महिला अपराध, फर्जी एनकाउंटर और सांप्रदायिक हिंसा में नंबर वन बना यूपी : अखिलेश
- कोर्ट से फटकार खा रही प्रदेश सरकार निजीकरण से कम हुईं नौकरियां
- शिक्षा संस्थानों में राजनीति का हस्तक्षेप बढ़ा, युवाओं में रोष
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज समाज को स्वस्थ राजनीति की जरूरत है। यदि देश का युवा निराश होकर अलग रास्ता अपना लेगा तो देश किधर जाएगा। यूपी बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था, महिला अपराध, हंगर इंडेक्स, सांप्रदायिक हिंसा, फर्जी एनकाउंटर और कोर्ट की फटकार खाने में नंबर एक बन चुका है। इससे सरकार का सिर शर्म से झुक जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि निजीकरण के चलते नौकरियां कम हो रही हैं। शिक्षा में राजनीति का हस्तक्षेप हो रहा है। छात्र संघ पर भाजपा गुंडई का आरोप लगाती थी लेकिन आज यूनिवर्सिटी में राजनीति हावी है। छात्रों पर एनएसए लगाया जा रहा है। फीस बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यूपी के लिए जो पैरामीटर्स, जो गोल तय किये थे वो अब गोल कर दिए गए। यूपी के सीएम ने अपने मुकदमे ही वापस ले लिए जो संगीन धाराओं में थे। ये रिपोर्ट केंद्र की है, इसे तो सरकार को मानना चाहिए।
सपा सरकार में बनेगी जौहर से अच्छी यूनिवर्सिटी
जौहर विश्वविद्यालय की जमीन मामले पर सपा प्रमुख ने कहा कि जब सपा सरकार बनेगी तब इससे भी अच्छी और सुंदर यूनिवर्सिटी बनायी जाएगी। वीर सावरकर की मूर्ति विधान परिषद में लगाये जाने पर कहा कि जिन्होंने भी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया उनका सम्मान होना चाहिए लेकिन इस पर बहस होनी चाहिए।
सपा कार्यकर्ताओं से मिले मुलायम
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने आज सपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। सपा संरक्षक से मिलने के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी रही।
किसान आंदोलन : कमेटी की पहली बैठक शुरू, सिंघु बॉर्डर पहुंची दिल्ली-यूपी पुलिस
- 26 जनवरी को टै्रक्टर मार्च निकालने के ऐलान से चिंतित सरकार किसानों को मनाने में जुटी
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में नहीं पहुंचे किसान नेता, कल फिर होगी सरकार से वार्ता
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार और किसानों के गतिरोध को तोड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की पहली बैठक आज शुरू हुई। हालांकि इसमें कोई किसान नेता नहीं पहुंचा है। वहीं यूपी और दिल्ली की पुलिस किसानों को मनाने सिंघु बॉर्डर पहुंची है। किसानों द्वारा 26 जनवरी को टै्रक्टर रैली निकालने के ऐलान से सरकार चिंतित है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की बैठक में हम नहीं जा रहे हैं। आंदोलन में शामिल किसी ने कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया। दिल्ली और यूपी पुलिस सिंघु बॉर्डर पहुंंच गई है। पुलिस किसान नेताओं को 26 जनवरी की उनकी ट्रैक्टर रैली के लिए मनाने पहुंची है। पुलिस का तर्क है कि यह दिन सुरक्षा के लिहाज से बहुत संवेदनशील होता है, ऐसे में इस दिन ट्रैक्टर रैली नहीं निकाली जा सकती क्योंकि इसका फायदा कुछ असामाजिक तत्व भी उठा सकते हैं। किसान नेताओं और सरकार के बीच दसवें दौर की जो वार्ता आज होने वाली थी वह अब 20 जनवरी को होगी। गौरतलब है कि किसान आंदोलन 55वें दिन में प्रवेश कर चुका है। सिंघु बॉर्डर पर आज भी किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हैं।
केंद्र सरकार का दांव, पराक्रम दिवस के रूप में मनाएगी सुभाष चंद्र बोस की जयंती
- संस्कृति मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना ममता सरकार मनाएगी देश नायक दिवस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है, सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को लेकर अब केंद्र सरकार ने नया दांव चला है। केंद्र सरकार ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इस बाबत भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है। 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनायी जाती है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई जाएगी। केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया है। इसमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, ममता बनर्जी, जगदीप धनकड़, मिथुन चक्रवर्ती, काजोल और एआर रहमान सहित 84 लोग सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं। वहीं बंगाल में ममता सरकार ने नेताजी की जयंती को देश नायक दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही ममता सरकार ने ऐलान किया है कि जयंती वाले दिन बंगाल में योजना आयोग जैसे संगठन की स्थापना भी की जाएगी। ममता बनर्जी के इस ऐलान को भाजपा की ओर से बंगाल के महापुरुषों को आदर दिए जाने की राजनीति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। इस साल पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव भी है।