विभाजन रद्द करके ही मिटेगा दर्द : भागवत
लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा देश का विभाजन कभी ना मिटने वाली वेदना है। उन्होंने कहा कि इसका निराकण तभी होगा, जब ये विभाजन निरस्त होगा। भारत के विभाजन में सबसे पहली बलि मानवता की ली गई। नोएडा में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शिरकत करने आए भागवत ने कहा कि विभाजन कोई राजनीतिक प्रश्न नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व का प्रश्न है। भारत के विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार ही इसलिए किया गया, ताकि खून की नदियां ना बहें, लेकिन उसके उलट तब से अब तक कहीं ज्यादा खून बह चुका है।
सरसंघचालक भागवत ने कहा कि भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लाम और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था। हालांकि गुरुनानकजी ने इस्लामी आक्रमण को लेकर हमें पहले ही चेताया था। उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन कोई उपाय नहीं है, इससे कोई भी सुखी नहीं है। अगर विभाजन को समझना है, तो हमें उस समय से समझना होगा। बता दें कि सर संघचालक मोहन भागवत विभाजनकालीन भारत के साक्षी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे।
किताब के लेखक कृष्णानंद सागर ने विभाजनकालीन भारत के साक्षी में देश के उन लोगों के अनकहे और अनसुने अनुभव को शामिल किया है, जो विभाजन के दर्द के गवाह हैं। किताब में विभाजन के साक्षी रहे लोगों के साक्षात्कारों का संकलन है। नोएडा सेक्टर-12 स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में हुए कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव बतौर अध्यक्ष मौजूद रहे।
देश में दो तरह के हिंदू : मीरा कुमार
लखनऊ। लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार ने 21 सदी में भी जातीय भेदभाव पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि देश में दो तरह के हिंदू हैं। एक जो मंदिरों में प्रवेश कर सकते हैं और दूसरे जिन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं हैं।दलित समुदाय से आने वा ली पूर्व राजनयिक ने जयराम रमेश की पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा कि कई लोगों ने जातीय भेदभाव के कारण उनके पिता बाबू जगजीवन राम को हिंदू धर्म छोड़ देने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, लेकिन मेरे पिता ने कहा कि वह हिंदू धर्म को नहीं छोड़ेंगे और अपनी मौजूदा हैसियत से इस व्यवस्था से लड़ाई लड़ेंगे।