दुनिया में जारी वैक्सीन वार के निहितार्थ
sanjay sharma
सवाल यह है कि तमाम देशों में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने की होड़ क्यों लगी है? क्या यह वैक्सीन दुनिया की अर्थव्यवस्था को पटरी पर दोबारा लाने की कुंजी साबित होगी? क्या सबसे पहले वैक्सीन बनाने वाला देश विश्व के अन्य देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा? क्या भारत के बिना वैक्सीन की आपूर्ति दुनिया भर को की जा सकेगी?
चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है। यह न केवल लोगों की जान ले रहा है बल्कि अर्थव्यवस्था को भी पटरी से उतार चुका है। लिहाजा पूरी दुनिया इस वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन का इंतजार कर रही है। तमाम देशों में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। एक तरह का वैक्सीन वार छिड़ गया है। सबसे पहले वैक्सीन बनाने की जद्दोजहद जारी है। सवाल यह है कि तमाम देशों में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने की होड़ क्यों लगी है? क्या यह वैक्सीन दुनिया की अर्थव्यवस्था को पटरी पर दोबारा लाने की कुंजी साबित होगी? क्या सबसे पहले वैक्सीन बनाने वाला देश विश्व के अन्य देशों पर बढ़त हासिल कर लेगा? क्या भारत के बिना वैक्सीन की आपूर्ति दुनिया भर को की जा सकेगी? क्या भारत वैक्सीन बनाने की होड़ में शामिल है?
कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए इस समय पूरी दुनिया में 155 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से 23 का परीक्षण इंसानों पर किया जा रहा है। हालांकि केवल चार वैक्सीन ऐसी हैं जो परीक्षण के तीसरे चरण में हैं। इसमें हजारों लोगों को वैक्सीन दी जाती है और देखा जाता है कि यह संक्रमण को प्रभावी ढंग से खत्म कर सकी है या नहीं। चौथे चरण में नतीजों का विश्लेषण किया जाता है और सब कुछ ठीक होने पर वैक्सीन को अप्रूवल मिलता है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि इस साल के अंत तक एक या दो वैक्सीन उपलब्ध हो सकती हैं। इस रेस में अमेरिका की मोडेर्ना कंपनी द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन एमआरएनए-1273 सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन है। रूस ने वैक्सीन बनाने का दावा किया है जबकि चीन भी वैक्सीन बनाने के बहुत करीब पहुंचने का दावा कर रहा है। भारत में सात कंपनियां वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसमें सबसे आगे भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन कोवाक्सीन है। इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। इसमें दो राय नहीं कि जिस भी देश ने सबसे पहले इस वैक्सीन को बनाने में सफलता प्राप्त कर ली उसे भारी कमाई होगी। वैक्सीन के आने से वैश्विक अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट आएगी। वहीं भारत यदि सबसे पहले वैक्सीन नहीं बना पाया तो भी इसकी मदद के बगैर वैक्सीन दुनिया के करोड़ों लोगों तक नहीं पहुंच सकती है। दुनिया की हर तीन में से एक वैक्सीन भारत में बनती है और इस पर आने वाला खर्च सबसे कम है। इसके अलावा सबसे पहले वैक्सीन बनाने वाले देश को अन्य देशों पर बढ़त मिलेगी।



