VB-G RAM G बिल पर फंस गया पेंच, Congress के नए दांव से आगबबूला हुई BJP
संसद के दोनों सदनों से VB- G RAM G बिल पास कराकर...मोदी सरकार जीत का दावा कर रही थी…लेकिन तभी कांग्रेस ने ऐसा दांव चला कि...मोदी सरकार का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार प्लान अब सियासी जाल में फंसता नजर आ रहा है…

4पीएम न्यूज नेटवर्क: संसद के दोनों सदनों से VB- G RAM G बिल पास कराकर…मोदी सरकार जीत का दावा कर रही थी…लेकिन तभी कांग्रेस ने ऐसा दांव चला कि…मोदी सरकार का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार प्लान अब सियासी जाल में फंसता नजर आ रहा है…जिससे बीजेपी आगबबूला हो गई है…तो कांग्रेस ने ऐसा कौन सा चला दांव…जिससे दोनों सदनों से बिल पारित होने के बाद भी फंस गया पेंच…
दोनों सदनों से पारित होने के बाद भी विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन ग्रामीण यानी VB-G RAM G बिल पर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है…मनरेगा की जगह लाए गए…इस कानून को मोदी सरकार ग्रामीण भारत में रोजगार सुधार का ऐतिहासिक कदम बता रही है…लेकिन कांग्रेस इसे गरीबों से रोजगार छीनने की साजिश करार दे रही है…अब कांग्रेस ने एक ऐसा संसदीय दांव चल दिया है…जिससे बिल पर कानूनी मुहर लगने से पहले ही विवाद नई ऊंचाई पर पहुंच गया है………
दरअसल, ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका ने 29 दिसंबर को समिति की बैठक बुला ली है….इस बैठक के एजेंडे में VB-G RAM G बिल पर ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रस्तुति और उसकी तुलना UPA सरकार के दौर की मनरेगा योजना से करने का फैसला किया गया है……..यही वो दांव है….जिससे बीजेपी को कांग्रेस की मंशा पर शक हो गया है…
बीजेपी का तर्क साफ है कि ये बिल संसद से पारित तो हो चुका है…लेकिन अभी राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है…जब तक गजट में अधिसूचना नहीं होती…तब तक ये कानून नहीं बनता…ऐसे में स्थायी समिति द्वारा इस पर चर्चा कराना न सिर्फ संसदीय परंपराओं के खिलाफ है…बल्कि सरकार के मुताबिक ये राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश भी है….समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर ने इस कदम को विचारहीनता बताया है…
उनका कहना है कि संसद से हाल ही में पारित किसी बिल पर समिति बहस नहीं कर सकती…समिति केवल किसी कानून के क्रियान्वयन की समीक्षा कर सकती है…न कि उसके राजनीतिक मूल्यांकन या तुलना का मंच बन सकती है……..लेकिन कांग्रेस का जवाब भी उतना ही तीखा है….कांग्रेस का कहना है कि जब सरकार खुद मनरेगा जैसे ऐतिहासिक कानून को हटाकर नया मॉडल लाना चाहती है…तो संसद की स्थायी समिति का दायित्व बनता है कि वो इसकी गहन समीक्षा करे…कांग्रेस के मुताबिक, ये बहस कानून बनने से पहले जरूरी है…ताकि इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को समझा जा सके…
असल लड़ाई मनरेगा को लेकर है…2005 में UPA सरकार द्वारा लाई गई मनरेगा योजना ग्रामीण भारत के लिए रोजगार की लाइफलाइन बनी…ये पहली योजना थी…जिसने ग्रामीण नागरिक को साल में 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी दी…कांग्रेस का दावा है कि इसी योजना ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को भुखमरी से बचाया……मोदी सरकार शुरू से ही मनरेगा को अस्थायी समाधान और अकुशल मजदूरी का प्रतीक बताती रही है….प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई मंचों से कह चुके हैं कि मनरेगा गरीबी हटाने की नहीं, बल्कि गरीबी की निशानी है…अब VB-G RAM G बिल के जरिए सरकार रोजगार की गारंटी को स्किल-आधारित और मिशन मोड में लागू करना चाहती है…
जबकि, सरकार का तर्क है कि VB-G RAM G सिर्फ मजदूरी नहीं देगा…बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाएगा…इसमें स्किल ट्रेनिंग, ग्रामीण उद्यमिता, लोकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और आजीविका मिशन को जोड़ा गया है…सरकार इसे विकसित भारत के रोडमैप का अहम हिस्सा बता रही है…लेकिन कांग्रेस को डर है कि इस नए मॉडल में रोजगार की कानूनी गारंटी कमजोर हो जाएगी…
मनरेगा में जहां काम मांगने पर रोजगार देना सरकार की बाध्यता थी…वहीं VB-G RAM G में मिशन आधारित ढांचा होने से ये जिम्मेदारी बिखर सकती है….और यही वो बिंदु है…जिसे कांग्रेस राजनीतिक हथियार बना रही है……..संसदीय समिति की बैठक बुलाकर कांग्रेस ने सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है…एक तरफ सरकार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून लागू करने की तैयारी में है…तो वहीं दूसरी तरफ समिति में बैठकर उसे मनरेगा से तुलना करनी पड़ सकती है…इससे सरकार की नीति पर सवाल उठने तय हैं…
बीजेपी को डर है कि कांग्रेस इस मंच का इस्तेमाल चुनावी नैरेटिव गढ़ने के लिए करेगी…खासकर ग्रामीण और गरीब तबके में ये संदेश देने की कोशिश होगी कि मोदी सरकार मनरेगा छीन रही है….यही वजह है कि एनडीए सांसद इस बैठक को रोकने या सीमित करने की मांग कर रहे हैं…..हालांकि, ये टकराव सिर्फ एक बिल तक सीमित नहीं है…ये दो विचारधाराओं की लड़ाई है…..एक तरफ कांग्रेस का अधिकार आधारित कल्याण मॉडल….
