सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

नई दिल्ली। देशद्रोह कानून के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने आज केंद्र सरकार से सवाल किया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जैसे लोगों को चुप करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कानून के प्रावधान को क्यों नहीं हटाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि हम सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का स्वागत करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (देशद्रोह) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक पूर्व मेजर जनरल और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिकाओं पर आज विचार किया। वह यह कहते हुए ऐसा करने के लिए सहमत हुए कि उनकी मुख्य चिंता कानून का दुरुपयोग है।
बेंच ने इस मामले में केंद्र को नोटिस जारी किया है। जस्टिस एएस बोपन्ना और हृषिकेश रॉय के साथ बेंच में बैठे मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, एक राज्य में सत्तारूढ़ दल अपने विरोधियों पर यह धारा लगाता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए का भी इसी तरह से दुरुपयोग किया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून को असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद भी पुलिस लोगों को गिरफ्तार कर रही है। देशद्रोह की धारा भी इस तरह से लगाई जाती है कि किसी को परेशान किया जा सके। ज्यादातर लोग बाद में बरी हो जाते हैं। लेकिन गलत तरीके से कोई जवाबदेही नहीं है धारा लगाने वाले पुलिस अधिकारी पर तय।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, यह कानून ऐसा है जैसे एक बढ़ई को लकड़ी का एक टुकड़ा काटने के लिए आरी दी गई और उसने पूरे जंगल को काटना शुरू कर दिया। सरकार कई पुराने कानूनों को खत्म कर रही है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत की चिंता से सहमति जताते हुए कहा, निश्चित रूप से इस कानून का दुरुपयोग रोका जाना चाहिए। इसे केवल देश और लोकतांत्रिक संस्थानों की सुरक्षा को सीधे चोट पहुंचाने वाले मामलों तक ही सीमित रखने की जरूरत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button