महिलाओं के विरुद्ध अपराध पर एक्शन में योगी सरकार, प्रभावी पैरवी की कार्ययोजना तैयार

लखनऊ। माफिया और अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस का फोकस महिला अपराधों पर शिकंजा कसने पर भी है। पुलिस बल को और सशक्त व सक्षम बनाने का लक्ष्य तय करने के बाद योगी सरकार ने अब लोगों को जल्द इंसाफ दिलाने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इस कड़ी में गृह विभाग ने पिछले वर्षों में महिला अपराध के मामलों में हुई कार्रवाई को आधार बनाते हुए प्रभावी पैरवी की कार्ययोजना तैयार की है। गृह विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष दिए गए प्रस्तुतिकरण में छह माह की कार्ययोजना में मृत्युदंड की सजा वाले अपराधों में छह अभियुक्तों और उम्र कैद की सजा वाले 300 अभियुक्तों को छह माह के भीतर जेल भेजवाने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे मामलों में पैरवी तेज की जाएगी। पॉक्सो एक्ट के 10 प्रकरणों में विचारण तेज होगा और आरोपितों को एक माह के भीतर सजा दिलाई जाएगी। दो वर्ष व पांच वर्ष की सजा वाले मामलों में भी समय सीमा निर्धारित की गई है। महिला अपराध के मामलों में दोषियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी स्थिति में सुधार किया है। वर्ष 2019 में महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में दोषियों को सजा दिलाने का प्रतिशत 55.2 था, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 61 प्रतिशत के साथ देश में सबसे अधिक था। महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश में मिशन शक्ति की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत अभियान के तहत की गई कार्रवाई के सार्थक परिणाम भी सामने आए।

17 अक्टूबर, 2020 से 21 दिसंबर, 2021 तक मिशन शक्ति के तीन चरणों के दौरान 31 दोषियों को मृत्युदंड की सजा दिलाई गई। जबकि 1087 आरोपितों को आजीवन कारावास की तथा 1315 आरोपितों को 10 वर्ष व उससे अधिक के कारावास की सजा दिलाने में सफलता मिली। इस वर्ष एक जनवरी से 31 मार्च के मध्य पांच दोषियों को मृत्युदंड की सजा दिलाई गई। इसी अवधि में 192 आरोपितों को आजीवन कारावास व 265 आरोपितों को 10 वर्ष से अधिक की सजा दिलाई गई। गृह विभाग ने दो वर्ष की कार्ययोजना के तहत मृत्युदंड की सजा वाले अपराधों में 10, आजीवन कारावास की सजा वाले अपराधों में 500 को और 10 वर्ष की अधिक की सजा वाले अपराधों में दो हजार को सजा दिलाने जाने का लक्ष्य रखा है। वहीं पाक्सो एक्ट के तहत 20 मामलों में विचारण पूर्ण कर एक माह से कम समय में सजा दिलाई जाएगी।

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