दूसरी तरफ बीजेपी का मिशन आधारित विकास मॉडल…मनरेगा बनाम VB-G RAM G इसी वैचारिक संघर्ष का प्रतीक बन गया है…कांग्रेस के लिए ये मुद्दा राजनीतिक रूप से बेहद अहम है…पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि मोदी सरकार मनरेगा के बजट में कटौती कर रही है…काम के दिन घटा रही है और भुगतान में देरी कर रही है…..VB-G RAM G बिल को विपक्ष इसी नीति की अगली कड़ी बता रहा है…
वहीं सरकार का कहना है कि मनरेगा में भारी भ्रष्टाचार, फर्जी जॉब कार्ड और अकुशल काम की समस्या रही है…VB-G RAM G के जरिए सरकार तकनीक, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और स्किल मैपिंग को जोड़कर सिस्टम को पारदर्शी बनाना चाहती है…हालांकि, इसपर कानूनी जानकारों की राय भी बंटी हुई है…कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थायी समिति संसद से पारित बिल पर चर्चा कर सकती है…बशर्ते वो सिफारिशी स्वरूप में हो……….
वहीं कुछ का कहना है कि ये संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन है…राजनीतिक रूप से देखें तो कांग्रेस की ये चाल रणनीतिक है…संसद में संख्या बल की कमी के बावजूद वो समिति के जरिए सरकार को घेरना चाहती है….ये विपक्ष की नई रणनीति है कि बिल पास होने के बाद भी उसे सार्वजनिक बहस में उलझाए रखना…..ऐसे में बीजेपी के लिए चुनौती ये है कि वो कैसे इस बहस को नियंत्रित करे…अगर वो बैठक का विरोध करती है….तो उस पर बहस से भागने का आरोप लगेगा और अगर वो इस बैठक में हिस्सा लेती है…तो मनरेगा की तुलना से बचना मुश्किल होगा….
एक ओर जहां कांग्रेस सांसद सप्तगिरी शंकर उलाका ने 29 दिसंबर को समिति की बैठक बुलाकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है…तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने VB-G-RAM-G बिल पास होने पर कहा कि… मुझे आज भी याद है, 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे, तब संसद में मनरेगा कानून आम राय से पास किया गया था। ये ऐसा क्रांतिकारी कदम था, जिसका फायदा करोड़ों ग्रामीण परिवारों को मिला था। खासतौर पर वंचित, शोषित, गरीब और अतिगरीब लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया बना। रोजगार के लिए अपनी माटी, अपना गांव, अपना घर-परिवार छोड़कर पलायन करने पर रोक लगी।
रोजगार का कानूनी हक़ दिया गया, साथ ही ग्राम पंचायतों को ताकत मिली। मनरेगा के जरिए महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों के भारत की ओर एक ठोस कदम उठाया गया। पिछले 11 साल में मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार, गरीबों और वंचितों के हितों को नजरअंदाज कर मनरेगा को कमजोर करने की हर कोशिश की, जबकि कोविड के वक़्त ये गरीब वर्ग के लिए संजीवनी साबित हुआ। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि अभी हाल में सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया। न सिर्फ महात्मा गांधी का नाम हटाया गया, बल्कि मनरेगा का रूप-स्वरुप बिना विचार-विमर्श किए, बिना किसी से सलाह-मशवरा किए, बिना विपक्ष को विश्वास में लिए मनमाने ढंग से बदल दिया गया।
कांग्रेस के इस रुख से इतना तो तय है कि…ये लड़ाई सिर्फ संसद के गलियारों तक सीमित नहीं रहेगी…इसका असर गांव-गांव तक जाएगा….मनरेगा बनाम VB-G RAM G का सवाल आने वाले चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है….ऐसे में कांग्रेस इसी उम्मीद पर दांव खेल रही है….वो चाहती है कि राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले ही इस बिल पर इतना शोर मच जाए कि सरकार को बैकफुट पर आना पड़े या कम से कम संशोधन करने पड़ें…
इस तरह संसद के दोनों सदनों से बिल पारित होने के बावजूद कांग्रेस ने अपनी नई चाल से पेंच फंसा दिया है….ऐसे में अब देखना ये होगा कि ये रणनीति मोदी सरकार की ग्रामीण रोजगार नीति को कितना प्रभावित करती है और क्या VB-G RAM G मनरेगा की जगह ले पाएगा या राजनीतिक घमासान में उलझकर रह जाएगा….ये भी देखना काफी अहम होगा………..



