय हुए तो दूसरी ओर सरकारी अधिकारी, स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार और स्थानीय राजस्व अधिकारी ने यहां खूब जमीनें खरीदीं। विधायक, महापौर, और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य ने अपने नाम पर जमीनें खरीदीं। वहीं संभागीय आयुक्त, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, सीओ, राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों के नाम पर भी जमीनें खरीदी गईं। ऐसे 14 मामलों का खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस ने किया है। ये सारी जमीनें राम मंदिर के पांच किमी दायरे में खरीदी गयीं।

नियम का उल्लंघन कर दलितों से खरीदी जमीन

महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने 1990 के दशक की शुरुआत में राम मंदिर स्थल से 5 किमी से भी कम दूर बरहटा मांझा गांव और अयोध्या के आसपास के कुछ अन्य गांव में बड़े पैमाने पर भूमि का अधिग्रहण किया। इस जमीन में से लगभग 21 बीघा जमीन नियमों का उल्लंघन करते हुए दलितों से खरीदी गई। ट्रस्ट ने एक दलित कर्मचारी रोंघई की मदद से 1992 में एक दर्जन दलितों से जमीन खरीद ली। इसके बाद रोंघई ने जून 1996 में एक अपंजीकृत दान-पत्र पर हस्ताक्षर किए और यह सब महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दान कर दिया।

