जम्मू-कश्मीर से पानी पंजाब की ओर मोड़ने का विरोध, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा – “मैं इसकी अनुमति नहीं दूंगा”

अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब महबूबा मुफ्ती को वोटों की जरूरत थी, तो उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों को आरक्षण के बारे में बात करने से भी सख्ती से मना कर दिया था.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को पानी पहुंचाने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाने का मामला विवाद में पड़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसका विरोध किया है. उन्होंने सूखे जैसी स्थिति का हवाला देते हुए. इसके साथ ही उन्होंने महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन पर आरक्षण मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.

जम्मू-कश्मीर से अतिरिक्त पानी को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर मोड़ने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाने का प्रस्ताव देश के जल संसाधन प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण क्षण हो सकता है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के माध्यम से पंजाब को पानी देने का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा कि मैं इसकी अनुमति कभी नहीं दूंगा. पहले हमें अपने पानी का इस्तेमाल खुद के लिए करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि जम्मू में सूखे जैसी स्थिति है. मुझे पंजाब को पानी क्यों भेजना चाहिए? सिंधु जल संधि के तहत पंजाब के पास पहले से ही पानी है. क्या उन्होंने हमें तब पानी दिया जब हमें इसकी जरूरत थी? दरअसल, पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि को रोक दिया गया है, जिसके बाद से नदी के पानी को मोड़ने की मांग लगातार की जा रही है.

महबूबा मुफ्ती पर बरसे सीएम उमर
वहीं, सीएम अब्दुल्ला ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन की आलोचना की कि जब उनके पास मौका था, तब उन्होंने भर्ती में आरक्षण का मुद्दा नहीं उठाया. अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब महबूबा मुफ्ती को वोटों की जरूरत थी, तो उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों को आरक्षण के बारे में बात करने से भी सख्ती से मना कर दिया था. जब अनंतनाग से चुनाव लड़ रही थीं और राजौरी और पुंछ से वोटों की जरूरत थी, तब उन्होंने आरक्षण के बारे में बात क्यों नहीं की? जब ये सब हो रहा था, तब सज्जाद लोन पांच साल तक सरकार के करीब थे. हमें हमारे सरकारी घरों से बेदखल कर दिया गया और हमारी सुरक्षा कम कर दी गई, जबकि वे सरकारी घर में बैठे थे. उन्होंने तब आरक्षण के बारे में बात क्यों नहीं की?’

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छह महीने के भीतर आरक्षण रिपोर्ट पेश कर दी थी और यह पहली बार है जब इस तरह की प्रगति हुई है. अगर मुझे समय बर्बाद करना होता तो मैं उप-समिति को छह महीने और दे देता. तब वे क्या करते? क्या उनके पास मुझे छह महीने में यह रिपोर्ट पूरी करने के लिए मजबूर करने का कोई तरीका था? कैबिनेट ने उप-समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है और इसे कानून विभाग को उनकी टिप्पणियों के लिए भेज दिया है.

ईरान-इजराइल युद्ध पर क्या बोले सीएम उमर
जब उनसे पूछा गया कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी, तो सीएम अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम राज्य के दर्जे के लिए पीएम मोदी के वादे का इंतजार कर रहे हैं.’ ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव पर टिप्पणी करते हुए अब्दुल्ला ने इजराइल की कार्रवाई पर सवाल उठाए और फंसे हुए भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए चिंता जताई. अब्दुल्ला ने बताया, ‘ईरान ने ऐसा क्या किया है कि इजराइल ने उसे निशाना बनाया है? कुछ महीने पहले कहा गया था कि ईरान के पास कोई परमाणु कार्यक्रम नहीं है, तो अब उसे क्यों निशाना बनाया जा रहा है? हमारे छात्र भी वहां फंसे हुए हैं, 400 को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, जम्मू-कश्मीर से फंसे हुए लोगों की कुल संख्या 1600 है.’

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