आरएसएस चूहों की तरह झारखंड को नष्ट कर रही: हेमंत सोरेन

  • सीएम ने संघ पर लगाया समुदायों के बीच नफरत बढ़ाने का आरोप
  • कोयला बकाये पर पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी 

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरएसएस की तुलना चूहों से की। उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे चुनाव राज्य में चुनावी लाभ के लिए सांप्रदायिक सद्भाव को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। साहिबगंज के भोगनाडीह में एक रैली में सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की ओर इशारा करते हुए कहा, भाजपा हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच फूट डालने का काम कर रही है। उन्होंने कहा, आरएसएस चूहों की तरह राज्य में प्रवेश कर रही है और इसे नष्ट कर रही है।
जब आप लोग देखें कि ये लोग हांडिया और दारू के साथ आपके गांवों में प्रवेश कर रहे हैं, तो ऐसे तत्वों को बाहर खदेंड़ें। वे चुनाव के लिए सांप्रदायिक अशांति और तनाव पैदा कर रहे हैं। सोरेन ने आगे आरोप लगयाा कि भाजपा समुदायों के बीच नफरत बढ़ाने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में मंदिरों और मस्जिदों में मांस फेंकने जैसे भडक़ाऊ मामलों में वृद्धि होगी। उन्होंने भाजपा को व्यापारियों और उद्योगपतियों की पार्टी करार देते हुए कहा कि यह अपने एजेंडे के लिए राजनेताओं की खरीद में लगी हुई है। इसके लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेने का जिक्र किया, जो हाल ही में यह कहते हुए भाजपा में शामिल हुए कि उन्हें झामुमो में सम्मान नहीं मिला और अपमानित किया गया। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि खनन बकाए पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कोयला कंपनियों ने 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाया है। इस वजह से राज्य और उसके लोगों को काफी नुकसान हो रहा है। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के भंडार से कोल इंडिया के खाते से झारखंड राज्य को सीधे राशि हस्तांतरित करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा डीवीसी को देय राशि के मामले का जिक्र किया। हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा, कानून में प्रावधान और न्यायिक फैसलों के बावजूद कोयला कंपनियां कोई भुगतान नहीं कर रही हैं। ये सवाल आपके कार्यालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग समेत कई मंचों पर उठाए गए हैं। इन सब के बावजूद अभी तक इस बकाया राशि 1.36 लाख करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है।

असम में झारखंडी जनजातियां हाशिए पर

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा को पत्र लिखा है। उन्होंने दावा किया कि पूर्वोत्तर राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद झारखंड की चाय बागान समुदाय की जनजातियां हाशिए पर हैं। पत्र में सोरेन ने असम में 70 लाख चाय बागान-जनजाति समुदाय के सदस्यों की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की। बता दें कि असम के मुख्यमंत्री झारखंड में भाजपा के सह चुनाव प्रभारी हैं। उन्होंने हाल ही में अलग-अलग मुद्दों पर झामुमो को कटघरे में खड़ा करने के अलावा राज्य सरकार पर तीखे हमले बोले हैं। सोरेन ने कहा कि असम के चाय बागानों में संथाली, कुरुक, मुंडा, उरांव और अन्य जनजातियों के लोग काम करते हैं। इनके पूर्वज औपनिवेशिक शासन के दौरान चाय बागान में काम करने के लिए पलायन कर गए थे। उन्होंने इन जनजातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि असम की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में इनका योगदान महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद, उन्हें हाशिए पर रखा जा रहा है। इन्हें अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले लाभ और सुरक्षा से भी वंचित रखा जा रहा है। इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूत है।

हेमंत सरकार ने वापस लिए सभी सुरक्षा वाहन : चंपई सोरेन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने आरोप लगाया कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने उनके सभी सुरक्षा वाहनों को वापस लेकर उनकी जान को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने इस कदम को एक राजनीतिक साजिश करार दिया। चंपई सोरेन ने पिछले महीने ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा था। हालांकि, राज्य की पुलिस ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि पांच वाहन अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे हुए हैं और 63 पुलिस कर्मी सेवा दे रहे हैं। चंपई सोरेन ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई वाले गठबंधन को जनता करारा जवाब देगी।

 

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