नौकरशाही के पिंजरे में कैद हैं मुख्यमंत्री, जमीन पर नहीं दिख रहा जनहित का काम
- सांसद, विधायक व मंत्री त्रस्त हैं इस ब्यूरोक्रेसी से, इसे समझ नहीं पा रही सरकार
- अभी समय तो मौज का है ब्यूरोक्रेसी का लेकिन आने वाले सालों में जब सरकार बदलेगी तो अफसरों को काम करना ही पड़ेगा
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। यूपी की नौकरशाही से सब परेशान हैं। तभी सरकार की योजनाएं व रणनीति सिरे नहीं चढ़ रही है। वर्तमान में नौकरशाही के पिंजरे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैद हैं। इसी वजह से परिणाम शून्य है। स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश में सांसद, विधायक व मंत्री त्रस्त है इस ब्यूरोक्रेसी से। बावजूद सरकार इस चीज को समझ नहीं पा रही है। ब्यूरोक्रेट्ïस के अफसर जानते हैं कि अभी समय तो मौज का है लेकिन आने वाले सालों में जब सरकार बदलेगी तो अफसरों को काम करना ही पड़ेगा। पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह, बीबीसी के पूर्व संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी, भड़ास फोर मीडिया के संपादक यशवंत सिंह, रॉयल बुलिटेन के संपादक अनिलजी ने 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ नौकरशाही को लेकर एक लंबी परिचर्चा की, जिसमें बहुत से चीजें सामने निकलकर आई। परिचर्चा में पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा नौकरशाही नौकरशाही है, खुराफाती जो है। आज के समय में ठाकुर और पंडित लॉबी की नौकरशाही चल रही है। जाति विशेष के अधिकारियों को ब्यूरोक्रेट में जगह दी जा रही है। वहीं रामदत्त त्रिपाठी ने कहा घोड़ा टेढ़े-मेढ़ा चले, बदमाशी करें तो दोष किसका घुड़सवार का या घोड़े का। भाई देखिए ये कहावत पुरानी है नांच न आवे आंगन टेढ़ा। ब्यूरोक्रेसी का सिस्टम ये है कि कोई भी सरकार आए पॉलिसी के हिसाब से चलना। सचिवालय, मंत्रियों व कैबिनेट का काम है पॉलिसी बनाना। मगर ब्यूरोक्रेसी में दांये-बाएं नहीं होना चाहिए। अब मुख्यमंत्री ने काम उल्टा कर दिया है। सिर्फ लीडरशिप के लिए दौरे कर रहे है। मगर उसका परिणाम सामने नहीं आ रहा है।
यशवंत सिंह ने कहा कि योगीजी की जो स्थिति है। वह वही है कि उनको प्रशासनिक अनुभव ज्यादा नहीं इसीलिए अफसरशाही हावी है। नौकरशाहों ने सीएम को भ्रमित कर रखा है। कोरोना से शिक्षकों की मौत इसका उदाहरण है। अफसर व मंत्री तीन बता रहे जबकि शिक्षक संघ ने सूची सौंपी कि 1600 से ज्यादा लोगों ने कोरोना से जान गंवाई हैं। नौकरशाही के चलते ही कोई कुछ बोलता है तो एफआईआर दर्ज हो जाती है। पश्चिमी यूपी के चर्चित पत्रकार अनिल रॉय कहते हैं कि डब्ल्यूएचओ व प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि योगी मॉडल हिट है तो समझो हिट है। उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि विधानसभा चुनाव 2022 में नहीं बल्कि 2023 में होंगे। पंचायत चुनाव को लेकर इसका तर्क भी दिया। उन्होंने कहा कि अफसरशाही ने पूरे प्रदेश का भट्ठा बैठा दिया है जबकि योगी लगातार प्रदेश की अच्छी छवि बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि मायावती के शासन में अफसरों को सीयूजी फोन करते उठता ही नहीं था बल्कि खड़े हो जाते थे। मगर अब पांच-पांच बार स्पष्टïीकरण मांगा जाता है तो भी अफसर फोन नहीं उठाते। मुख्यमंत्री को सुबह कागज थमाया जाता है कि आज का आपका ये कार्यक्रम