कोरोना की बढ़ती रफ्तार और लापरवाही
sanjay sharma
सवाल यह है कि कोरोना की रफ्तार अचानक क्यों बढऩे लगी है? क्या अनलॉक ने स्थितियों को बिगाड़ दिया है? क्या लोगों की लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार है? क्या राज्य सरकारें और प्रशासन महामारी को लेकर शिथिल हो गए हैं? क्या कम मृत्युदर और रिकवरी दर में वृद्धि के कारण लोगों नेे सतर्कता बरतनी बंद कर दी है? क्या जनता महामारी को लेकर गंभीर नहीं है?
पूरे देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। रोजाना औसतन तीस हजार केस आ रहे हैं। यदि यही रफ्तार रही तो कोरोना बेकाबू हो जाएगा और हमारी स्वास्थ्य सेवाएं इसको संभालने में नाकाम साबित होंगी। सवाल यह है कि कोरोना की रफ्तार अचानक क्यों बढऩे लगी है? क्या अनलॉक ने स्थितियों को बिगाड़ दिया है? क्या लोगों की लापरवाही इसके लिए जिम्मेदार है? क्या राज्य सरकारें और प्रशासन महामारी को लेकर शिथिल हो गए हैं? क्या कम मृत्युदर और रिकवरी दर में वृद्धि के कारण लोगों ने सतर्कता बरतनी बंद कर दी है? क्या जनता महामारी को लेकर गंभीर नहीं है? क्या देश कोरोना के सामुदायिक संक्रमण की राह पर बढऩे लगा है? क्या स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ते मरीजों का बोझ संभाल पाएंगी? क्या नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कराने के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं?
देश में कोरोना से अब तक दस लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 25602 लोगों की मौत हो गई है। राहत की बात यह है कि मृत्युदर तीन फीसदी से कम और रिकवरी रेट 63 फीसदी से अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई राज्य अपने पीक पर पहुंच चुके हैं और जल्द ही यहां मरीजों की संख्या में कमी आएगी। बावजूद इसके मरीजों की बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। उन राज्यों में भी संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ रहा है जहां अनलॉक के पहले अधिक केस नहीं थे। हकीकत यह है कि अनलॉक होने के बाद लोगों ने घोर लापरवाही शुरू कर दी। सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। हाथ को सेनेटाइज करने की प्रक्रिया में भी काफी कमी आई है। सरकार की तमाम हिदायतों के बावजूद तमाम लोग अभी भी मास्क लगाने से कतरा रहे हैं। इसके अलावा बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान नहीं होने के कारण भी संक्रमण तेजी से फैला है। तमाम विभागों के कर्मचारी भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। इसके कारण अस्पतालों में मरीजों का तांता लग रहा है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में लोगों को इलाज मिलना मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है। सरकारी तंत्र भी अनलॉक के बाद नियमों का पालन कराने में शिथिलता बरत रहा है। लोग के मन से कार्रवाई का भय निकल गया है। जाहिर है कि यदि कोरोना की रफ्तार को कम करना है तो सरकार के साथ नागरिकों को सहयोग करना होगा। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन का अक्षरश: पालन करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो देश में हालात बेकाबू हो जाएंगे और जिसे संभालना बेहद मुश्किल होगा।