पंचायत चुनाव में होगा बड़ा बदलाव, गुजरात के गावों में उठी हुंकार!
अबकी बार बदलाव के मूड में गांव! 81 लाख वोटरों ने किया मतदान... 25 जून को खुलेगा जनादेश का पिटारा...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात में ग्राम पंचायत चुनाव के लिए 22 जून 2025 को मतदान संपन्न हो गया है….. यह चुनाव राज्य की 8,326 ग्राम पंचायतों में आयोजित किए गए……. जिनमें से 751 पंचायतों में निर्विरोध चुनाव हो चुके थे…… लगभग 81 लाख मतदाताओं ने 3,656 सरपंच और 16,224 पंचायत सदस्यों के चयन के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया……. मतगणना 25 जून 2025 को होगी…… जामनगर जिले में 187 ग्राम पंचायतों में शाम 6 बजे तक औसतन 64 फीसदी मतदान दर्ज किया गया…… इस चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया गया…… जो गुजरात सरकार के अगस्त 2023 के फैसले……. और जस्टिस झवेरी आयोग की सिफारिशों पर आधारित है…..
आपको बता दें कि यह चुनाव लगभग दो साल की देरी के बाद हुआ…… जिसका मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक कार्य था…… गुजरात में ग्राम पंचायत चुनाव गैर-दलीय आधार पर लड़े जाते हैं……. यानी उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ते हैं…….. हालांकि उन्हें राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त होता है…… आज हम इस खबर में हम गुजरात के ग्राम पंचायत चुनाव 2025 की पूरी प्रक्रिया…… ओबीसी आरक्षण के मुद्दे……. पंचायती राज के इतिहास और संवैधानिक संशोधनों पर विस्तार से चर्चा करेंगे…….
गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने 28 मई 2025 को ग्राम पंचायत चुनावों की घोषणा की थी…… नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 9 जून थी…… जबकि नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 11 जून थी…… आयोग के अनुसार 8,326 ग्राम पंचायतों में से 4,688 में सामान्य या मध्यावधि चुनाव हुए……. जबकि 3,638 में उपचुनाव आयोजित किए गए……
वहीं चुनाव मतपत्रों के माध्यम से कराए गए……. और मतदाताओं को नोटा का विकल्प भी प्रदान किया गया…… राज्य में कुल 10,479 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे……. ताकि मतदान प्रक्रिया सुचारू और पारदर्शी हो……. हालांकि कड़ी और विसनगर विधानसभा क्षेत्रों की कुछ ग्राम पंचायतों जैसे कड़ी, जेठाणु, सैणाल, विसनगर, जुनाठल और बाकासरा तालुका में 20 जून 2025 को विधानसभा उपचुनाव होने के कारण पंचायत चुनाव रद्द कर दिए गए…….
आपको बता दें कि 22 जून 2025 को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान हुआ……. जामनगर जिले में 187 ग्राम पंचायतों में 4.42 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया…… मतदान केंद्रों पर बुजुर्ग, युवा और महिलाओं की लंबी कतारें देखी गईं……. पुलिस ने कई बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचने में सहायता प्रदान की…….. युवाओं से भी सक्रिय भागीदारी की अपील की गई थी…… जिसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया…….
जानकारी के अनुसार महिसागर जिले में मतदान के दौरान एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ……. जिसमें वोट देने जा रहे दो लोगों की मौत हो गई….. और 13 अन्य घायल हो गए…… इसके बावजूद, राज्य भर में मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही…… छोटा उदयपुर जिले में 124 ग्राम पंचायतों….. और 60 उपचुनावों के लिए 357 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच वोटिंग हुई…….
आयोग के आंकड़ों के अनुसार 4,564 ग्राम पंचायतों में से 751 निर्विरोध घोषित की गईं……. जबकि 272 पंचायतों में नामांकन न होने के कारण सीटें खाली रह गईं…… शेष 3,541 पंचायतों में सामान्य, संभाग और मध्यावधि चुनाव हुए……. और 353 पंचायतों में उपचुनाव कराए गए…….
गुजरात में ग्राम पंचायत चुनावों में दो साल की देरी का प्रमुख कारण ओबीसी आरक्षण को लागू करने की प्रक्रिया थी…… अगस्त 2023 में जस्टिस झवेरी आयोग की सिफारिशों के आधार पर गुजरात सरकार ने पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों जैसे स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा की…… इसके अलावा 14 फीसदी सीटें अनुसूचित जनजाति….. और 7 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गईं……
वहीं इस निर्णय ने ग्राम पंचायत चुनावों को बड़े पैमाने पर आयोजित करने का मार्ग प्रशस्त किया……. हालांकि, इस प्रक्रिया में समय लगा……. क्योंकि प्रत्येक वार्ड में ओबीसी आबादी की गणना करना एक जटिल कार्य था……. गुजरात बीजेपी के प्रवक्ता यज्ञेश दवे ने कहा कि यह देरी आवश्यक थी…… ताकि आरक्षण को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से लागू किया जा सके…….. और उन्होंने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि बीजेपी ने ओबीसी समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया……
कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ बीजेपी ने जानबूझकर चुनाव में देरी की….. और उन्होंने कहा कि पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बीजेपी ने प्रशासकों की नियुक्ति करके ग्रामीण जनता की लोकतांत्रिक शक्ति को कमजोर किया……. दोशी ने दावा किया कि कांग्रेस लंबे समय से इन चुनावों की मांग कर रही थी…….
