लखनऊ में हीटर जलाकर सो रहे हैं अफसर और नेता, ठंड में सड़कों पर जानवरों की तरह पड़े हैं लोग

  • अलाव और रैन बसेरे बन रहे हैं कागजों पर
  • अधिकांश इलाकों में गरीबों के लिए बिस्तर बनीं सड़कें और फुटपाथ
  • अलाव की भी व्यवस्था नहीं, ठिठुरते हुए रात काट रहे राहगीर
  • सीएम योगी के आदेश का नहीं दिखा असर
  • सत्य प्रकाश / सुमित कुमार
    लखनऊ। कड़ाके की ठंड में लखनऊ में एक ओर अफसर और नेता अपने घरों में हीटर जलाकर आराम से सो रहे हैं वहीं गरीब खुले आसमान के नीचे सड़कों पर ठिठुरते हुए रात काट रहे हैं। 4पीएम की टीम ने जब ठंड से बचने के लिए रैन बसेरों और अलाव जलाने के सरकारी दावों की पड़ताल की तो वे हवाहवाई निकले। अफसरों ने केवल कागजों पर रैन बसेरे और अलाव की व्यवस्था कर दी है। इन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों का भी कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।
    सीएम योगी ने सर्दियों के मद्देनजर जिलाधिकारियों और नगर निकायों को रैन बसेरे और अलाव के व्यापक प्रबंध के निर्देश दिए थे। अफसरों ने प्रबंध करने का दावा भी कर दिया लेकिन जब 4पीएम की टीम ने प्रदेश की राजधानी में सरकार के दावों की पड़ताल की तो सारी हकीकत सामने आ गई। गुरुवार की देर रात 4पीएम की टीम ने लखनऊ के तमाम इलाकों का भ्रमण किया। गरीब और मजदूर फुटपाथों पर खुले आसमान के नीचे सोते मिले। कई चौराहों पर अलाव की कोई व्यवस्था नहीं दिखी। 4पीएम की टीम मड़ियांव, अलीगंज, परिवर्तन चौक, डालीगंज, हनुमान सेतु, टेढ़ीपुलिया, पुरनिया, कैसरबाग बस अड्डे सहित कई स्थानों पर पहुंची। सब जगह हालात बदतर दिखे। लोग सड़कों के किनारे, फुटपाथों और अस्पतालों के बाहर खुले आसमान के नीचे सोते दिखे। सीतापुर से मजदूरी करने आए राजू ने बताया कि रैन बसेरे की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण वे खुले में सोते हैं। दिहाड़ी इतनी नहीं की किराए का मकान ले सकें। लखीमपुरखीरी से आए रामलखन ने बताया कि वे सर्दी के कारण रोजाना लंबा सफर नहीं तय कर पाते इसलिए इंजीनियरिंग कालेज के पास बने फुट ओवर ब्रिज पर सोते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों से दिहाड़ी मजदूर काम की तालश में यहां आते हैं। इसके अलावा हजारों लोग प्रतिदिन इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।
    रैन बसेरों पर धन उगाही का आरोप
    राजधानी में पर्याप्त रैन बसेरे नहीं है। जो हैं वहां भी अवैध वसूली की जा रही है। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें रैन बसेरे में रुकने के लिए आधार कार्ड के नाम पर परेशान किया जाता है और आईडी न होने पर सौ से तीन सौ रूपये वसूल किये जाते हैं। कमलापुर के रहने वाले सुधीर कुमार ने बताया कि इंजीनियरिंग कालेज पर मौजूद रैन बसेरे में रुकने के लिए आधार कार्ड होने के बावजूद सौ रूपये मांगे गए। जब उन्होंने देने से मना किया तो सुपरवाइजर ने बेड खाली न होने का बहाना बना दिया।
    रैन बसेरों की व्यवस्था की गई है। नगर निगम के 23 स्थायी जबकि 16 अस्थाई रैन बसेरे हैं। रात्रि में टीमें भेजकर केजीएमयू एवं अन्य स्थानों पर खुले में सो रहे लोगों को रैन बसेरों में भिजवाने का कार्य किया जाएगा। लोगों को रैन बसेरों में रुकने ले लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
    विपिन मिश्रा, एडीएम वित्त
    रैन बसेरों में रोजाना 650 से अधिक लोग रुक रहे हैं। उनके लिए व्यापक प्रबन्ध किए गए हैं। अलाव के लिए भी लकड़ियां गिराने के प्वाइंट निर्धारित हैं। निरीक्षण किया जाएगा। जरूरत पर प्वाइंट बढ़ाये जाएंगे।
    अमित कुमार, अपर नगर आयुक्त, नगर निगम

    किसानों का ऐलान, कानून वापसी तक नहीं छोड़ेंगे मोर्चा

    • 23वें दिन भी आंदोलन जारी, चिपको आंदोलन के प्रणेता ने भी दिया समर्थन
    • तमिलनाडु में द्रमुक नीत दलों के नेता अनशन पर बैठे
    4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का प्रदर्शन आज 23वें दिन भी जारी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चिट्ठी के बाद किसानों ने एक बार फिर ऐलान किया है कि वे कानून वापसी तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। वहीं तमिलनाडु में द्रमुक नीत विपक्षी दल कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए आज एक दिन के अनशन पर बैठे। इसके अलावा चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा भी किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि वह किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति, पंजाब के दयाल सिंह ने कहा कि पीएम को किसानों से बात करनी चाहिए और कानूनों को वापस लेना चाहिए। हम इन कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेंगे। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिवश्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि कमेटी बनाना समस्या का हल नहीं है, पहले भी किसानों ने छोटी कमेटी बनाने से इनकार किया था। कृषि मंत्री तोमर की चिट्ठी देश को भ्रमित करने वाली है, उसमें कुछ नया नहीं है। अगर सरकार बातचीत करके काले कानून वापस लेती है तो ठीक नहीं तो हम ये मोर्चा नहीं छोड़ेंगे। इस बीच सिंघु बॉर्डर पर किसान ठंड से बचने के लिए अधिक तम्बू की व्यवस्था कर रहे हैं। गौरतलब है कि किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि जहां तक प्रदर्शन का सवाल है न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा।
    भाजपा सरकार कोरोना का बहाना करके लोकसभा का शीतकालीन सत्र टालकर किसानों और विपक्ष का सामना करने से बच रही है। लोकसभा व विधान सभा का सत्र बुलाकर देश में किसान बिल, निजीकरण, बेरोजगारी, महंगाई तथा उप्र में कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा व विकास के रूके हुए कामों पर तुरंत चर्चा हो।
    अखिलेश यादव, सपा प्रमुख

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