इन्होंने खरीदीं जमीनें

1- एमपी अग्रवाल अयोध्या में नवंबर 2019 से डिविजनल कमिश्नर हैं। उनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने 10 दिसंबर, 2020 को बरहटा मांझा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (एमआरवीटी) से 31 लाख में 2,530 वर्ग मीटर जमीन खरीदी जबकि उनके बहनोई आनंद वर्धन ने उसी दिन एमआरवीटी से 15.50 लाख में 1,260 वर्ग मीटर जमीन की खरीद की। कंपनी के रिकॉर्ड के मुताबिक कमिश्नर की पत्नी अपने पिता की फर्म हेलमंड कॉन्ट्रैक्टर्स एंड बिल्डर्स एलएलपी में पार्टनर हैं। एम पी अग्रवाल का कहना है कि उन्हें कुछ याद नहीं है जबकि उनके ससुर केशव प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद अयोध्या में रहने की योजना के तहत जमीन खरीदी है। इसमें एमपी अग्रवाल की कोई भूमिका नहीं है।
2- 20 जुलाई 2018 से 10 सितंबर 2021 के बीच अयोध्या के मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तम दास गुप्ता रहे। अब गोरखपुर में एडीएम (ई) हैं। उनके साले अतुल गुप्ता की पत्नी तृप्ति गुप्ता ने अमर जीत यादव नाम के एक व्यक्ति के साथ साझेदारी में 12 अक्टूबर 2021 को बरहटा मांझा में 1,130 वर्ग मीटर जमीन एमआरवीटी से 21.88 लाख में खरीदी। इस मामले में पुरुषोत्तम दास गुप्ता का कहना है कि एमआरवीटी के खिलाफ जांच में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्होंने अपने नाम पर कोई जमीन नहीं खरीदी। वहीं अतुल गुप्ता ने बताया कि सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध होने के कारण उन्होंने जमीन खरीदी और इसमें पुरुषोत्तम की मदद नहीं ली।
3- इंद्र प्रताप तिवारी, विधायक, गोसाईगंज, अयोध्या ने 18 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 2,593 वर्ग मीटर जमीन एमआरवीटी से 30 लाख में खरीदी। 16 मार्च 2021 को उनके बहनोई राजेश कुमार मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर सूरज दास से बरहटा मांझा में 6320 वर्ग मीटर 47.40 लाख रुपये में जमीन ली। राजेश मिश्रा ने कहा, मैंने यह भूखंड अपनी बचत से खरीदा है और इसमें विधायक का कोई लेना-देना नहीं है। 18 नवंबर, 2019 को विधायक मान शारदा सेवा ट्रस्ट से जुड़े एक ट्रस्ट ने बरहटा मांझा में 9,860 वर्ग मीटर एमआरवीटी से 73.95 लाख में खरीदा था।
4-दीपक कुमार, पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) 26 जुलाई, 2020 और 30 मार्च, 2021 के बीच रहे अब डीआईजी अलीगढ़ हैं, की पत्नी की बहन महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर, 2021 को बरहटा मांझा में 1,020 वर्ग मीटर एमआरवीटी से 19.75 लाख में खरीदा था। दीपक कुमार ने कहा, अयोध्या में पोस्टिंग के दौरान मेरे किसी रिश्तेदार ने कोई जमीन नहीं खरीदी। महिमा ठाकुर के पति कुशीनगर से हैं। उन्होंने कुशीनगर में अपनी जमीन बेचकर अयोध्या में जमीन खरीदी है। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है।
5- यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी उमाधर द्विवेदी लखनऊ में रहते हैं। उन्होंने बरहटा मांझा में 23 अक्टूबर 2021 को एमआवीटी से 39.04 लाख रुपये में 1,680 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। उनका कहना है कि मुझे नहीं पता कि उनके खिलाफ कोई मामला लंबित है या नहीं। मैंने इस सौदे में जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं ली है।
6- वेद प्रकाश गुप्ता, विधायक (अयोध्या) के भतीजे तरुण मित्तल ने 21 नवंबर 2019 को बरहटा मांझा में 5,174 वर्ग मीटर जमीन रेणु सिंह और सीमा सोनी से 1.15 करोड़ में खरीदी थी। 29 दिसंबर, 2020 को उन्होंने जगदंबा सिंह और जदुनंदन सिंह से 4 करोड़ रुपये में मंदिर स्थल से लगभग 5 किमी दूर, सरयू नदी के पार अगले दरवाजे महेशपुर (गोंडा) में 14,860 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। विधायक का कहना है कि मैंने विधायक के रूप में अपने चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान अयोध्या में जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी नहीं खरीदा है। वहीं तरुण मित्तल के पिता और वेद प्रकाश के भाई चंद्र प्रकाश गुप्ता ने बताया कि महेशपुर में चार-पांच लोगों ने संयुक्त रूप से जमीन खरीदी है।
7- ऋ षिकेश उपाध्याय, मेयर ने अयोध्या फैसले से दो महीने पहले 18 सितंबर, 2019 को हरीश कुमार से 30 लाख में 1,480 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। 9 जुलाई, 2018 को, परमहंस शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रबंधक के रूप में, उन्होंने रमेश से दान के रूप में अयोध्या के काजीपुर चितवन में 2,530 वर्ग मीटर का अधिग्रहण किया। सरकारी रिकॉर्ड में जमीन की कीमत 1.01 करोड़ है। उनका कहना है कि मैंने पहले अपनी जमीन बेची थी बाद में इसे खरीदा।
8- आयुष चौधरी, पूर्व एसडीएम अयोध्या, अब कानपुर में तैनात हैं, की चचेरी बहन शोभिता रानी ने अयोध्या के बिरौली में 5,350 वर्ग मीटर जमीन को 17.66 लाख रुपये में आशाराम से खरीदा था। यह डीलिंग 28 मई, 2020 को हुई। 28 नवंबर, 2019 को शोभिता रानी की संचालित आरव दिशा कमला फाउंडेशन ने दिनेश कुमार से 7.24 लाख रुपये में अयोध्या के मलिकपुर में 1,130 वर्ग मीटर जमीन और खरीदी। आयुष चौधरी का कहना है कि उनका रानी या उनकी संस्था से कोई संबंध नहीं है।
9- अरविंद चौरसिया, पीपीएस अधिकारी, अब मेरठ में तैनात हैं। 21 जून 2021 को उनके ससुर संतोष कुमार चौरसिया ने भूपेश कुमार से अयोध्या के रामपुर हलवारा उपरहार गांव में 126.48 वर्ग मीटर 4 लाख रुपये में खरीदा। 21 सितंबर 2021 को उनकी सास रंजना चौरसिया ने कारखाना में 279.73 वर्ग मीटर जमीन भागीरथी से 20 लाख रुपये में खरीदी। अरविंद का कहना है कि मेरे ससुर अयोध्या में आश्रम बनाना चाहते हैं। वे वहीं बसना चाहते हैं।
10- राज्य सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही की पत्नी संगीता शाही और उनके बेटे सहर्ष कुमार शाही ने ने 18 नवंबर, 2021 को अयोध्या के सरायरासी मांझा में 929.85 वर्ग मीटर जमीन इंद्र प्रकाश सिंह से 15.82 लाख में खरीदी। शाही ने बताया कि मैं अयोध्या में रहना चाहता हूं इसलिए जमीन खरीदी।
11- राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्य ने 28 फरवरी, 2020 को गोंडा के महेशपुर में जगदंबा और त्रिवेणी सिंह से 50 लाख में 9,375 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। उनका कहना है कि वे इस जमीन पर होटल बनाएंगे।
12- गांजा गांव के लेखपाल बद्री उपाध्याय, जिनका हाल में तबादला हो चुका है के पिता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय ने 8 मार्च, 2021 को श्याम सुंदर से गांजा में 116 वर्ग मीटर जमीन 3.50 लाख रुपये में खरीदी। बद्री ने कहा, मेरे पास पैसा है। मैं कहीं भी जमीन खरीद सकता हूं।
13. गांजा गांव के कानूनगो सुधांशु रंजन की पत्नी अदिति श्रीवास्तव ने 8 मार्च 2021 को गांजा में 270 वर्ग मीटर जमीन 7.50 लाख में खरीदी। सुधांशु रंजन ने किसी भी खरीद से इनकार किया।
14 दिनेश ओझा (पेशकर), सहायक अभिलेख अधिकारी भान सिंह, जो एमआरवीटी के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। 15 मार्च, 2021 को, उनकी बेटी श्वेता ओझा ने तिहुरा मांझा में 2542 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। दिनेश ओझा ने कहा, यह भूमि विवादित नहीं है और मेरे नाम पर नहीं है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button