यूपी विधानमंडल में हंगामा, सपा ने सरकार को घेरा

मानसून सत्र का आगाज, अखिलेश यादव की मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव पास की मांग विधानसभा अध्यक्ष ने ठुकराई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा नेताओं द्वारा मणिपुर हिंसा पर निंदा प्रस्ताव की मांग को लेकर यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों की चिंता करें और वहां से संबंधित सवाल उठाएं। उन्होंने कहा कि किसी अन्य राज्य में हो रही हिंसा की चर्चा यहां नहीं हो सकती है। सभी सदस्यों से अनुरोध है कि अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित प्रश्न उठाइए।
यूपी विधानमंडल में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने मणिपुर में हो रही हिंसा पर निंदा प्रस्ताव पास करने की मांग की। अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे देश के एक राज्य में हिंसा हो रही है क्या हम उसकी निंदा भी नहीं कर सकते। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम दूसरे राज्यों की चर्चा नहीं कर सकते। जिस पर अखिलेश ने कहा कि क्या इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बयान नहीं जारी कर सकते। उन्हें इस पर बोलना चाहिए और मणिपुर में हो रही हिंसा पर निंदा करनी चाहिए।

 

टमाटर की माला पहनकर सदन पहुंचे सपा एमएलसी

सोमवार को सत्र के पहले दिन सपा के विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा टमाटर की माला पहनकर साइकिल से विधानसभा पहुंचे। उन्होंने टमाटर के लगातार बढ़ते दामों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। इससे आम लोगों के लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। इस समय खुदरा बाजार में टमाटर के दाम 200 से प्रति किलो से भी ज्यादा हो गए हैं। सपा कार्यकर्ता विधानभवन के सामने चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास प्रदर्शन करते रहे।

विधानभवन परिसर में सपा का प्रदर्शन

यूपी विधानसभा सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। सपा नेता महंगाई और मणिपुर हिंसा को लेकर सदन में नारेबाजी कर रहे थे जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आप लोग सदन की कार्यवाही चलने दें। शोर मत मचाइए। हालांकि, नारेबाजी जारी रही। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि हम आपको अव्यवस्था फैलाने की अनुमति नहीं दे सकते।

हम दूसरे राज्यों की चर्चा नहीं कर सकते : महाना

सपा नेताओं ने विधानभवन में मणिपुर में हो रही हिंसा पर चर्चा करने की मांग की और जमकर नारेबाजी करते रहे। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि हम दूसरे राज्यों की चर्चा सदन में नहीं कर सकते हैं। अभी आप कह रहे हैं कि मणिपुर की चर्चा करो। कल कोई कहेगा कि बंगाल में हुई हिंसा की चर्चा करो या केरल की चर्चा करो…। इससे गलत परंपरा की शुरुआत होगी। इसके बाद उन्होंने सदन के दिवंगत सदस्यों को श्रद्घांजलि देने की कार्यवाही शुरू की। इस पर सभी सदस्य शांत हो गए और अपने-अपने स्थानों पर बैठ गए। हालांकि, हंगामे के कारण विधान परिषद की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

जनहित के सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार : योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम सदन में जनहित के सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं और सभी सदस्यों से उम्मीद करते हैं कि वह सदन की कार्यवाही को चलाने में सहयोग देंगे। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बीते छह वर्षों में राज्य ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है। हम विधानसभा अध्यक्ष और विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि बाढ़ और सूखे पर चर्चा करें।

अतीक अफसर समेत पूर्व सदस्यों को दी गई श्रद्धांजलि

यूपी विधानसभा में पूर्व विधायक एवं सांसद अतीक अहमद व पूर्व विधायक अशरफ समेत अन्य दिवंगत नेताओं को श्रद्धाजंलि दी गई। अध्यक्ष सतीश महाना ने प्रश्नकाल के बाद निधन के संदेश पढ़े। उन्होंने अतीक अहमद के भाई और वर्ष 2005 में इलाहाबाद पश्चिम सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रहे खालिद अजीम उर्फ अशरफ के निधन का संदेश पढ़ते हुए कहा, ‘‘खालिद अजीम उर्फ अशरफ ने स्नातक तक शिक्षा ग्रहण की थी। वह वर्ष 2005 में इलाहाबाद पश्चिम सीट के लिए हुए उपचुनाव में सपा के विधायक चुने गए थे।’’ महाना ने अतीक अहमद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘अतीक अहमद का 15 अप्रैल 2023 को निधन हो गया। वह लगभग 61 वर्ष के थे। अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को प्रयागराज में हुआ था। उन्होंने हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की थी। अतीक अहमद वर्ष 1989, 1991 और 1993 में निर्दलीय तथा 1996 में सपा और 2002 में अपना दल से इलाहाबाद पश्चिम से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह विधानसभा की लोक लेखा समिति के सदस्य थे। वह वर्ष 2004 में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।’’ इनके अलावा सदन में अन्य पूर्व सदस्यों सत्तार अहमद अंसारी, अमर सिंह, प्रेम प्रकाश सिंह, सुजान सिंह बुंदेला, शारदा प्रसाद शुक्ला, हरिशंकर तिवारी, अवनीश कुमार सिंह, हरिद्वार दुबे और अबरार अहमद को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

दिल्ली एम्स में लगी आग, सभी मरीजों को सुरक्षित निकाला गया

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित एम्स के एंडोस्कोपी रूम में सोमवार को भीषण आग लग गई। आग लगने की जानकारी लगते ही अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। आग लगने के बाद एंडोस्कोपी रूम से सभी लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। दिल्ली अग्निशमन सेवा के मुताबिक, आग पर काबू पाने के लिए मौके पर दमकल की 6 से अधिक गाडिय़ां भेजी गईं हैं।
अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को यहां एम्स के इमरजेंसी वार्ड के पास आग लग गई। आग लगने की सूचना सुबह करीब 11.54 बजे मिली, जिसके बाद दमकल गाडय़िों को घटनास्थल पर भेजा गया। आग ओल्ड ओपीडी की दूसरी मंजिल पर इमरजेंसी वार्ड के ऊपर स्थित एंडोस्कोपी कक्ष में लगी थी। एम्स के सूत्रों ने बताया कि कमरे से सभी मरीजों को बाहर निकाल लिया गया है।

तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को ’सुप्रीम‘झटका

ईडी द्वारा गिरफ्तारी को ठहराया वैध, पत्नी की याचिका खारिज

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को झटका देते हुए बालाजी और उनकी पत्नी की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को वैध माना है और ईडी को मंत्री से हिरासत में पूछताछ की मंजूरी दे दी है।
बता दें कि सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। मद्रास हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में ईड़ी द्वारा सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नौकरी के बदले नकदी घोटाला मामले में 12 अगस्त तक हिरासत में रखने की अनुमति दी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने माना कि गिरफ्तारी के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में रिमांड के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती।

बालाजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

बता दें कि ईडी ने बीती 14 जून को तमिलनाडु सरकार में मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) मामले में गिरफ्तार किया था। बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने पूर्व की अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए नौकरी के बदले उम्मीदवारों से पैसे लिए थे। बालाजी पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। इस मामले में ईडी ने बालाजी के ठिकानों पर छापेमारी कर उन्हें गिरफ्तार किया था। ईडी द्वारा गिरफ्तारी के विरोध में सेंथिल बालाजी ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था लेकिन हाईकोर्ट ने बालाजी की गिरफ्तारी को बरकरार रखने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सेंथिल बालाजी और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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