इस महीने कब है कर्क संक्रांति, क्या होता है इसका महत्व
नई दिल्ली। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का शासक कहा गया है। जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है या पारगमन करता है तो इस परिवर्तन की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। इस समय सूर्य मिथुन राशि में गोचर कर रहा है। जो राशि के अनुसार तीसरी राशि मानी जाती है। सूर्य मिथुन राशि में अपनी यात्रा पूरी करने जा रहा है। यात्रा पूरी करने के बाद सूर्य भगवान कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। कर्क राशि में सूर्य का पारगमन कर्क संक्रांति कहलाता है।
वर्ष 2020 में सावन के महीने में सूर्य ने कर्क राशि में प्रवेश किया था। इस साल यानी 2021 में सूर्य का राशि परिवर्तन आषाढ़ के महीने में होने जा रहा है। इस कारण यह प्रभाव देश-दुनिया से लेकर मेष से लेकर मीन राशि तक रहेगा। पंचांग के अनुसार कर्क संक्रांति को छह माह के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है। साथ ही दक्षिणायन भी इसी दिन से शुरू होता है, जो मकर संक्रांति तक रहता है। यह संक्रांति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से सूर्य दक्षिणायन होगा। इसके बाद उत्तरायण शुरू होता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व भी बताया गया है।
कर्क संक्रांति और पूजन का शुभ समय
कर्क संक्रांति: 16 जुलाई 2021, शुक्रवार
कर्क संक्रांति का पुण्यकाल: सुबह 05:34 से शाम को 05:09
अवधि – 11 घंटे 35 मिनट
कर्क संक्रांति महापुण्य काल: 02:51 बजे से 05:09 बजे तक
अवधि – 02 घंटे 18 मिनट
कर्क संक्रांति का क्षण: 05:18 शाम को
पंचांग के अनुसार सूर्य मिथुन राशि छोडक़र कर्क राशि में प्रवेश करेगा 16 जुलाई 2021 को शाम 4:41 बजे। सूर्य भगवान कर्क राशि में रहेंगे। 17 अगस्त 2021 तक और इसके बाद सूर्य सिंह राशि में पारगमन करेगा।