वक्फ विधेयक संविधान पर हमला

जयराम बोले- यह अल्पसंख्यकों की संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश

  • कहा- सामाजिक सद्भाव के सदियों पुराने बंधनों को नुकसान पहुंचाना चाहती है भाजपा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को संविधान पर हमला करार देते हुए आरोप लगाया कि यह प्रस्तावित कानून सामाजिक सद्भाव के सदियों पुराने बंधनों को नुकसान पहुंचाने के भाजपा के लगातार जारी प्रयासों का हिस्सा है। विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि यह दुष्प्रचार और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने की भाजपा की कोशिशों का भी हिस्सा है। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 अत्यंत दोषपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि यह झूठा प्रचार करके और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने का भाजपा का निरंतर प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक का उद्देश्य उन संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना है जो हर धर्म के नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह अल्पसंख्यक समुदाय की परंपराओं और संस्थाओं को बदनाम करने की भाजपा की रणनीति और लगातार कोशिशों का हिस्सा है ताकि चुनावी लाभ के लिए समाज को स्थाई ध्रुवीकरण की स्थिति में रखा जा सके। उन्होंने कहा विधेयक पांच कारणों से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। रमेश ने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती कानूनों के तहत वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति, संरचना और अधिकार को सुनियोजित तरीके से कम करने का प्रयास किया गया है, ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और धार्मिक संस्थाओं के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके। उन्होंने कहा, अपनी भूमि को कौन वक्फ उद्देश्यों के लिए दान कर सकता है, इसे तय करने में जानबूझकर अस्पष्टता लाई गई है। इस वजह से वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है। रमेश ने कहा कि लंबे समय से निर्बाध जारी परंपरा के आधार पर देश की न्यायपालिका द्वारा विकसित किए गए उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है। यह विधेयक उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाता है, जिसमें संपत्तियों को केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जा सकता है। रमेश ने कहा, वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए मौजूदा कानून के प्रावधानों को बिना किसी कारण के हटाया जा रहा है। साथ ही, वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए अब कानून में और अधिक सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।

जेपीसी में बिना किसी विस्तृत चर्चा के जबरन पारित किया गया बिल

उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में जिलाधिकारी और राज्य सरकार के अन्य नामित अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के अधिकारियों के पास अब किसी की शिकायत पर या वक्फ संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के आरोप मात्र पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी वक्फ की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा। रमेश ने कहा, यह याद रखना आवश्यक है कि 428 पृष्ठों की रिपोर्ट को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में बिना किसी विस्तृत अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के जबरन पारित कर दिया गया। यह सभी संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, मूल रूप से विधेयक भारत के संविधान पर ही हमला है। उनकी टिप्पणी संसद की संयुक्त समिति द्वारा विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद आई है। हालांकि, इसे अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है, लेकिन अटकलें हैं कि प्रस्तावित विधेयक को चालू बजट सत्र के दौरान संसद में पारित करने के लिए पेश किया जा सकता है।

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