है। मुख्यमंत्री जी लगातार दौरे करते रहते हैं। भागमभाग बहुत है मगर परिणाम शून्य है। नौकरशाही में प्रभाव अभी शून्य है। इसी वजह से मुख्यमंत्री की रणनीति फेल हो रही है। ब्यूरोक्रेसी बहुत चतुर प्राणी है। एक छलावा है। इसी वजह से ब्यूरोक्रेसी मनमानी कर रही है। जहां सब कुछ हरा-हरा दिखाई देता है। वे कहते हैं कि जब दौरे पर मुख्यमंत्री जाते है तो उन्हें रेड कारपेट ही दिखता है टूटे खड़ंजे क्यों नहीं दिखते। बता दें कि नोएडा में कोविड सेंटर पर ताला लगा है सीएम के दौरे के बाद। डीआरडीओ लखनऊ के अस्पताल में साढ़े तीन सौ मरीज भर्ती हुए, जिसमें डेढ़ सौ मर गए। क्या हुआ डीआरडीओ का। अभी ये हाल है कि बड़े मेनस्ट्रीम मीडिया में वहीं चल रहा है, जैसा अफसर चाहते हैं। ब्यूरोक्रेटस सरकार को घुमा रहे हैं। इसी वजह से परिणाम शून्य आ रहा है। होना ये चाहिए कि जहां जिस जिले में कमी मिले, तुरंत सस्पेंड कर दे सीएमओ, डीएम, एसपी, कमिश्नर को तो ही नौकरशाही सही चलेगी।
राकेश टिकैत को फिर जान से मारने की धमकी
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन के राष्टï्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को मोबाइल फोन के जरिए जान से मारने की धमकी देने का मामला सामने आया है। इसके बाद जहां दिल्ली पुलिस के साथ-साथ उत्तर प्रदेश पुलिस भी हरकत में है तो वहीं किसान संगठनों में भारी नाराजगी और गुस्सा है। इससे पहले भी भाकियू नेता टिकैत को कई बार जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है। इससे बाबत गाजियाबाद पुलिस में मामला भी दर्ज है। बता दें कि बीते 6 महीने से दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत की अगुवाई में तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चल रहा है। धरने की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता को मोबाइल फोन पर धमकी मिली है। चार मोबाइल नंबरों से उन्हें वाट्सएप पर अश्लील संदेश भेजे जा रहे हैं। इसके साथ राकेश टिकैत से 11 हजार रुपए भी मांगे जा रहे हैं। गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
नहीं रहे प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा
4पीएम न्यूज नेटवर्क. ऋ षिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में भर्ती पर्यावरणविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पद्मभूषण सुंदरलाल बहुगुणा (93 वर्ष) का आज की दोपहर निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के कारण उन्हें बीती आठ मई को एम्स में भर्ती किया गया था। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल ने बताया कि उन्हें यहां आईसीयू में लाइफ सपोर्ट में रखा गया था। उनके रक्त में ऑक्सीजन की परिपूर्णता का स्तर बीती शाम से गिरने लगा था। चिकित्सक विशेषज्ञ उनकी निरंतर स्वास्थ्य संबंधी निगरानी कर रहे थे। आज उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र राजीव नयन बहुगुणा एम्स में ही मौजूद है। उनके निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया है। न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के बड़े प्रतीक में शुमार सुंदरलाल बहुगुणा ने 1972 में चिपको आंदोलन को धार दी। साथ ही देश-दुनिया को वनों के संरक्षण के लिए प्रेरित किया। चिपको आंदोलन की गूंज समूची दुनिया में सुनाई पड़ी। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा जुड़ाव था।