साप्ताहिक लॉकडाउन और बेकाबू कोरोना
sanjay sharma
सवाल यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद कोरोना की रफ्तार थम क्यों नहीं रही है? क्या प्रदेश में कोरोना अपने पीक पर पहुंच चुका है? क्या सामुदायिक संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है? क्या गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं? साप्ताहिक लॉकडाउन के बाद भी कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक क्यों नहीं लग रहा है?ï क्या पुलिस-प्रशासन की सुस्ती इसके लिए जिम्मेदार है?
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। भारत में इसने अब तक 36 लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। उत्तर प्रदेश की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। साप्ताहिक लॉकडाउन के बावजूद स्थितियों में सुधार होता नहीं दिख रहा है। प्रदेश में सवा दो लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 3423 की मौत हो चुकी है। सवाल यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद कोरोना की रफ्तार थम क्यों नहीं रही है? क्या प्रदेश में कोरोना अपने पीक पर पहुंच चुका है? क्या सामुदायिक संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है? क्या गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं? साप्ताहिक लॉकडाउन के बाद भी कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक क्यों नहीं लग रहा है?ï क्या पुलिस-प्रशासन की सुस्ती इसके लिए जिम्मेदार है? क्या स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ते संक्रमण का सामना करने की स्थिति में हैं?
अनलॉक के बाद यूपी में कोरोना की रफ्तार बेहद तेज हो गई है। जुलाई और अगस्त माह में इसने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रदेश में रोजाना चार से पांच हजार नए केस सामने आ रहे हैं। इस संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने साप्ताह में दो दिन के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है लेकिन इसका भी कोरोना की रफ्तार पर असर पड़ता नहीं दिख रहा है। दरअसल, कोरोना संक्रमण के लिए पुलिस-प्रशासन और लोगों की लापरवाही जिम्मेदार है। अनलॉक के साथ ही प्रदेश में कुछ को छोडक़र सभी सार्वजनिक गतिविधियां शुरू हो गईं। बाजार और प्रतिष्ठïान खुल गए। लोगों ने पहले की तरह जीवन जीना शुरू कर दिया। कोरोना गाइडलाइंस के पालन में जमकर कोताही बरती जा रही है। बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लोग मास्क लगाने से परहेज कर रहे हैं। दुकानों पर भीड़ लगी हुई है। दो गज की दूरी महज एक चेतावनी बन कर रह गई है। वहीं पुलिस भी कोरोना गाइडलाइंस का पालन कराने में सुस्त हो गई है। परिणाम यह हुआ कि लोग तेजी से संक्रमित होने लगे। हैरानी की बात यह है कि साप्ताहिक लॉकडाउन के दौरान भी लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। हालात यह हो गए हैं कि अस्पतालों में बेड की कमी हो गई है। जरूरी दवाओं की किल्लत होती जा रही है। पहले से ही चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों की हालत और भी खराब हो चुकी है। प्रदेश में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। यदि सरकार कोरोना की रफ्तार को रोकना चाहती है तो उसे बाजार और प्रतिष्ठïानों में कोरोना गाइडलाइंस का पालन कठोरता से कराना होगा अन्यथा स्थितियां विस्फोटक हो जाएंगी।