नई फसल से जुड़ा है लोहड़ी पर्व

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भारत एक ऐसा देश है, जहां हम हर धर्म और समुदाय के विभिन्न त्योहार मनाते हैं। चाहे होली, दिवाली हो या फिर ईद का पर्व हो, हर त्यौहार को लोग मिलजुल कर सेलिब्रेट करते हैं। अब जब कुछ ही दिनों में लोहड़ी का त्यौहार आने वाला है तो उसकी धूम भी बाजारों में दिखाई देने लगी है। दरअसल, लोहड़ी का त्यौहार वैसे तो मुख्य रूप से पंजाब में मनाया जाता है, लेकिन अन्य राज्यों में भी इसकी धूम दिखाई देती है। पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का पर्व नई फसल की बुआई और पुरानी फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है। लोहड़ी के दिन लोग पारंपरिक तरीके से तैयार होते हैं। जिस तरह से बिना खाने के हर त्यौहार अधूरा होता है, ठीक उसी तरह से इस त्यौहार में खाने का भी काफी महत्व होता है। अगर आप भी इस लोहड़ी के त्यौहार पर अपने घर मेहमानों को बुला रहीं हैं, तो उनके लिए पहले से ही कुछ पारंपरिक डिश तैयार कर सकती हैं। दरअसल, कुछ खाने के सामान ऐसे हैं, जिनके बिना लोहड़ी का त्यौहार अधूरा सा लगेगा।

पतंगबाजी

लोहड़ी के दिन पतंगबाजी का भी विशेष महत्व है। युवा और बच्चे इस दिन आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाकर अपनी खुशी मनाते हैं। पतंग उड़ाना इस पर्व की खुशी और उमंग को दोगुना कर देता है। लोहड़ी का त्योहार केवल एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, मेहनत और सामूहिकता का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि मेहनत, एकता और आस्था के साथ जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।

शुभ तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रांति को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत माना जाता है, जो नई फसल के आगमन और दिन के उजाले के बढऩे का प्रतीक है। साल 2025 में, लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी, जबकि मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

बहन और बेटियों को बुलाया जाता है घर

पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, उन्हें विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है। इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है। उनकेलिए खाने में कई तरह केब्यंजन बनाये जाते हैइस में त्योहार बहन और बेटियों की रक्षा और सम्मान के लिए मनाया जाता है। वक्त के साथ एक सबसे खूबसूरत चीज देखने को मिली है कि परिवार वाले अब पहली लडक़ी के जन्म पर भी काफी धूमधाम से लोहड़ी का त्यौहार मनाते हैं।

लोहड़ी का महत्व

इस दिन देवताओं को शुक्रिया के तौर पर रबी की फसल के रूप में आग में रेवड़ी, तिल, मूंगफली, गुड़ आदि अर्पित करते हैं। इसके साथ ही अग्नि देव से प्रार्थना करते हैं कि उनकी फसल हमेशा अच्छी उत्पन्न हो। पंजाबी लोक कथाओं के अनुसार लोहड़ी पर जलाए गए अलाव की लपटें लोगों के संदेश और प्रार्थनाओं को सूर्य देवता तक ले जाती हैं ताकि ग्रह पर गर्मी आए ताकि फसलों को बढऩे में मदद मिल सके। बदले में सूर्य देव भूमि को आशीर्वाद देते हैं और ठंड के मौसम को समाप्त करते हैं। लोहड़ी के अगले दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।

 

 

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