गुजरात में ग्राम पंचायत चुनाव गैर-दलीय आधार पर लड़े जाते हैं……. यानी उम्मीदवार किसी राजनीतिक दल के प्रतीक पर नहीं…….. बल्कि व्यक्तिगत रूप से चुनाव लड़ते हैं…… फिर भी, बीजेपी और कांग्रेस जैसे प्रमुख दलों का प्रभाव स्पष्ट देखा जाता है…….. दोनों दल अपने समर्थित उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते हैं…… और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं……
बता दें कि पंचायत चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला रहा….. बीजेपी ने ग्रामीण विकास और ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों पर जोर दिया…… जबकि कांग्रेस ने सरकार पर देरी और प्रशासनिक नियंत्रण के दुरुपयोग का आरोप लगाया…..
पंचायती राज भारत में ग्रामीण शासन की आधारशिला है…… इसका औपचारिक शुभारंभ 2 अक्टूबर 1959 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर में किया था……. इस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 1957 में बलवंतराय मेहता समिति का गठन किया गया……. जिसके अध्यक्ष गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता थे…… समिति ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था ग्राम पंचायत, पंचायत समिति……. और जिला परिषद की सिफारिश की…..
हालांकि, शुरूआती दशकों में पंचायती राज व्यवस्था देशव्यापी रूप से लागू नहीं हो पाई….. 1979 में अशोक मेहता समिति ने इसे और मजबूत करने के सुझाव दिए……. अंततः 1992 में 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया, जो 1993 में लागू हुआ…….
आपको बता दें कि एससी/एसटी के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित हैं….. महिलाओं के लिए कुल सीटों का कम से कम एक-तिहाई आरक्षण…… ओबीसी के लिए राज्य सरकारें अतिरिक्त आरक्षण प्रदान कर सकती हैं…… वहीं पंचायतों को कर लगाने का अधिकार और राज्य वित्त आयोग की स्थापना…… 11वीं अनुसूची में 29 विषयों, जैसे कृषि, शिक्षा, और स्वास्थ्य को पंचायतों के अधीन किया गया….. वहीं यह संशोधन ग्रामीण भारत में विकेंद्रीकृत शासन….. और लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हुआ…….
गुजरात में पंचायती राज व्यवस्था को लागू करने में बलवंतराय मेहता की भूमिका महत्वपूर्ण रही……. राज्य ने 1960 के दशक से ही पंचायती राज को अपनाया…… और समय के साथ इसे मजबूत किया…… वर्तमान में, गुजरात की ग्राम पंचायतें ग्रामीण विकास, स्वच्छता, शिक्षा……. और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं……
हालांकि, ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दों ने समय-समय पर पंचायत चुनावों को प्रभावित किया है…….. 2023 में जस्टिस झवेरी आयोग की रिपोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लागू करने का रास्ता साफ किया……. जिसके बाद 2025 में यह बड़े पैमाने पर लागू हुआ…..
गुजरात के ग्राम पंचायत चुनाव 2025 ने कई सकारात्मक पहलुओं को उजागर किया…… जैसे उच्च मतदान प्रतिशत, महिलाओं….. और युवाओं की भागीदारी, और ओबीसी आरक्षण का कार्यान्वयन…… हालांकि, कुछ चुनौतियां भी सामने आईं……. ओबीसी आरक्षण की गणना और प्रशासनिक तैयारियों के कारण दो साल की देरी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया…… 751 पंचायतों में निर्विरोध चुनाव और 272 पंचायतों में नामांकन की कमी से लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा पर सवाल उठे……
वहीं चुनावों को समय पर आयोजित करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और सुव्यवस्थित करना…… ग्रामीण मतदाताओं, खासकर युवाओं, को मतदान के महत्व के बारे में जागरूक करना…… पंचायतों को अधिक वित्तीय संसाधन और स्वायत्तता प्रदान करना…..
गुजरात ग्राम पंचायत चुनाव 2025 ने ग्रामीण लोकतंत्र की ताकत को प्रदर्शित किया…… 81 लाख मतदाताओं की भागीदारी, 64 फीसदी मतदान (जामनगर में) और ओबीसी आरक्षण का सफल कार्यान्वयन इसकी प्रमुख उपलब्धियां रहीं…… पंचायती राज की स्थापना से लेकर 73वें संविधान संशोधन तक…….. भारत ने ग्रामीण शासन को सशक्त करने की दिशा में लंबा सफर तय किया है…… गुजरात में यह चुनाव न केवल स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करेगा……. बल्कि ग्रामीण विकास को भी नई गति प्रदान करेगा…..