लखीमपुर कांड करेगा भाजपा को नुकसान।

सुष्मिता मिश्रा 

उत्तर प्रदेश में चार महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने है, कृषि कानून को लेकर पहले से ही किसान नाराज है। जिससें पश्चिम यूपी का सियासी समीकरण गड़बड़ाया हुआ है। और अब लखीमपुर खीरी की घटना से तराई बेल्ट के किसानों में भी नाराजी बढ़ने का खतरा खड़ा हो गया हैं, विपक्ष लगातार बीजेपी के किसान विरोधी बताने में लगा है। ऐसे में पश्चिम के बाद तराई इलाके में किसानों की नाराजगी बीजेपी मोल लेने के मूड में नहीं है, क्योंकि सपा-बसपा के गठबंधन के बाद भी तराई इलाके में बीजेपी ने 2019 के चुनाव में भी काफी बेहतर प्रदर्शन किया था। इसीलिए समय रहते योगी सरकार ने लखीमपुर खीरी के किसानों की तमाम शर्तों को मानकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।

किसान आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी का जाट और किसान जातियां पहले से बीजेपी से नाराज हैं, ऐसे में लखीमपुर मामले से सिख वोटर के नाराज होने का खतरा बढ़ गया हैं। पीलीभीत से लेकर बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर और बहराइच सहित तराई इलाके में सिख वोटर काफी अहम है, जो 2014 से सूबे में बीजेपी का मजबूत वोटर है। ऐसे में बीजेपी किसी भी सूरत में उन्हें अपने से दूर नहीं करना चाहती हैं। जाट के बाद सिख बीजेपी से यूपी में भी नाराज है, तो बीजेपी को 2017 में सियासी तौर पर काफी नुकसान तराई इलाके में उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि योगी सरकार ने केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को भी किसानों की हत्या मामले में आरोपी बनाया है ताकि उनके गुस्से को शांत किया जा सके।

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