एक हफ्ते में तीन पत्रकारों पर एफआईआर, क्यों अफसर करा रहे हैं सरकार की देश भर में बदनामी
खबर छापने पर पत्रकारों की गिरफ्तारी की देश भर में निंदा, विपक्ष ने सरकार पर बोला हमला
- योगी सरकार पार्ट वन में भी मिर्जापुर में नमक-रोटी की खबर दिखाने पर पत्रकार के खिलाफ हुई थी एफआईआर
- सरकार के कुछ अफसर लगा रहे हैं योगी की साख पर बट्टा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। योगी सरकार पार्ट वन में नौकरशाही ने सरकार की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सांसद हों या विधायक या फिर मंत्री, सभी की शिकायत नौकरशाही से थी। खासतौर पर मीडिया पर एफआईआर और जांच कराना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था। योगी सरकार की दूसरी पारी की शुरूआत में ही नौकरशाही सरकार को बदनाम करने पर तुल गयी है। आगरा और बलिया में तीन पत्रकारों पर एफआईआर से पूरे देश में सरकार की बदनामी हो रही है। जाहिर है कुछ नौकरशाह इस बार भी ऐसे काम कर रहे हैं जिससे सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं इस मामले में विपक्ष ने भी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं।
यूपी बोर्ड की 12वीं कक्षा के अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में अफसरों की कारगुजारी ने प्रदेश सरकार की एक बार फिर देशभर में किरकिरी करा दी। पेपर लीक का भंडाफोड़ करने वाले पत्रकार ही पुलिस-प्रशासन के निशाने पर आ गए हैं। अफसर अपराधियों के बजाय पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार कर रहे हैं। यूपी पुलिस ने बलिया से अमर उजाला के पत्रकार दिग्विजय सिंह और अजित कुमार ओझा व आगरा से पत्रकार गौरव को गिरफ्तार किया है। पत्रकार दिग्विजय सिंह ने बताया कि उन्हें सूत्रों से खबर मिली थी कि संस्कृत विद्यालय का पेपर आउट हो चुका है और उन्होंने पेपर की कॉपी अखबार में प्रकाशित की। इसके बाद अंग्रेजी विषय का पर्चा मिला और इसे भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। खबर छपने के बाद प्रशासन शिक्षा माफियाओं को पकडऩे की बजाए उनसे ही पूछ रही है कि पेपर कहां से आउट हुए। देश भर के पत्रकारों ने इसका खुला विरोध किया है और सरकार से बलिया पुलिस प्रशासन के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है। बलिया कोतवाली में पत्रकारों ने पत्रकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन भी किया और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताया।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब प्रदेश सरकार के अफसर पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं। योगी सरकार के पार्ट वन में भी मिर्जापुर में मिड-डे-मील में बच्चों को नमक-रोटी परोसने का खुलासा करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को भी अफसरों ने प्रताडि़त किया था और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन पर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, साजिश व फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा भी कुछ अफसरों के इशारे पर कई अन्य पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई की गयी थी। जाहिर है, कुछ अफसरों के चलते पूरी सरकार की फजीहत हो रही है और देश भर में लोकतंत्र के चौथे खंभे पर हमले को लेकर निंदा की जा रही है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे तानाशाही करार दिया है।
क्या है मामला
पिछले दिनों यूपी बोर्ड की 12वीं के अंग्रेजी का प्रश्न पत्र लीक हो गया था। इसके कारण 24 जिलों में परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। पेपर लीक होने की वजह से रद्द की गई परीक्षा 13 अप्रैल को होगी। बलिया समेत आगरा, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, बदायूं, बागपत, उन्नाव, शाहजहांपुर, सीतापुर, महोबा, जालौन, चित्रकूट, अंबेडकरनगर, प्रतापगढ़, गोंडा, गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, वाराणसी, कानपुर देहात, एटा, शामली में परीक्षा को निरस्त कर दिया गया था। वहीं इस मामले में खबर छापने पर पुलिस और प्रशासन अब पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी माीडिया वेबसाइट भड़ास पर खबर आने से देश भर में गूंजा यह मामला
देश की सबसे बड़ी मीडिया वेबसाइट भड़ास पर पेपर लीक मामले में पत्रकारों को हिरासत लेने की खबर छपने के बाद आक्रोश फैल गया। वेबसाइट में अमर उजाला के दो स्थानीय पत्रकारों दिग्विजय सिंह और अजित कुमार ओझा को हिरासत में लेने की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी। वेबसाइट में लिखा गया कि प्रशासन ने आखिरकार अब रंग दिखा ही दिया और अजित कुमार ओझा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए जिला अस्पताल में मेडिकल कराया गया। वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक का भी मेडिकल कराकर हिरासत में ले लिया गया है। प्रशासन इस प्रयास में है कि पत्रकारों को ज्यादा से ज्यादा मुल्जिम बनाकर गिरफ्तार किया जाए ताकि पूरा ठीकरा इन्हीं पर फोड़ा जा सके।
भाजपा सरकार के राज में ये बेहद नकारात्मक बात है कि जो देता है अपराध की ख़बर, उसी पर टूटता है कहर। ‘चौथा-स्तंभ’ हिरासत के डर से आजाद होना चाहिए।
अखिलेश यादव, सपा प्रमुख और नेता प्रतिपक्षआदित्यनाथ जी आपका यही रवैया तानाशाही कहलाता है। पेपर लीक का खुलासा करने वाले जिन पत्रकारों की बहादुरी को सम्मानित करना था उन्हें आप गिरफ्तार करा रहे हैं। पेपर लीक तो काला दाग है ही अमर उजाला के पत्रकार की गिरफ्तारी कायरता है।
संजय सिंह, सांसद , आपभाजपा सरकार लगातार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले कर रही है। वह अपनी नाकामी छिपाने के लिए पत्रकारों का उत्पीडऩ कर रही है, उनको गिरफ्तार कर रही है। वह अपराधियों पर नहीं बल्कि अपराध की सूचना देने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इसको लेकर जल्द आंदोलन चलाया जाएगा।
दीपक सिंह, एमएलसी, कांग्रेसलोकतंत्र के प्रहरी पत्रकारों के खिलाफ भाजपा सरकार में लगातार उत्पीडऩात्मक कार्रवाई हो रही है। यह बेहद निंदनीय है और ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
अनिल दूबे, राष्टï्रीय सचिव, आरएलडीपेपर लीक मामला जांच का विषय है। किसी को निराधार तरीके से गिरफ्तार नहीं किया जाता है। यह न्याय का विषय है कि इस मामले में गिरफ्तार पत्रकारों की संलिप्ता थी या नहीं।
अखिलेश तिवारी, भाजपा नेता