नहीं रहे राजनीति के मोर्चे पर अपराजेय योद्धा शिबू सोरेन
दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए समर्पित कर दिया पूरा जीवन

जनजातीय समाज के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए आजीवन संघर्ष किया
देश में शोक की लहर पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी तक ने जताया दुख
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। झारखंड की धुंध भरी पहाडिय़ों के बीच जन्मे शिबू सोरेन हमारे बीच नहीं रहे। गुरुजी के नाम से मशहूर आदिवासियों का अपना नेता जंगल की आत्मा और सत्ता के गलियारों की रौनक़ शिबू सोरेन ने आज जब अंतिम सांस ली तो न सिर्फ एक नेता गया बल्कि एक पूरी सदी का सपना सिसक उठा।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर देशभर की राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन की सूचना देते हुए उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोडक़र चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं। उनके निधन पर विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं ने शोक व्यक्त किया और उन्हें एक संघर्षशील जननायक बताया। नेताओं ने उन्हें जनजातीय समाज का सच्चा प्रतिनिधि और झारखंड राज्य के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाला नेता करार दिया। कई नेताओं ने उनके परिवार और झारखंड के लोगों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।

18 वर्ष की आयु से संघर्ष की शुरुआत
11 जनवरी 1944 को बिहार के दुमका जिले के निम्मी गांव में जन्मे शिबू सोरेन ने उसी दिन से संघर्ष की शपथ ली थी जिस दिन उनके पिता सोबरन मांझी को ज़मींदारों ने मार डाला था। सोबरन मांझी ने जब जमीन पर अपनी दावेदारी जताई थी तो उस दावेदारी को व्यवस्था के खिलाफ उठने वाली आवाज़ मानते हुए उन्हें मार दिया गया था। कहते हैं उसी दिन से शिबू सोरेन की आंखों में जो आग भडक़ी वो फिर कभी बुझी नहीं। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिबू सोरेन ने महज 18 साल की उम्र में आदिवासी अधिकारों की लड़ाई शुरू कर दी थी। 1969 में उन्होंने संजय संघर्ष समिति बनाई जो जल्दी ही झारखंड आंदोलन का बीज बन गई। उन्होंने आदिवासियों को बताया कि ये जंगल, ये ज़मीन, ये पानी उनका है किसी साहूकार या सरकारी बाबू का नहीं। इसी संघर्ष की तपिश में तपकर निकली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा 1980 में बनी इस पार्टी ने झारखंड राज्य के लिए निर्णायक आंदोलन चलाया। और तब तक चलाया जब तक 15 नवंबर 2000 को झारखंड एक स्वतंत्र राज्य नहीं बन गया।
किडनी की बीमारी से ग्रसित थे
शिबू सोरेन ने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली। शिबू सोरेन पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर जून के आखिरी सप्ताह में गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीते कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। शिबू सोरेन किडनी की बीमारी से भी ग्रस्त थे। जून महीने में जब दिल्ली के अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था तब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अस्पताल में जाकर उनका हाल जाना था।
क्या-क्या नहीं सहा जुल्मो सितम
शिबू सोरेन सरकार की निगाह में देशद्रोही माने जाने लगे लेकिन जनता की निगाह में उनकी छवि किसी मसीहा से कम नहीं थी। शिबू सोरेन के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना शुरू हुई तो रूकने का नाम नहीं लिया। उन पर आरोप लगे हत्या से लेकर उग्रवाद तक के समर्थन के। उन्होंने जंगल के लोगों को जमींदारों, पुलिस और माफियाओं के खिलाफ खड़ा किया। उनकी सेना नहीं थी, पर उनके पास जनता का जनसैलाब था। 1986 में देवघर के सांसद तेलो दुबे की हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया। 2006 में एक बार फिर हत्या के आरोप में उन्हें आजन्म कारावास की सजा हुई, लेकिन हाईकोर्ट से बरी हो गए। कुछ लोगों ने उन्हें अपराधी कहा। कुछ ने धरती का बेटा। पर जंगलों में आज भी बूढ़े आदिवासी जब उनकी तस्वीर की ओर इशारा करते हैं तो बस एक शब्द कहते हैं धरती आबा (धरती का पिता)।
आज मैं शून्य हो गया हूं : हेमंत
दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। यह जानकारी उनके बेटे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद एक्स पर पोस्ट कर साझा की। उन्होंने लिखा कि आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोडक़र चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं। राज्य सरकार ने तीन दिनों के राजकीय शोक का एलान किया है।
पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा में होगा अंतिम संस्कार
