पानी ही नहीं, जमीन पर भी जिंदा रहती है ये मछली, खुद को बना लेती है पत्थर
ये दुनिया विचित्र जीवों से भरी हुई है। आपको यहां कई ऐसे जीव देखने को मिल जाएंगे जो अपनी ही प्रजाति के बाकी जीवों से पूरी तरह अलग हैं। अब मछलियों को ही ले लीजिए। मछलियां पानी के अंदर रहती हैं, बाहर निकलते ही उनकी मौत हो जाएगी। ये बात हर मछली के लिए सच है, सिवाए एक के। दुनिया की इकलौती मछली, जो पानी ही नहीं, जमीन पर भी जिंदा रहती है। ये खुद को ‘पत्थर’ भी बना लेती है। हम बात कर रहे हैं लंगफिश की, जिन्हें सलामांडर फिश के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ताजे पानी की मछली है, जो पानी के साथ-साथ जमीन पर भी रहने के लिए चर्चित है। ये कई महीनों तक बिना पानी के रह सकती है। कई बार तो सालों तक ये बिना पानी के रह लेती है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे है, क्या उसे ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती? दरअसल, इन मछलियों के रेस्पिरेटरी सिस्टम बेहद अनोखे और खास होते हैं। ये सीधे हवा से ऑक्सीजन ले सकते हैं। हम बात कर रहे हैं लंगफिश की, जिन्हें सलामांडर फिश के नाम से भी जाना जाता है। ये एक ताजे पानी की मछली है, जो पानी के साथ-साथ जमीन पर भी रहने के लिए चर्चित है। ये कई महीनों तक बिना पानी के रह सकती है। कई बार तो सालों तक ये बिना पानी के रह लेती है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे है, क्या उसे ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती? दरअसल, इन मछलियों के रेस्पिरेटरी सिस्टम बेहद अनोखे और खास होते हैं। ये सीधे हवा से ऑक्सीजन ले सकते हैं। कई लंगफिश तो ऐसी होती हैं, कि जैसे-जैसे वो बड़ी होती हैं, वो हवा से ऑक्सीजन लेते-लेते वो गिल्स से ऑक्सीजन खींचना बंद कर देती है। पानी में रहने के बावजूद, उन्हें फिर बार-बार सतह पर आना पड़ता है, जहां से वो ऑक्सीजन लेती हैं। ऐसे में अगर ये पानी के नीचे ज्यादा देर तक रह गईं, तो ये डूब भी सकती हैं। इनका शरीर ईल की तरह लंबा होता है। जिसे ये मिट्टी के अंदर घुसा लेते हैं। जब इनके आसपास पानी होती है, तो ये किसी भी अन्य मछली की तरह ही हरकत करती हैं, पर जब पानी नहीं होता है, तब ये मिट्टी में काफी अंदर धंस जाती हैं। मुंह से मिट्टी को निगलती हैं और अपने गिल से बाहर की ओर निकालती हैं। जब ये एक तय गहराई तक नीचे पहुंच जाती है, तब ये मछली अपनी चमड़ी से म्यूकस जैसा पदार्थ निकालती है, जो उनके शरीर के बाहरी हिस्से को पूरी तरह ढक लेता है और उसे एक सख्त खोल बना देता है। सिर्फ उनका मुंह खुला रहता है, जिससे वो सांस लेते हैं। ये मछलियां, अफ्रीका, साउथ अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं। ये अपने में बेहद ही अनोखी हैं।