रवींद्र नाथ के हौसले को सलाम, 5 दिन तैरकर बचाई जान 

रवीन्द्रनाथ के साहस को सलाम है... जिन्होंने समुद्र की भयानक लहरों और पांच दिनों की कठिनाई के बावजूद हार नहीं मानी... उनकी जिद...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों इंसान एक बार सोच ले…. फिर कोई भी काम हो…. उस इंसान के इरादों को नहीं हिला सकती है…. और वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त ही कर लेगा…. जी हां दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे…. जिसके हौसले और जज्बे को आप भी सलाम करेंगे….. और उसकी कहानी आपको एक प्रेरणा देगी….. आप भी उस व्यक्ति को दिल से दुवा देंगे…… और उसकी मेहनत की सराहना करेंगे….. आपको बता दें कि इस व्यक्ति की कहानी सुनकर आप भी एक बार उसके बारे में सोंचने के लिए मजबूर हो जाएंगे…..

जी हां दर्शकों जो आप अपने स्क्रीन पर वीडियो देख रहे है….. यह वीडियो रवींद्र नाथ का  है….. ये वीडियो हौसले और जज्बे का है……. जीवन जीने की चाह का है……. मदद की लगन का है……. वहीं ये वीडियो हमें ये भी बताता है कि जिंदगी कितनी अनमोल है…… जब कभी मुसीबत हो……. मौत सामने दिखे तो भी किसी को भी घबराना नहीं चाहिए…… परिस्थितियों से हारना नहीं चाहिए…….. उन हर परिस्थितियों से लड़ना चाहिए…… जूझना चाहिए…… जब तक की आप बिल्कुल रवींद्र नाथ की तरह सफल न हो जाएं……

आपको बता दें कि रवींद्र नाथ पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले का है….. और मछली पकड़कर परिवार का पेट पालता है……. रवींद्र नाथ अपने 15 मछुआरे साथियों को लेकर बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने गया था…… मौसम बदला….. तूफान आया….. लहरें बेकाबू हो गईं….. और नाव पलट गई…… आस-पास कोई मदद करने वाला नहीं……. नाव के टुकड़ों पर किसी तरह मछुआरों ने खुद को टिकाया…….

और किनारे की तलाश में……. जीवन की आस में तैरने लगे……. तैरते रहे….. तैरते रहे……. एक दिन…… दो दिन…….. तीन दिन…… चार दिन……. वही जिसकी हिम्मत टूटटी गई…… वो समंदर की गहराइयों में समाता गया…… लेकिन रवींद्र नाथ पांचवें दिन भी नाव के टुकड़े पर तैरते और बहते हुए हल्दिया (जहां उसकी नाव तूफान में टूटी थी) से करीब 600 किलोमीटर दूर बांग्लादेश के कुतुबदिया द्वीप के पास पहुंचा…… जहां उसे एक जहाज के कप्तान ने देखा……

आपको बता दें कि ऊपर वाला भी तभी मदद करता है…. जब आपके अंदर कुछ कर गुजरने की हिम्मत, चाहत और लगन हो….. वहीं जब जहाज के कप्तान ने देखा तो बिना किसी सरहद की लड़ाई न कोई बात…. बस कप्तान ने इंसानियत दिखाते हुए रवींद्र नाथ को बचाने की सोंची….. और कप्तान ने रवींद्र नाथ को रेस्क्यू करने के लिए उसकी तरफ एक रबर ट्यूब फेंका…… हालांकि, दूरी ज्यादा होने की वजह से रवींद्र नाथ रबर ट्यूब तक नहीं पहुंच पाया……. और जहाज आगे निकल गया…….

बता दें कि रविंद्र नाथ को 5 दिन बाद आसमान….. और पानी के अलावा कुछ दिखा था……. और वो मदद भी सामने से निकल गई……. ये देखकर भी रवींद्र नाथ का हौसला नहीं टूटा…… रवींद्र नाथ तैरता ही रहा…… वहीं उस जहाज के कप्तान की भी हिम्मत नहीं टूटी…… कप्तान ने दोबारा जहाज घुमाया…… और फिर से रबर ट्यूब रवींद्र नाथ की तरफ फेंका…….

इस बार थोड़ी मेहनत करने के बाद रवींद्र नाथ ने रबर ट्यूब पकड़ ली…… वहीं इस पूरे वाकये का जहाज का कोई कर्मचारी डेक से वीडियो बना रहा था……. रवींद्र नाथ के रबर ट्यूब पकड़ते ही जहाज के क्रू की खुशी देखिए…… जहाज के सभी क्रू खुशी से झूम उठे…… क्योंकि उस समय जहाज के कप्तान से लेकर सभी क्रू को उस व्यक्ति के जीवन को बचाना था…… एक बार का प्रयाय विफल हो गया…… फिर भी हार नहीं मानी और रवींद्र नाथ को बचा लिया…..

 

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