मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार, क्या बनेगा सत्ता वापसी का आधार
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी हर वो जतन कर रही है, जिससे सत्ता में उसका वर्चस्व बरकरार रह सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट विस्तार करके अपने नेताओं की नाराजगी को दूर करने के साथ-साथ जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को भी साधने की कवायद की है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र शुक्ला और गौरीशंकर बिसेन ने कैबिनेट मंत्री पद तो राहुल लोधी ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट विस्तार के जरिए जातीय समीकरण साधने का दांव चला है। शिवराज कैबिनेट में जिन तीन मंत्रियों को जगह मिली है, उनमें एक ब्राह्मण और दो ओबीसी समुदाय से हैं। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर राजेंद्र शुक्ला को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है तो ओबीसी समुदाय से गौरीशंकर बिसेन और राहुल लोधी को मंत्री बनाया गया है। इस तरह बीजेपी ने ब्राह्मण और ओबीसी समुदाय को सियासी संदेश देने की कोशिश की है।
सीएम शिवराज ने कैबिनेट विस्तार करके सियासी समीकरण ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय संतुलन भी बनाने की रणनीति है। राजेंद्र शुक्ल मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के रीवा से चार बार के विधायक हैं। गौरीशंकर बिसेन महाकौशल क्षेत्र के बालाघास से सात बार के विधायक हैं तो राहुल लोधी बुंदेलखंड क्षेत्र की खरगापुर सीट से विधायक हैं। इस तरह विंध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल इलाके से एक-एक नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर सीएम शिवराज सिंह ने चुनाव से पहले सियासी संदेश देने की कोशिश है। राहुल लोधी ओबीसी समुदाय के लोधी जाति से आते हैं, जिसकी राज्य में बड़ी संख्या में भागीदारी है। इसके अलावा गौरीशंकर बिसेन पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं। इस तरह से ओबीसी समुदाय के दो नेताओं की कैबिनेट में एंट्री कराकर 2023 विधानसभा चुनाव की जंग फतह करने की रणनीति बनाई गई है।
शिवराज सिंह चौहान ने राहुल लोधी को कैबिनेट में जगह देकर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फॉयरब्रांड नेता उमा भारती को साधने की कोशिश की है। राहुल लोधी पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे हैं। वह टीकमगढ़ जिले की खरगापुर सीट से विधायक हैं और लोधी समुदाय से आते हैं। राज्य में लोधी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है। यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले सीएम शिवराज ने राहुल लोधी को शामिल करके उमा भारती और उनके समर्थकों को साधे रखने की रणनीति बनाई है। शिवराज कैबिनेट में गौरीशंकर बिसेन को जगह दी है। बिसेन पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं और पहले ही शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं और फिर से एक बार मौका दिया है। गौरीशंकर बिसेन बालाघाट से 7वीं बार के विधायक हैं। वो छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे। 1998, 2004 में लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष और पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं।
राजेंद्र शुक्ला बीजेपी के दिग्गज नेता और रीवा सीट से चार बार के विधायक हैं। विंध्य क्षेत्र से आते हैं और ब्राह्मण समुदाय से हैं। शिवराज सरकार में पहले भी मंत्री रह चुके हैं। 2003 में पहली बार विधायक बने और उससे बाद से लगातार जीतते आ रहे हैं। साल 2018 के चुनाव में विंध्य में बड़ी कामयाबी मिली थी। रीवा जिले की सभी 8 सीट जीती थी, लेकिन सिंधिया खेमे के नेताओं की एंट्री के चलते उन्हें उस समय कैबिनेट में जगह नहीं मिली थी, लेकिन अब चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने उन्हें मंत्री बनाकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है।