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज शाम छह बजे झारखंड लाया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को उनका पार्थिव शरीर सबसे पहले रांची के मोरहाबादी स्थित आवास पर लाया जाएगा। मंगलवार सुबह झामुमो के पार्टी कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसके बाद पार्थिव शरीर को झारखंड विधानसभा ले जाया जाएगा, जहां जनप्रतिनिधि और अधिकारी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा में किया जाएगा।
18 वर्ष की आयु से संघर्ष की शुरुआत
11 जनवरी 1944 को बिहार के दुमका जिले के निम्मी गांव में जन्मे शिबू सोरेन ने उसी दिन से संघर्ष की शपथ ली थी जिस दिन उनके पिता सोबरन मांझी को ज़मींदारों ने मार डाला था। सोबरन मांझी ने जब जमीन पर अपनी दावेदारी जताई थी तो उस दावेदारी को व्यवस्था के खिलाफ उठने वाली आवाज़ मानते हुए उन्हें मार दिया गया था। कहते हैं उसी दिन से शिबू सोरेन की आंखों में जो आग भडक़ी वो फिर कभी बुझी नहीं। बहुत कम लोग जानते हैं कि शिबू सोरेन ने महज 18 साल की उम्र में आदिवासी अधिकारों की लड़ाई शुरू कर दी थी। 1969 में उन्होंने संजय संघर्ष समिति बनाई जो जल्दी ही झारखंड आंदोलन का बीज बन गई। उन्होंने आदिवासियों को बताया कि ये जंगल, ये ज़मीन, ये पानी उनका है किसी साहूकार या सरकारी बाबू का नहीं। इसी संघर्ष की तपिश में तपकर निकली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा 1980 में बनी इस पार्टी ने झारखंड राज्य के लिए निर्णायक आंदोलन चलाया। और तब तक चलाया जब तक 15 नवंबर 2000 को झारखंड एक स्वतंत्र राज्य नहीं बन गया।
जनजातीय समाज के अधिकारों की आवाज बने : राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक, शिबू सोरेन झारखंड के उन कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गों विशेषरूप से जनजातीय समाज के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे हमेशा जमीन और जनता से जुड़े रहे।
आदिवासी संस्कृति के संरक्षक थे : मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, शिबू सोरेन जी के निधन से मैं दु:खी हूं। उन्होंने अलग झारखंड प्रदेश और वहां के लोगों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया। मैंने उनके सुपुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर उनके परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की।
सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों का सशक्तिकरण किया : लालू
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए हमारे संयुक्त संघर्षों की स्मृतियों का जिक्र किया। लालू ने ं कहा, हमारे संघर्षों के साथी झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके साथ किए गए संघर्षों से मेरी कई यादें जुड़ी हैं। उन्होंने सामाजिक न्याय और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दुख की घड़ी में पूरा राजदल परिवार गुरु जी के परिवार और समर्थकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है।
झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक एवं आदिवासी समाज के जाने-माने दिग्गज नेता शिबू सोरेन का आज इलाज के दौरान निधन हो जाने की खबर अति दुखद। उनके पुत्र तथा वर्तमान में झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन व उनके परिवार के साथ-साथ उनके समस्त समर्थकों एवं अनुयाइयों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कु़दरत उन सबको इस दुख को सहन करने की शक्ति दे। -बसपा सुप्रीमो मायावती
झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के निधन से समस्त झारखंड और बिहार मर्माहत है। समस्त राष्ट्रीय जनता दल असह्य पीड़ा के इस पल में गुरु जी के परिजनों और समर्थकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता है। -तेजस्वी
दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। जनजातीय समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्षों के लिए वो सदैव स्मरण किए जाएंगे। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व शुभचिंतकों को यह दुख सहन करने की शक्ति दें। – संबित पात्रा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों तथा शुभचिंतकों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। – रवि किशन, भाजपा सांसद
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन से अत्यंत दुखी हूं। झारखंड और आदिवासियों के अधिकारों और कल्याण के लिए उनका आजीवन समर्पण सदैव स्मरणीय रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। हार्दिक संवेदनाएं। – सुप्रिया सुले
झारखंड ने अपना महान सपूत खो दिया है। एक जीवन जो संघर्ष था, एक नाम जो आंदोलन बना दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी। उनकी विरासत हमारे विचारों, आंदोलनों और आत्मा में हमेशा जीवित रहेगी। विनम्र श्रद्धांजलि।- दीपिका पांडेय, मंत्री



