बिहार के शिक्षकों से पंगा लेना भारी पड़ गया नीतीश को? निर्दलीय वृजवासी ने इतनी बुरी तरह से कैसे हरा दिया सीएम के खास अभिषेक झा को

4PM न्यूज़ नेटवर्क: तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं। ऐसे परिणाम की उम्मीद शायद कोई नहीं कर रहा था। जिस सीट पर पिछले कई टर्म से जेडीयू का कब्जा रहा था, वो सीट JDU इतनी बुरी तरह हारेगी वो भी एक निर्दलीय उम्मीदवार के हाथों यह तो शायद नीतीश कुमार ने भी नहीं सोंचा होगा। जाहिर है जीत हार के कई फैक्टर होते हैं लेकिन क्या एक फैक्टर यह भी रहा कि शिक्षकों का जो आक्रोश सरकार के प्रति रहा है उसका खामियाजा भी इस उपचुनाव में बिहार की सताधारी पार्टी जेडीयू को भुगतना पड़ा है? दरअसल, बिहार में शिक्षक और सरकार के बीच आरपार की लड़ाई चलती हीं रही है।

उपचुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक पंडित भी हैरान

तिरहुत उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने वाले वंशीधर वृजवासी शिक्षक संघ के नेता हैं और सड़क उतरकर बिहार के शिक्षकों की आवाज बुलंद करते रहे हैं। जेल भी गये और उन्हें सस्पेंड भी किया गया। वंशीधर वृजवासी की जीत पर बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव आनंद मिश्रा ने कहा कि सरकार शिक्षकों के साथ आतंकवादियों जैसा सलूक करती रही है जिसका जवाब बिहार के शिक्षकों ने लोकतांत्रिक तरीके से दिया है।

आनंद मिश्रा ने कहा कि बिहार में शिक्षकों के साथ जो सौतेला व्यवहार एक उग्रवादी और आतंकवादी की तरह उनको प्रताड़ित करने की रणनीति के तहत जिस तरह से सरकार ने काम किया। उससे शिक्षकों में आक्रोश था। उस आक्रोश को शिक्षक समाज ने लोकतांत्रिक तरीके से बदला। शिक्षक अपनी बात नहीं रख सकते, आंदोलन नहीं कर सकते। अगर वे लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं तो उनकी गिरफतारी हो जाती है। निलंबित कर दिया जाएगा, बर्खास्त कर दिया जाएगा।

सरकार की इस दमनकारी नीति को शिक्षकों ने जवाब दिया। बिहार लोकतंत्र की भूमि है। शिक्षकों ने हर दायरे से उठकर सरकार के खिलाफ अपने आक्रोश को वोटों में बदल दिया। बिहार सरकार सचेत नहीं हुई तो इसी तरह बिहार के साढ़े 6 लाख शिक्षक आगे भी जवाब देंगे। तिरहुत विधान परिषद उपचुनाव का परिणाम शिक्षकों को लेकर एकतरफा लहर चलने की वजह से हैं।

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