अमित शाह ने थमा दिया योगी को 4,000 करोड़ रुपये का बिल, पढ़े पूरी ख़बर…

सुष्मिता मिश्रा 

बीते रविवार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को दो दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है। हालाँकि इस मामले में मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र समेत 15 लोगों के खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश का केस दर्ज किया गया है। लेकिन अब तक इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष सहित अन्य किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

वहीँ इस से पहले सीएम योगी के गोरखपुर में बीते दिनों हुई कारोबारी मनीष  गुप्ता के मामले में भी अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। जबकि इस मामले में आरोप खुद पुलिस कर्मियों पर था,ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या यूपी पुलिस को घटनाओं के ये आरोपी ढूंढें नहीं मिल रहे या फिर पुलिस ही लीपापोती में जुटी है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इससे पहले भी बिकरू कांड, हाथरस और उन्नाव कांड में पुलिस और अपराधियों के लखीमपुर खीरी में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे की एक एसयूवी द्वारा चार किसानों को कथित रूप से कुचलने के बाद हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, वहीँ इस हिंसा में एक पत्रकार समेत 8 अन्य की मौत हो गई थी। जिसके बाद मंत्री की बर्खास्तगी और मुख्य आरोपी यानी उनके बेटे आशीष के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल और किसान संगठनों द्वारा उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विरोध जारी है। इसके अलावा विपक्षी दल भी लगातार सत्ता पर कार्रवाई का दबाव बना रहे हैं, हालाँकि अभी तक इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

इसी कड़ी में कल कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व राहुल गाँधी ने घटना में पीड़ित का परिजनों से मुलाक़ात की और आज सपा सुप्रीमों व बसपा के महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा भी लखीमपुर पहुँच रहे हैं। वहीँ घटना को लेकर केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा है, कि विरोध राजनीति से प्रेरित है और उनका बेटा घटना के दौरान घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। वहीँ इस घटनाक्रम के बीच जब यूपी सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए गृह मंत्रालय से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सी.ए.पी.एफ  की तैनाती की मांग की तो मंत्रालय ने तैनाती की मंज़ूरी दे भी दी। लेकिन इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय ने योगी आदित्यनाथ सरकार को 4,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का बिल थमा दिया. अब आप सोचेंगे आखिर मंत्रालय ने किस बात का बिल थमा दिया? तो आपको बता दें कि यह बिल केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती का था।

आपको बता दें कि, बीते 3 अक्टूबर को यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया इलाके में हुई हिंसा को लेकर बीजेपी सांसद व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा सवालों में हैं, और मामला राजनीतिक रूप से गरमाया हुआ है।ऐसे में हालात बिगड़ने से रोकने के लिए यूपी सरकार की मांग पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 3 अक्टूबर से लखीमपुर खीरी में  सी.ए.पी.एफ की चार कंपनियों को लगाया है। समाचार एजेंसी एएनआई  के मुताबिक, इस समय मौके पर रैपिड एक्शन फोर्स की दो कंपनी और बाकी दो कंपनी सशस्त्र सीमा बल की तैनात की गई हैं. साथ ही बता दे कि एक कंपनी में करीब 100 सुरक्षाकर्मी होते हैं।

वहीँ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़,सी.ए.पी.एफ की तैनाती के साथ ही होम मिनिस्ट्री ने योगी सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी है। इसमें केंद्रीय सुरक्षा बलों की पिछली तैनाती का बिल क्लियर करने को कहा गया है। साथ ही कहा गया कि ये बिल पिछले कई साल से बकाया है। होम मिनिस्ट्री ने चिट्ठी में लिखा है, कि “हम यूपी सरकार से केंद्रीय पुलिस बलों की तैनाती के लिए 4,084 करोड़ रुपये के बिल का भुगतान करने का अनुरोध करते हैं. वहीँ यह बिल 1 जुलाई 2021 तक का है”।

इसके अलावा इस पत्र में मिनिस्ट्री ने आगे लिखते हुए कहा है कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय चाहता है कि बकाया राशि का भुगतान सरकार द्वारा जल्द से जल्द कर दिया जाए। क्योंकि अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले बिल के ऊपर जाने की उम्मीद है। बता दें कि, मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए राज्यों द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि में वृद्धि की थी।

गौरतलब है कि, गृह मंत्रालय हर पांच साल में अपनी नीतियों में बदलाव करता है। मंत्रालय की 2019 की नीति के मुताबिक़, 2021-22 में साल भर की सामान्य तैनाती के लिए राज्यों से 17.36 करोड़ रुपये लेने का नियम बनाया गया है। ये खर्च   की सी.ए.पी.एफ कंपनियों के लिए है, अगर कम समय के लिए तैनाती रहती है। या फिर कम या ज्यादा कंपनियां तैनात होती हैं, तो उसके हिसाब से ये रकम घट-बढ़ जाती है, बता दें कि गृह मंत्रालय ने 2019 में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के लिए राज्यों से ली जाने राशि में कटौती की थी।

इसके अलावा गृह मंत्रालय की नीतियों के मुताबिक, ज़्यादा जोख़िम भरे व संवेदनशील इलाक़ों में केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों की तैनाती के नियम अलग हैं, ऐसे इलाक़ों में अगर फोर्स तैनात की जाती है तो उसके लिए सालाना 37.93 करोड़ रुपये तय किए गए गए है। हालाँकि ये रकम 2021-22 के लिए है,वैसे तो इस राशि में आमतौर पर हर साल बदलाव होता है।पर जब 2023-24 में जब लोकसभा चुनाव होंगे, तब सामान्य जगहों पर सालभर की तैनाती के लिए राज्यों को 22.3 करोड़ खर्च करने पड़ सकते हैं, वहीँ ज़्यादा जोख़िम भरे और सेंसिटिव इलाक़ों में फोर्स भेजने का खर्च करीब 42 करोड़ रुपये होगा।

 

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