कैप्टन ने आखिर कर ही दिया सिद्धू को क्लीन बोल्ड

नई दिल्ली। राहुल गांधी और तीन सदस्यीय खडग़े पैनल ने पंजाब कांग्रेस के नेताओं के साथ बातचीत की। लंबी बातचीत के बाद ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पंजाब में मंत्रिमंडल और संगठन दोनों में बदलाव हो सकता है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने लंबित चुनावी वादों पर एआईसीसी द्वारा नियुक्त पैनल के साथ तीन घंटे की बैठक की और राहुल ने कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों के समूह के साथ अगले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की संभावनाओं पर चर्चा की।
राहुल से मुलाकात के बाद लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, करीब एक हफ्ते में मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा और कुछ पुराने चेहरों के साथ नई टीम बनाई जा सकती है। 2022 में होने वाले विधान चुनाव से पहले नए मंत्रिमंडल या पीपीसीसी के गठन की भी बात हो रही है। अच्छी बात यह है कि राहुल खुद पंजाब में पार्टी में सुधार के तरीकों में दिलचस्पी ले रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव कैसे जीता जाए?
मुख्यमंत्री ने खडग़े पैनल को अपवित्रीकरण के मुद्दे और अन्य बड़े अधूरे वादों के बारे में विस्तृत अपडेट दिया। दावा किया गया कि पार्टी ने घोषणा पत्र में किए गए वादों में से 85 फीसदी को पूरा किया है। उन्होंने पैनल को यह भी बताया कि पिछली एसआईटी ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली थी लेकिन फिर कोर्ट का फैसला आया और नई एसआईटी का गठन किया गया है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही जांच पूरी होने की संभावना है।
खडग़े समिति के सदस्य जेपी अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ लंबी चर्चा चुनावी वादों की स्थिति पर केंद्रित रही ताकि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पूरी कोशिश कर सके। पैनल से मिलने के बाद अमरिंदर सलमान खुर्शीद के साथ राज्यसभा सांसद अंबिका सोनी के साथ लंच करने गए थे। हालांकि सोनिया गांधी या राहुल के साथ उनकी कोई तय मुलाकात नहीं थी।
सूत्रों का कहना है कि राहुल से मिलने वाले मंत्रियों और विधायकों के एक वर्ग ने अपनी ही सरकार से बातचीत में असंतोष जताया। राहुल ने विधायकों और मंत्रियों से अगले विधानसभा चुनाव के लिए बेहतरीन नेतृत्व के बारे में भी पूछा।
राज्य मंत्रिमंडल में ओबीसी के अति प्रतिनिधित्व का मुद्दा और नौकरशाही के प्रभाव का मुद्दा भी नेताओं के एक वर्ग ने उठाया था। राहुल को एक सूची भी दी गई थी, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद नौकरशाहों की पुनर्नियुक्ति की थी। यह भी बताया गया कि सांसद अब सक्रिय होते जा रहे हैं, जबकि पार्टी के विधायकों को अगले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहना होगा।
राहुल से मिलने वाले नौ नेताओं में कैबिनेट मंत्री तृप्त सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरनजीत सिंह चन्नी के अलावा विधायक संगत सिंह गिलजियान, परगट सिंह, रणदीप सिंह नाभा, पूर्व विधायक अश्विनी सेखरी और अन्य शामिल थे।
सिद्धू के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने कहा कि इस मुद्दे को लगभग हर नेता और पार्टी नेतृत्व ने उठाया है और पैनल ने इसे गंभीरता से लिया है। उनका कहना था कि वे मीडिया में सिद्धू के बयानों से स्तब्ध हैं। हर कोई परेशान है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पैनल विभिन्न मुद्दों पर काम कर रहा है। किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि वह इतनी बड़ी पार्टी के लिए खास है। खासकर जब कोई लंबे समय तक घर के अंदर होता है और बाहर की वास्तविकता से कोई संपर्क नहीं होता है।
बिट्टू ने कहा, क्या आपको लगता है कि यह अनुशासन है? मुख्यमंत्री की नियुक्ति सोनिया जी ने की है। जब आप खुद कैबिनेट का हिस्सा थे और दावा किया था कि आपकी कोई नहीं सुनता। जब वह स्थानीय निकाय मंत्री थे तो उनका प्रदर्शन कैसा रहा? सूत्रों का कहना है कि सिद्धू ने जहां डिप्टी सीएम की पेशकश ठुकरा दी है, वहीं अमरिंदर पीपीसीसी प्रमुख के तौर पर उनकी नियुक्ति के खिलाफ हैं।

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