महाकुंभ मामले में बुरा फंसे योगी बाबा, हाईकोर्ट ने दी चार दिन की मोहलत  

योगी बाबा महाकुंभ को लेकर तमाम दावे कर रहे थे कि महाकुंभ की सारी व्यवस्था चाक चौबंद है... लेकिन योगी बाबा के सभी दावों पर पानी फिर गया...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाकुंभ को लेकर यूपी सरकार ने आम जनता के करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाए हैं… लेकिन महाकुंभ में आम जनता की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है…. जो योगी बाबा के लिए बहुत बड़े शर्म की बात है…… बता दें कि महाकुंभ को लेकर सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है…. योगी बाबा और भाजपा के आईटीसेल ने जनता के बीच खूब झूठ बोला कि महाकुंभ 144 साल बाद लगा है…. यह मुहूर्त अब दोबारा नहीं आएगा…. योगी सरकार का झूठा प्रचार सुनकर देश की जनता प्रयागराज महाकुंभ में उमड़ पड़ी…. और सरकार की नाकाफी व्यवस्थाओं के चलते महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी…. प्रशासन भीड़ को काबू करने में पूरी तरह से विफल हो गया…. और भगदड़ मच गई…. भगजदड़ में हजारों की तादात में लोगों की जान चली गई….. लेकिन सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए…. मौतों का सही आंकड़ा और गायब हुए सभी लोगों का आंकड़ा आज तक जारी नहीं किया है….

जिसको देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए योगी सरकार की धज्जियां उड़ा दी है…. और हादसे मामले में जवाब दाखिल करने के लिए चार दिन की मोहलत दी है…. बता दें कि देश और प्रदेश में मंदिर- मंदिर, मस्जिद- मस्जिद खेलने वाले योगी बाबा महाकुंभ हादसे को लेकर बुरी तरह से फंस गए है…. महाकुंभ हादसे पर जवाब देने के लिए सरकार के पास कोई ठोस सबूत ही नहीं है…. कि कोर्ट में खुद का बचाव कर सकें…. आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ को लेकर यूपी सरकार से जवाब मांगा है…… कोर्ट ने सरकार को 24 फरवरी तक की मोहलत दी है….. कोर्ट में भगदड़ की जांच न्यायिक निगरानी में करने और घटना के बाद लापता लोगों का सही ब्योरा देने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है….. बुधवार को कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की….

आपको बता दें कि याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने की….. कोर्ट ने कहा कि अब तक आयोग के कार्यक्षेत्र में भगदड़ के अन्य प्रासंगिक विवरणों की जांच शामिल नहीं है…. राज्य सरकार ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि आयोग भगदड़ के सभी पहलुओं की जांच करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है….. इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब आयोग की नियुक्ति की गई थी…… तब उसकी जांच के दायरे में हताहतों….. और लापता लोगों की संख्या पता लगाने के पॉइंट नहीं थे….. इसलिए इन बिंदुओं को अब आयोग की जांच में शामिल किया जा सकता है…..

दरअसल, यह जनहित याचिका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय की ओर से दाखिल की गई है…… याचिका में महाकुंभ में भगदड़ के दौरान लापता हुए व्यक्तियों का विवरण एकत्र करने के लिए न्यायिक निगरानी समिति के गठन की मांग की गई है….. सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कहा कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों की संख्या पर सवाल उठाया है….. एडवोकेट सौरभ पांडेय ने विभिन्न समाचार पत्रों और पीयूसीएल की एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए कहा कि मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है…… बिना पोस्टमॉर्टम 15,000 रुपए देकर यह आश्वासन दिया गया….. और उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र दिया जाए…… वहीं अधिवक्ता ने बताया कि उनके पास एम्बुलेंस चलाने वाले लोगों के वीडियो हैं…… जिन्होंने बताया है कि वे कितने लोगों को अस्पताल ले गए थे…… आधिकारिक बयानों में सेक्टर 21 और महाकुंभ मेला के आसपास के अन्य इलाकों में हुई भगदड़ का उल्लेख नहीं किया गया है…..

इस पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जनहित याचिका में की गई सभी प्रार्थनाओं पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग विचार कर रहा है…… इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि आयोग के दायरे में यह शामिल नहीं है कि भगदड़ के दौरान क्या हुआ था…… इसे देखते हुए जांच के दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता प्रतीत होती है…. आपको बता दें कि राज्य सरकार को यह संदेश देने को कहा गया है कि न्यायिक आयोग के संबंध में सामान्य अधिसूचना जारी न की जाए…… और इसकी बजाय संदर्भ की शर्तें व्यापक रूप से निर्धारित की जाएं….. गौरतलब है कि महाकुंभ में भगदड़ संगम नोज के पास 29 जनवरी को आधी रात के बाद हुई, जिसमें 30 लोग मारे गए….

बता दें कि प्रदेश सरकार ने 29 जनवरी की भगदड़ की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है…… वहीं आयोग ने घटना के बारे में जानकारी देने के लिए लोगों को आमंत्रित किया है…. वहीं अब देखना होगा की यूपी सरकार कोर्ट की बात मानकर चार दिन क भीतर जवाब दाखिल करती है….

 

 

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