सम्मेलन से पिछड़ों को साध पाएगी भाजपा!
जातियों में बढ़ रही है सियासी चेतना, वोट लेने के बाद भी नेता नहीं उठाते अपने समाज की आवाज
4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्धों ने उठाए कई सवाल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भले ही सभी पार्टियां जातिवाद नहीं करने की बात करती हों लेकिन चुनाव आते ही जातियों का खेल शुरू हो जाता है। भाजपा भी पिछड़ों का सम्मेलन कर रही है। भाजपा की जातियों का सम्मेलन बुलाने की क्या मजबूरी है? क्या पिछड़ा वर्ग सम्मेलन से भाजपा को फायदा मिलेगा? ऐसे कई सवाल उठे वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, ममता त्रिपाठी, अजय शुक्ला, चिंतक सीपी राय, प्रोफेसर लक्ष्मण यादव और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के बीच चली लंबी परिचर्चा में।
ममता त्रिपाठी ने कहा, यूपी के चुनाव में जाति और धर्म का मुद्दा हमेशा रहा है। यह यूपी की राजनीति की विसंगति भी है। यूपी के पिछले तीन चुनाव में विभिन्न पार्टियों को बहुमत मिला। मायावती को इसका फायदा मिला था। अखिलेश को भी इसका लाभ मिला। भाजपा जब सत्ता में आयी तो भी जाति और धर्म का आधार रहा। प्रोफेसर लक्ष्मण यादव ने कहा, पूरे देश में जाति का सवाल अहम बन चुका है। अब हर जाति के बीच राजनीतिक चेतना मुखर हो चुकी है इसलिए सियासत में जातियां अहम बनती जा रही हैं। सरकार भी अब घोषित करने लगी है कि उसने किस जाति के कितने लोगों को कैबिनेट में स्थान दिया है।
सीपी राय ने कहा, केशव प्रसाद मौर्य ने कभी पिछड़ों का सवाल नहीं उठाया। नेता जाति का वोट तो ले लेते हैं लेकिन उनकी आवाज नहीं उठाते हैं। अगर आवाज उठायी होती तो उनको लाभ मिलता। अजय शुक्ला ने कहा, भाजपा में अंदरखाने गुटबाजी चल रही है। केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच खटपट चल रही है। मुलायम सिंह यादव के अलावा किसी भी नेता ने अपनी जाति के लोगों के लिए कुछ नहीं किया। केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा की लीडरशिप नहीं मिली। पावर वाले विभाग भी उनके पास नहीं है। अशोक वानखेड़े ने कहा, यह ठाकुरों की सरकार है। ये नेता डीलर है। सभी ने माल काटा है। पिछड़ा सम्मेलन से वे जीतने का जुगाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वे फेल साबित हो चुके हैं।